लोकरंग

असोम का बिहू और बुंदेलखंड का राई नृत्य होगा लोकरंग-14 का प्रमुख आकर्षण

कुशीनगर। लोकरंग का 14 वां  दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम, 10 अप्रैल को प्रारंभ हो रहा है। इस अवसर पर देश के नामी लोक कलाकार, साहित्यकार, रंगकर्मी, चित्रकार और बहुरुपिया कलाकार आ रहे हैं। मुख्य आकर्षण-असोम का मशहूर बिहू नृत्य, जैसलमेर के मांगणियार लोक कलाकारों द्वारा विविध राजस्थानी लोक संस्कृतियों की प्रस्तुति और बुन्देलखण्ड का राई नृत्य होगा। विदेशी टीमों में अभी तक दक्षिण अफ्रीका के गिरमिटिया लोक कलाकार केमचंद लाल को वीजा मिल चुका है और वह लोकरंग में शामिल हो रहे हैं।

राजस्थानी लोकगीत और नृत्य प्रस्तुत करने वाले कलाकार उस्ताद आरबा संगीत संस्थान से जुड़े हुए हैं। जैसलमेर के ईमामदीन इस टीम के अगुआ हैं और उनकी अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति है। असम का बिहू नृत्य, मशहूर असमी कलाकार संगीता बर्मन और उनके साथी कलाकार प्रस्तुत करेंगे।

चन्दौली के बिरहा गायक-मंगल यादव स्वयं बिरहा लिखते और गाते हैं। वह कई मंचों पर पुरस्कृत हो चुके हैं। कुशीनगर के रामवृक्ष कुशवाहा, फरुवाही टीम के साथ पधार रहे हैं।

लोकरंग का प्रारंभ, गांव की महिलाएं द्वारा परंपरागत पीड़िया गीत की प्रस्तुति से होगी। लोकरंग सांस्कृतिक समिति द्वारा प्रकाशित वार्षिक पत्रिका ‘लोकरंग’ का लोकार्पण भी कार्यक्रम के प्रारम्भ में होगा।

संभावना कला मंच, गाजीपुर की 12 सदस्यों की टीम नौ अप्रैल को जोगिया गांव आ जाएगी और पूरे गांव को कला ग्राम के रूप में भित्ति चि़त्रों, परंपरागत कलाकृतियों से सजाकर लोक उत्सव की परंपरा को साकार करेगी।

 

लोकरंग कार्यक्रम की विचार गोष्ठी का अपना अलग महत्व रहा है और इसमें देश के महत्वपूर्ण साहित्यकार और रंगकर्मी भाग लेते हैं। इस वर्ष 11 अप्रैल को दिन में 11 बजे से ‘लोक का संकट और लोक साहित्य’ विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित की गयी है। गोष्ठी की अध्यक्षता मशहूर लोक संस्कृत मर्मज्ञ तैयब हुसैन करेंगे।

दोनों रात लोकशैली के बेहतरीन नाटक देखने को मिलेंगे। उर्मिलेश थपलियाल का नाटक ‘तुम सम पुरुष न मो सम नारी, परिवर्तन रंग मंडली, जीरादेई, सिवान की टीम प्रस्तुत करेगी। मुंशी प्रेमचंद की कहानी-बूढ़ी काकी का मंचन आजमगढ़ की सूत्रधार संस्था करेगी। हिरावल पटना के जनगीतों से लोकरंग समारोह नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

 

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