लॉकडाउन और कोविड-19 संक्रमण के बीच गोरखपुर जिले में 20 दिन में 2623 संस्थागत प्रसव

गोरखपुर. लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के इस कठिन दौर में भी संस्थागत प्रसव के आंकड़े राहत देने वाले हैं। जनपद में पहली अप्रैल से 20 अप्रैल के बीच 2623 संस्थागत प्रसव हुए हैं। इनमें महज 181 केसेज में सर्जरी की आवश्यकता पड़ी और बाकी केसेज नार्मल डिलेवरी के हैं।

शासन को भेजी गई इस रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी ने कहा है कि 102 नंबर एंबुलेंस सेवा, चिकित्सकों और स्टॉफ नर्सेज के समर्पित भाव से काम करने का नतीजा है कि सुरक्षित व संस्थागत प्रसव सुनिश्चित किया जा सका।

सीएमओ ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष के प्रथम माह अप्रैल के पहले 20 दिन की रिपोर्ट शासन को भेज दी गयी है। शासन का निर्देश था कि प्रसव जैसी इमरजेंसी सेवाएं जारी रखी जाएं। इस निर्देश पर अमल किया गया और सभी सेवाएं निर्बाध गति से जारी रखी गईं। उन्होंने बताया कि इस बीस दिन की अवधि में जिला महिला चिकित्सालय से 276 प्रसव और बीआरडी मेडिकल कालेज से 145 प्रसव रिपोर्ट हुए हैं। इसके अलावा सभी प्रसव सेवाएं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर ही लोगों को प्राप्त हुई हैं।

उन्होंने बताया कि इस समयावधि में जिले में मातृत्व स्वास्थ्य को समर्पित 50 एंबुलेंस ने 4616 गर्भवती को सेवाएं दीं। इस संख्या में प्रसव संबंधित सेवा, प्रसवकालीन जांच सेवा और गर्भवती को जांच के बाद घर छोड़ने जैसी सेवाएं शामिल हैं। एंबुलेंसकर्मियों ने भी सराहनीय योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की इस अवधि में 15 अप्रैल को एंबुलेंस में ही बीमार महिला का सुरक्षित प्रसव एंबुलेंसकर्मियों के सहयोग से ही संभव हो सका।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला डेटा प्रबंधक पवन कुमार गुप्ता ने बताया कि कोरोना संक्रमण के समय भी सीएमओ और एसीएमओ आरसीएच डॉ. नंद कुमार के निर्देश पर आरसीएच संबंधित कार्य जारी रहे और उनकी रिपोर्टिंग भी की गई। प्रत्येक माह की रिपोर्ट का चक्र महीने की 20 तारीख तक का होता है। अप्रैल की रिपोर्ट एचएमआईएस और यूपीएचएमआईएस पोर्टल पर भी दर्ज हो चुकी है।

सीएमओ ने कहा कि लोग प्रसव को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने के लिए गर्भवती अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता और एएनएम के बराबर संपर्क में रहें । उनके द्वारा दी जाने वालीं आयरन फोलिक एसिड की 180 और कैल्शियम की 360 गोलियों का सेवन अवश्य करें । यदि गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव होना, खून की कमी यानि कमजोरी या थकान महसूस होना, बुखार आना, पेडू में दर्द या योनि से बदबूदार पानी आना, उच्च रक्तचाप यानि अत्यधिक सिर दर्द, झटके आना या दौरे पड़ना और गर्भ में पल रहे शिशु का कम घूमना जैसे खतरे के लक्षण नजर आयें तो 102 एम्बुलेंस की मदद से स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला महिला अस्पताल जाकर जाँच अवश्य कराएं ।

सीएमओ ने बताया कि गर्भावस्था के छह महीने पूरे होने या उसके बाद रक्त जाँच, अल्ट्रासाउंड व अन्य जांच कराने के लिए भी 102 एम्बुलेंस की मदद ली जा सकती है । यदि कोरोना संक्रमण के कोई लक्षण नहीं हैं तो प्रसव के लिए पहले की तरह 102 एम्बुलेंस को कॉल करें । गर्भवती में अगर कोरोना संक्रमण के कोई लक्षण जैसे-सर्दी, खांसी, बुखार या सांस फूलने की शिकायत नजर आए तो प्रसव के लिए अस्पताल जाने में 108 एम्बुलेंस का ही इस्तेमाल करें।