शबे बराअत आज : होगी इबादत, तिलावत व जियारत

गोरखपुर। शबे बराअत पर्व रविवार को अकीदत व एहतराम के साथ मनाया जाएगा। तैयारियां पूरी हो चुकी है। इस्लामी माह शाबान की 15वीं तारीख की रात को शबे बराअत के नाम से जाना जाता है। शबे बराअत का अर्थ होता है निज़ात या छुटकारे की रात।

मुसलमान इस रात शहर की छोटी-बड़ी तमाम मस्जिदों व घरों में इबादत व क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत कर अल्लाह से दुआ मांगेंगे। वहीं कब्रिस्तानों में जाकर पूर्वजों की कब्रों पर फातिहा पढ़कर उनकी बख्शिश की दुआ करेंगे। दरगाहों पर जियारत करने वालों की भीड़ उमड़ेगी। देर रात तक लोग नफिल नमाज अदा कर व तिलावत-ए-क़ुरआन कर अपना मुकद्दर संवारने की दुआ मांगेंगे। अगले दिन रोजा रखकर इबादत करेंगे। रविवार को दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद नार्मल में रात 10 बजे से जिक्रो नात की महफिल सजेगी। रात 12 बजे सलातुल तस्बीह की नमाज अदा की जाएगी। वहीं हुसैनी जामा मस्जिद बड़गो में रात 10 से 12 बजे तक ‘इज्तिमा शबे बराअत’ होगा। जिसमें मौलाना मो. उस्मान बरकाती, मुफ्ती मो. अज़हर शम्सी, कारी मो. अनस रज़वी का खिताब होगा।

घरों में बनेगा विभिन्न तरह का हलुवा

शबे बराअत पर घरों में तमाम तरह का हलुवा (सूजी, चने की दाल, गरी आदि का) बनना शनिवार की रात से शुरु हो गया है। लजीज व्यंजन तैयार करने का सामान साहबगंज आदि जगहों से खरीदा जा चुका है। शनिवार को खरीदारी में तेजी देखी गई। शबे बराअत में हलुवा व लज़ीज़ व्यंजन पक जाने के बाद उस पर फातिहा पढ़ी जाएगी। इस रात हज़रत ओवैस करनी अलैहिर्रहमां के नाम से फातिहा देने का दस्तूर है। इसके बाद लज़ीज़ व्यंजन व हलुवा को गरीब, बेसहारा, यतीमों में बांटा जाएगा। पास-पड़ोस व रिश्तेदारों में भी हलुवा भेजा जाएगा। जियारत करने वालों के लिए जगह-जगह टी स्टाल वगैरा भी लगाया जाएगा।

 

मस्जिद, दरगाह व कब्रिस्तान में साफ-सफाई पूरी

शबे बराअत के मौके पर महानगर की तमाम मस्जिदों, दरगाहों, कब्रिस्तानों की साफ-सफाई, रंग-रोगन का काम पूरा हो चुका है। दरगाहों व मस्जिदों को छोटी-छोटी लाइटों से सजाया गया है। नार्मल तिराहे पर दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद कब्रिस्तान, कच्ची बाग, बाले के मैदान के पास स्थित कब्रिस्तान, गोरखनाथ, रसूलपुर, हजारीपुर स्थित कब्रिस्तानों में लाइट लगाई गई हैं। लोग अपने पूर्वजों की कब्रों के आसपास साफ-सफाई कर चुके है ताकी जियारत के वक्त किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो। शबे बराअत में पूर्वजों की रूह के सुकून के लिए क़ुरआन ख्वानी व फातिहा ख्वानी की जाएगी।

उलेमा-ए-अहले सुन्नत ने जारी की है अपील

तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत ने अवाम से अपील की है कि आतिशबाजी, बाइक स्टंट और खुराफाती बातों से सख्ती के साथ बचा जाए। जिनकी फर्ज नमाजें कज़ा हो वह नफिल नमाजों की जगह फर्ज कजा नमाजें पढ़े। इस रात कसरत से इबादत की जाए। शबे बराअत व होलिका दहन एक साथ है। लिहाजा एहतियात बहुत जरूरी है। घरों व मस्जिदों में रहकर इबादत व क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत करें। बेवजह बाहर घूमकर अपना वक्त बर्बाद न करें। इस रात को फिजूल काम और इधर उधर गपशप में न गुजारें। बुरे काम न करें। लोगों को न सताएं। गीबत और चुगली में वक्त बर्बाद न करें। इबादत में सुस्ती व काहिली न करें। चाय खानों में रात न गुजारें। शबे बराअत में गुस्ल करें। इबादत की नियत से साफ सुथरे कपड़े पहनें। मिस्वाक करें। इत्र लगाएं। खैरात करें। फातिहा ख्वानी करें। कब्रों व वलियों की मजारों की जियारत करें। मुर्दों की बख्शिश की दुआ करें। बीमारों का हालचाल लें। तहज्जुद की नमाज पढ़ें। फर्ज कज़ा नमाज व नफिल नमाज अदा करें। दरूदो सलाम का नज़राना कसरत से पेश करें। सूरए यासीन शरीफ की खूब तिलावत करें। नेक काम ज्यादा करें। फिजूल काम बिल्कुल न करें। गरीबों, मोहताजों व जरूरतमंदों की मदद करें। खाना खिलाएं। इस रात के बाद अगले दिन का रोजा रखें।