टीबी का समय से इलाज न कराना या इलाज बीच में ही छोड़ देना हो सकता है घातक : डॉ विवेक

महराजगंज। खाँसने व छींकने से क्षय रोग या टीबी का प्रसार होता है। इसके प्रति बहुत सचेत रहना होगा । कोविड काल में तो दो गज की दूरी और मॉस्क बहुत जरूरी है क्योंकि कि कोरोना और टीबी के लक्षण मिलते जुलते हैं। टीबी का निदान और उपचार बिल्कुल मुफ्त है। टीबी के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है । अगर इसके लक्षण दिखें तो तत्काल जांच कराकर इलाज शुरू करना बेहद जरूरी है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि टीबी माइक्रो बैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलोसिस नामक जीवाणु से फैलता है। समय से इलाज न हो या इलाज बीच में ही छोड़ दिया जाए तो यह घातक हो जाता है। यह जीवाणु खास करके फेफड़ों को प्रभावित करता है। टीबी के जीवाणु मरीज के खाँसने व छींकने के दौरान निकलने वाले छोटे-छोटे कणों के साथ हवा में फैल जाते हैं तथा सांस लेने के दौरान स्वस्थ व्यक्ति में पहुंच जाते हैं।

उन्होंने कहा कि समय से पहचान में न आने वाला टीबी का एक मरीज एक वर्ष में 10-15 स्वस्थ व्यक्तियों में बीमारी का प्रसार करता है। टीबी दो प्रकार की होती है। पहला फेफड़े की टीबी और दूसरा अन्य अंगों जैसे हड्डी, ग्रंथी, आंत , जननांग आदि की टीबी।

उन्होंने कहा कि सरकार देश को 2025 तक टीबी मुक्त करने के लिए सतत प्रयत्नशील है। इसके लिए समय-समय पर टीबी रोगी खोजी अभियान चलाया जाता है। सक्रिय क्षय रोगी खोजी अभियान, राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का हिस्सा है।

देश को टीबी रोग मुक्त करने के लिए टीबी रोगियों की समय से पहचान कर उनका समुचित व निःशुल्क इलाज किया जाता है। इतना ही नहीं टीबी रोगियों को पौष्टिक आहार के लिए 500 रुपये प्रतिमाह ( इलाज की अवधि में ) निक्षय पोषण योजना के तहत उनके खाते में दिये जाते हैं।

टीबी रोग के लक्षण
-14 दिनों से ज्यादा का बुखार ।
– 14 दिनों से ज्यादा की खाँसी आना।
– सीने में दर्द रहना ।
– बलगम के साथ मुंह से खून आना।
-भूख कम लगना।
– वजन का घटना।
-बच्चों में वजन का न बढ़ना।
-रात में पसीना आना।

टीबी के संबंध में ध्यान देने योग्य बातें:-
– दो सप्ताह से अधिक समय से खाँसी आने पर बलगम की जांच कराएं।
-टीबी का इलाज अधूरा न छोड़ें
-जब तक चिकित्सक कहें तब तक टीबी की दवा खाएं।
-खाँसते व छींकते समय मुंह पर कपड़ा अवश्य लगाएं।

कैसे करें बचाव

-जब खाँसी लंबे समय तक बनी रहे तो चिकित्सक को दिखाएं ।
-टीबी रोगी हमेशा पौष्टिक आहार खाएं।
-यदि किसी टीबी मरीज से मिलें तो मॉस्क जरूर लगाए रहें।
-मरीज को हमेशा थूकदान में थूकने को कहें।