गोरखपुर के युवाओं ने रोजा तोड़कर दिया खून, बच्चा बचा, मां को नहीं बचाया जा सका

गोरखपुर।गोरखपुर के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती गर्भवती महिला को जब खून की जरूरत हुई तो चिलमापुर के दो युवकों ने अस्पताल जाकर रक्तदान किया लेकिन अत्यधिक रक्तस्राव से महिला को नहीं बचाया जा सका. बच्चे को जन्म देने के बाद महिला की मौत हो गयी. बच्चा स्वस्थ है.

गुरुवार को सहरी के वक्त नौजवानों द्वारा गरीबों की मदद के लिए बनाए गये व्हाट्सएप्प ग्रुप ‘ खिदमत आज़ाद नगर से बड़गो ‘ में एक युवक ने मैसेज किया कि शिवाय हास्पिटल तारामंडल में एक मरीज को तीन यूनिट खून की जरूरत है। मरीज की हालत नाजुक है। खून नहीं मिला तो मरीज मर जायेगा। यह मैसेज जैसे ही ग्रुप में आया चिलमापुर के 23 वर्षीय हामिद खान व 25 वर्षीय तारिक खान खून देने हास्पिटल पहुंच गये।

दोनों ने रोजे के लिए सहरी खा ली थी। कमजोरी के सबब दोनों ने रोजा तोड़ा और सिटी ब्लड बैंक जुबली में दो यूनिट खून दिया। जब दोनों खून देने हास्पिटल पहुंचे तो पता चला कि खून किसी गर्भवती महिला को देना है जिसका आपरेशन होने जा रहा है।  दोनों युवकों ने खून दिया। डॉक्टरों ने कहा कि एक यूनिट जब जरूरत होगी तब दे दीजिएगा। महिला का आपरेशन हुआ। एक बच्चा भी पैदा हुआ लेकिन कुछ देर बाद रक्तस्राव ज्यादा होने की वजह से महिला न दम तोड़ दिया।

24 वर्षीय महिला नूर सायरा फाजिलनगर कुशीनगर की रहने वाली थी। हास्पिटल में गमी का माहौल हो गया। खून देने वाले दोनों युवक भी अचंभित हो गये कि यह क्या हो गया। युवाओं के ग्रुप में शोक की लहर दौड़ गयी। युवाओं को महिला के मर जाने का मलाल है लेकिन इस बात की तसल्ली है कि कम से कम बच्चे की जान बच गयी। ग्रुप पर शोक संदेश का एक सिलसिला चल पड़ा जिसने भी सुना अफसोस करता रहा।