दबंगों ने टैक्टर नहीं आने दिया तो दलितों ने कुदाल से खेत की कोड़ाई कर धान रोपा

देवरिया। देवरिया कोतवाली थाना क्षेत्र के घटैला गाजी गांव में गांव के एक महीना पहले मारपीट की दो घटनाओं के बाद अभी भी तनाव बना हुआ है. दलितों की बस्ती में खेती के लिए ट्रैक्टर नहीं जाने दिया जा रहा है. इससे धान की खेती पिछड़ता देख दलित बस्ती के सभी लोगों ने मिलजुल कर सभी दलितों के खेत में कुदाल से ही कोड़ाई कर धान की रोपनी कर दी है. पिछले पाच-छह दिन में दलितों ने करीब आठ बीघा खेत में धान की रोपनी की गयी है.

घटैला गाजी गांव देवरिया जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर है. इस गांव में ठाकुरों और दलितों के बीच 28 अप्रैल को मारपीट हुई थी जिसमें दोनों पक्षों से एफआईआर हुई थी. घटना के जड़ में गांव के उदयभान सिंह का खेत दलित श्यामधारी द्वारा रेहन पर लेना है.

श्यामधारी के पुत्र श्याम सुंदर ने बताया कि गांव के उदयभान सिंह ने पैसे की जरूरत होने पर वर्ष 2016 में दस कट्ठा जमीन 30 हजार रूपए में रेहन रखी. उनके पिता ने ये रूपए दिए थे. इससे ठाकुर विरादरी के लोग नाराज हो गए. उनके पिता को रेहन लिए खेत में खेती से मना किया जाने लगा. इस पर उनके पिता ने कहा कि उनके रूपए लौटा दिए जाएं तो वे रेहन लिए खेत में नहीं जाएंगे. दूसरे पक्ष से कहा गया कि उनको पैसा दे दिया जाएगा. पिता ने हामी भर दी. अप्रैल महीने के 28 तारीख को पैसे देने आए एक दर्जन से अधिक लोगों ने उनके पिता को गाली देते हुए मारा-पीटा. प्रतिरोध करने पर दूसरे लोगों को भी पीटा गया. पथराव किया गया. दलितों की ओर से भी जवाब देने की कोशिश हुई.

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इस घटना में दोनों पक्षों की ओर से लोग घायल हुए. इस घटना में श्यामधारी की तहरीर पर 16 व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई. दूसरे पक्ष की तहरीर पर श्यामसुन्दर सिंह 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई.

इस घटना के दो दिन बाद श्यामसुन्दर की मां इलाज के लिए जा रही थीं तो उन्हें रास्ते में रोक कर मारा गया। उनके साथ मौजूद लड़के की भी पिटाई की गयी. इस घटना में भी छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई.

इन दोनों घटनाओं के बाद गांव में अभी भी तनाव बना हुआ है. दलितों का कहना है कि उनके आने-जाने का रास्ता ठाकुरों के घर से होकर ही जाता है. उन्हें इन रास्तों से नहीं जाने को कहा जा रहा है। लगातार धमकी दी जा रही है. धान की फसल लगाने के लिए उनके खेतों में ट्रैक्टर नहीं आने दिया गया. उन्होंने जब गांव के बाहर से ट्रैक्टर मंगा कर जुताई करानी चाही लेकिन दबंगों के भय से कोई आने को तैयार नहीं हुआ.

श्यामसुन्दर ने बताया कि विवश होकर सभी दलितों ने निर्णय लिया कि वे कुदाल से ही खेत की कोड़ाई कर धान की फसल रोप देंगे. सभी दलितों ने एक साथ मिलकर एक दूसरे के खेत में कुदाल से कोड़ाई की और धान की रोपनी की. यह सिलसिला 28 मई से शुरू हुआ जो अब तक जारी है. श्याम सुन्दर ने बताया कि दो जुलाई तक आठ बीघा खेत में धान की रोपनी का काम किया जा चुका है.