जाने माने इस्लामिक स्कॉलर मौलाना अब्दुल मन्नान सल्फी नहीं रहे

सिद्धार्थ नगर। जाने माने इस्लामिक स्कॉलर मौलाना अब्दुल मन्नान सल्फी नहीं रहे।शनिवार देर रात उनका इंतेक़ाल हो गया।पिछले कुछ दिनों से वो बीमार चल रहे थे।शनिवार रात को सांस में तकलीफ की वजह से उन्हें बुटवल के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।जहां इलाज के दौरान उनका इंतेक़ाल हो गया।

61 वर्षीय अब्दुल मन्नान सल्फी नेपाल के प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान जामिया सिराजुल उलूम झंडा नगर नेपाल में करीब तीन दशकों से अपनी सेवाएं दे रहे थे।सिद्धार्थ नगर जिले के शोहरतगढ़ तहसील अंतर्गत ग्राम अतरी के मूल निवासी मौलाना अब्दुल मन्नान सल्फी शिक्षण कार्य के साथ साथ आप नेपाल की प्रतिष्ठित इस्लामिक मासिक पत्रिका “अल सेराज “के एडिटर थे। इसके अलावा आप जमीअत अहले हदीस सिद्धार्थ नगर के अध्यक्ष भी थे। उन्होंने कई किताबें भी लिखीं।

मौलाना को इस्लामिक जगत में बड़ा मुकाम हासिल था।दीनी खिदमात के अलावा समाजिक कार्यों में दिलचस्पी की वजह मौलाना सल्फी सभी धर्मों के अनुयायियों में खासे लोक प्रिय थे।वो युवाओं को सामाजिक कार्यों और चरित्र निर्माण के लिए प्रेरित करते थे।उनका मानना था कि इस्लाम की पहचान मुसलमानों के किरदार से होती है।इसलिए मुसलमानों को अपने किरदार में अच्छा होना चहिए।नेपाल में बाढ़ राहत सामग्री बांटने का काम हो या भूकंप पीड़ितों की मदद बात हो मौलाना युवाओं की रहनुमाई इन कामों में खुद फरमाते थे।नेपाल के सुदूर पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में राहत सामग्री बाँटने खुद जाते थे।

मौलाना अब्दुल मन्नान सल्फी ज़रूरत मंदों की मदद के लिए हर मुमकिन कोशिश करते थे। इनका यह किरदार उन्हें बाकी लोगों से अलग करदेता है।मौलाना के वालिद मुफ़्ती हन्नान साहब ने भी सिराजुल उलूम में अपनी ताउम्र सेवाएं दी थीं।मौलाना के साहबज़ादे सऊद अख्तर भी अपनीं खिदमत इसी इदारे में दे रहे हैं।इस तरह मौलाना की तीसरी पीढ़ी सिराजुल उलूम की खिदमत में लगी हुई है।

मौलाना अपने इस्लामिक उपदेशों के लिए भी जाने जाते थे।वो एक अच्छे खतीब थे।उनके निधन से इस्लामिक जगत में सन्नाटा पसर गया है।

मौलाना के निधन पर मरकज़ी जमीअत अहले हदीस हिन्द के अध्यक्ष असगर अली इमाम मेहंदी ने कहा कि मौलाना मन्नान सल्फी साहब का व्यक्तित्व बहुत ही शानदार था। वो एक सच्चे ,अच्छे और नेक इंसान थे।उनका दामन हमेशा पाक साफ रहा वो किसी से ईर्ष्या नहीं करते थे। जामिया सिराजुल उलूम के प्रबंधक मौलाना शमीम अहमद नदवी ने अपने खिराजे अकीदत में कहा कि मौलाना अब्दुल मन्नान सल्फी की खिदमात काबिले तारीफ रही है।उनके जाने से मुझे जाती तौर पर सदमा पहुंचा है।यकीन नही हो रहा है कि वो हम सब से रुखसत हो गए हैं।मौलाना की खिदमात को फरामोश नही किया जा सकता।

उनके निधन पर मौलाना हारून,मौलाना अब्दुल अज़ीम मदनी,मौलाना असलम,मौलाना खुर्शीद,मौलाना जमाल शाह,मास्टर हसीब,मौलाना अब्दुर्रशीद, मो इब्राहिम मदनी,इंजीनियर इरशाद अहमद खान,मो जमाल खान,रियाज़ खान,अफ़ज़ल अहमद, डॉ फैजान अहमद,मौलाना शब्बीर,मौलाना अब्दुल वाहिद मदनी,अब्दुल मोईद खान,ज़ाहिद आज़ाद झंडानगरी, अब्दुल तौवाब,सग़ीर ए ख़ाकसार, मो जमील सिद्दीकी, मो इब्राहिम,चेयरमैन निसार बागी, मौलाना अब्दुल गनी अलकूफ़ी, मौलाना मशहूद नेपाली, दिनेश चंद्र गुप्ता, सुशील श्रीवास्तव, राहुल मोदनवाल,मेयर रजत प्रताप शाह, शाकिर अली,किफ़ायतुल्लाह खान,अकिल मियां, सफर अली,अरशद मिर्ज़ा,जावेद खान,तुफैल खान,अनीस ज़ैदी,डॉ सईद असरी,साकिब हारूनी,सेराज फारूकी, मौलाना सत्तार आदि ने खिराजे अकीदत पेश की है।