मुहर्रम पर रवायती जुलूस नहीं निकलेंगे, उलेमाओं ने गाइड लाइन जारी कर पौधरोपण और गरीबों की मदद करने को कहा

गोरखपुर। इस्लामी नये साल का आगाज़ माह-ए-मुहर्रम से होता है। माह-ए-मुहर्रम का चांद नज़र आते ही 21 या 22 अगस्त से नया इस्लामी साल शुरू हो जायेगा। इसी के साथ शुरू हो जायेगी 1442 हिज़री। यौमे आशूरा यानी दसवीं मुहर्रम 30 या 31 अगस्त को पड़ेगी। रविवार को कुछ उलेमा-ए-किराम ने माह-ए-मुहर्रम के लिए एक गाइडलाइन जारी की है।

मुफ्ती मो. अजहर शम्सी (नायब काजी), मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी ने कहा कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र मुहर्रम के रवायती जुलूस, ताजियों का जुलूस, मुहर्रम मेला आदि लगने की संभावना नहीं है। मुहर्रम कोई त्योहार नहीं है। यह इबादत का महीना है। लिहाजा घर पर रहकर इबादत करें और उलेमा-ए-किराम व शासन की गाइडलाइन पर अमल करें। पहली मुहर्रम को दीन-ए-इस्लाम के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन फारूके आज़म हजरत सैयदना उमर रजियल्लाहु अन्हु की शहादत हुई। वहीं इसी माह पैगंबर-ए-आज़म हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के नवासे हजरत सैयदना इमाम हुसैन रजिल्लाहु अन्हु व उनके 72 जांनिसारों ने कर्बला के मैदान पर अज़ीम कुर्बानी पेश की।

मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-गोरखपुर), हाफिज महमूद रज़ा कादरी, हाफिज रहमत अली निज़ामी ने कहा कि मुहर्रम की 10वीं तारीख को पैगंबर-ए-आज़म हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के नवासे हजरत सैयदना इमाम हुसैन रजियल्लाहु अन्हु व उनके 72 साथियों को दहशतगर्दों ने बेरहमी के साथ तीन दिन का भूखा प्यासा कर्बला के तपते हुए रेगिस्तान में शहीद कर दिया था। शहीदे कर्बला की रूह-ए-मुबारक के लिए शरीयत के दायरे में रहकर इसाले सवाब करें। कोरोना महामारी को देखते हुए जुलूस, मेला, ढ़ोल-ताशा आदि से दूर रहें। उलेमा व शासन की गाइडलाइन पर अमल करें।

-अबकी मुहर्रम में यह करें

1. पौधा रोपण कार्यक्रम करें। जगह-जगह पौधे लगाएं और उनकी देखभाल करें।

2. गरीबों व जरूरतमंदों को खाना खिलाएं।

3. घरों में जिक्रे शोह-दाए-कर्बला’ की महफिल सजाएं। सुन्नी उलेमा-ए-किराम की किताबों से घर वालों को कर्बला का वाकया पढ़कर सुनाएं।

4. खूब इबादत करें। कुरआन ख्वानी व फातिहा ख्वानी करें। दरूदो-सलाम का नज़राना पेश करें। दुआओं का विर्द करें। कोरोना से निज़ात की दुआ मांगें।

5. पहली मुहर्रम से दसवीं मुहर्रम तक एशा की नमाज के बाद मोहल्ले की मस्जिद के लाउडस्पीकर से इमाम साहब कुछ देर कर्बला का वाकया बयान करें। ताकि लोग घर बैठे कर्बला का वाकया सुन सकें।

6. नौवीं, दसवीं व ग्यारहवीं मुहर्रम की तारीख को रोजा रखें।

7. जरूरतमंद व गरीब बच्चों को पढ़ने लिखने का सामान मुहैया करवाएं।

8. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ‘लंगर-ए-हुसैन’ और पानी व शर्बत का स्टॉल लगाएं।

9. ताजिया बनाने के बजाए उस पैसे से गरीबों व जरूरतमंदों की मदद करें।

10. जरूरतमंदों में मास्क बांटें।

11. जरूरत पड़ने पर रक्तदान करें।

12. अपने इलाके के कोरोना वॉरियर्स व सफाई कर्मियों को सम्मानित करें।

13. जरूरतमंद मरीजों का इलाज करवा दें। उन्हें दवा खरीद कर दें।

14. मरीजों व गरीबों में फल वितरण करें।

15. उलेमा-ए-किराम ऑनलाइन प्लेटफार्म जैसे फेसबुक लाइव, यूट्यूब लाइव व तमाम तरह के एप के जरिए अवाम को कर्बला का वाकया बयान करें। नातों मनकबत पेश करें। दुआएं करें।

16. बेजुबान जानवरों व परिंदों के साथ रहमदिली से पेश आयें। उन्हें खाने-पीने का सामान मुहैया कराएं।

17. मस्जिदों के इमाम व मोअज्जिन की बकाया तनख्वाह दे दें और उन तक जरूरत का सामान पहुंचा दें।