गोरखपुर में स्वास्थ्य विभाग ने 11 निजी अस्पतालों को कोविड एल-टू फैसिलिटी अस्पताल बनाया

 गोरखपुर। आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी मरीजों का कोरोना इलाज लेवल टू के निजी अस्पताल में निःशुल्क किया जाएगा। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने 11 निजी अस्पतालों को अधिग्रहित कर लेवल-टू फैसिलिटी घोषित किया है, जिनमें योजना से संबद्ध 8 अस्पताल भी शामिल हैं।

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि इन 8 अस्पतालों में 20 फीसदी बेड योजना के मरीजों को समर्पित होंगे, जहां इलाज के बाद भुगतान योजना के तहत ही होगा। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन के निर्देशानुसार अधिग्रहित इन अस्पतालों से एल-टू फैसिलिटी में करीब 250 बेड की सुविधा बढ़ जाएगी।

मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि इन अस्पतालों में इलाज कराने के लिए गैर आयुष्मान मरीजों को शासन द्वारा निर्धारित दर पर भुगतान करना होगा। सामान्य लक्षण के मरीजों को प्रतिदिन 8000 रुपये की दर से, जबकि गंभीर मामलों में 13000 रुपये प्रतिदिन की दर से देना होगा। कोविड-19 के जो भी मरीज इन अस्पतालों में निजी सुविधा के साथ इलाज कराना चाहते हैं, उनके लिए यह विकल्प खुला रहेगा। उन्होंने बताया कि अस्पतालों के साथ समन्वय का कार्य अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नीरज कुमार पांडेय को सौंपा गया है।

उन्होंने बताया कि अधिग्रहित किये गये अस्पतालों में आनंदलोक रिमेडियल रिसर्च सेंटर प्रा. लि, स्टॉर हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड, न्यू उदय मेडिकल सेंटर, पल्स हॉस्पिटल, आर्यन हॉस्पीटल, दिव्यमान हॉस्पिटल एंड सर्जिकल मैटर्निटी होम और गर्ग हॉस्पीटल आयुष्मान भारत योजना के तहत सम्बद्ध हैं। इनके अलावा सावित्री हॉस्पीटल एंड रिसर्च सेंटर, राणा हॉस्पिटल और सिटी हॉस्पिटल को भी अधिग्रहित किया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक बीआरडी मेडिकल कालेज में एल-टू फैसिलिटी उपलब्ध थी, जिसे 100 बेड के टीबी अस्पताल में भी शुरू करा दिया गया है। निजी अस्पतालों को अधिग्रहित करने के बाद बेड की किल्लत काफी हद तक कम हो जाएगी और निजी क्षेत्र में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ भी मरीजों को मिलने लगेगा।

कोरोना इलाज के तीन अलग-अलग श्रेणी के अस्पताल होते हैं। लेवल-वन यानी एल-वन हॉस्पिटल में वह मरीज रखे जाते हैं जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं दिखते हैं, जबकि एल-टू हॉस्पिटल में वह मरीज रखे जाते हैं जिनमें कोरोना के सामान्य लक्षण दिखते हैं, मसलन बुखार, जुकाम, छींक आना आदि। एल-थ्री अस्पताल में गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को एडमिट किया जाता है।