कुशीनगर। बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए ‘सांस ‘ (सोशल एवरेनेस एंड एक्शन टू न्यूटरलाइज निमोनिया सक्सेसफुली) सहायक सिद्ध होगा। इसके लिए जिले में विविध गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
यह जानकारी देते हुए अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.संजय गुप्ता ने बताया कि पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में 15 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु निमोनिया की वजह से होती है। निमोनिया की समय से पहचान एवं इलाज कर इनकी मृत्यु को रोका जा सकता है। इसके लिए सरकार ने ‘सांस’ एसएएएनएस” (सोशल एवरेनेस एंड एक्शन टू न्यूटरलाइज निमोनिया सक्सेसफुली) कार्यक्रम के लिए पहल की है।
उन्होंने बताया कि निमोनिया देश भर में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में स्वास्थ्य के लिए खतरा है। इसकी समय से पहचान और इलाज करके बच्चों की मृत्यु को रोका जा सकता है।
संरक्षण बचाव एवं उपचार द्वारा, शिशुओं को स्तनपान, समुचित अनुपूरक आहार, विटामिन ए की घोल,तथा टीकाकरण आदि से पर ध्यान देकर बच्चों की मृत्यु को कम किया जा सकता है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार ने ‘सांस’ कार्यक्रम संचालित करने का निर्णय लिया है।
कार्यक्रम के अंतर्गत बाल्यावस्था में निमोनिया के दौरान एमाक्सीसीलीन सिरप, डिस्पर्सेबुल टेबलेट तथा जेंटामाइसीन के प्रयोग को बढ़ावा देना है। पांच वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों में निमोनिया के प्रबंधन एवं उपचार के लिए गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ उच्च प्राथमिकता एवं अति संवेदनशील समुदाय में जागरूकता प्रदान करना भी है।
स्वास्थ्य इकाईयों पर निमोनिया के प्रबंधन एवं उपचार के लिए स्टाफ नर्स एवं मेडिकल आफिसर को स्किल बेस्ड प्रशिक्षण देने, आक्सीजन थेरेपी के साथ साथ दवाओं की उपलब्धता एवं उपयोगिता को बढ़ावा देना है।
कार्यक्रम के तहत जन समुदाय को बताया जाएगा कि स्वच्छता एवं हाथों की सफाई से परिवार को विभिन्न रोगों से बचाया जा सकता है, इसकी जागरूकता के लिए आशा और एएनएम को लगाया जाएगा।