32 वर्ष से रोजा रख रहे हैं खिलौना विक्रेता लाल बाबू

गोरखपुर। देश में एक तरफ कोरोना महामारी में भी कुछ लोग नफ़रत फ़ैलाने से बाज नहीं आ रहे हैं लेकिन इन सबके बीच मोहब्बत और इंसानियत का पैगाम देने वाले कम नहीं हैं। लॉकडाउन में रोजा रखकर मुसलमान ही सब्र का कड़ा इम्तेहान नहीं दे रहे कुछ हिन्दू भी मुसलमानों के इस पाक माह में रोजेदारों की जमात में शामिल हो रहे हैं।

घंटाघर में खिलौने की दुकान चलाने वाले 48 साल के लाल बाबू पूरे अकीदत के साथ 32 सालों से लगातार रोजा रख रहे हैं। वे  हनुमान के भक्त हैं। हर साल माह-ए-रमज़ान के दस रोजे रखते हैं। पहला नौ रोजा व अलविदा का रोजा रखते हैं। लॉकडाउन में सहरी व इफ्तार के वक्त का पता वह मस्जिद की अज़ान से करते हैं।

शांत स्वभाव के लाल बाबू को माह-ए-रमज़ान के रोजे पर विश्वास इतना ज्यादा है कि विधिवत सूर्योदय पूर्व में सहरी और सूर्योदय पश्चात् इफ्तार के अतिरिक्त रोजे में दी जाने वाली राशि सदका-ए-फित्र भी अदा करते हैं।

लाल बाबू ने बताया कि उन्हें दो पुत्रियां लगातार पैदा हुईं। पुत्र प्राप्ति के लिए रोजा रखने की मन्नत मांगी। इसके बाद उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। लाल बाबू ने अपने जीवन से जुड़े इस खास पहलू को साझा करते हुए बताया कि सन् 1952 के जमाने में उनके पिता गंगा प्रसाद ने यह मन्नत मांगी थी कि यदि उनका कोई व्यवसाय या दुकान हो जाए तो वह अल्लाह की रज़ा के लिए रोजे रखेंगे। उन्हें घंटाघर पर एक अच्छी दुकान मिली जिसमें उन्होंने खिलौनों का व्यवसाय शुरू किया। अल्लाह की रहमत से यह कारोबार खूब चला। आज इसी दुकान पर लाल बाबू और उनके पुत्र प्रिंस दुकानदारी करते हैं।

गंगा प्रसाद की मृत्यु के बाद रोजा रखने की इस परम्परा को उनके पुत्र लाल बाबू बाखूबी अंजाम दे रहे हैं। रोजे के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में इनको खूब पता है. उन्होंने कहा कि एक जमाने से सब जानते है कि हम रोजा रखते हैं और इसमें उनके परिवार का पूरा सहयोग रहता है।