लगातार तीसरी बार एस्मा लागू करना आपदा में अवसर तलाशने वाली कार्रवाई : माले

लखनऊ। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने योगी सरकार द्वारा लगातार तीसरी बार एस्मा (आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून) लागू करने को लोकतंत्र-विरोधी बताते हुए निंदा की है। पार्टी ने इसे आपदा में अवसर तलाशने वाली कार्रवाई कहा है, जो ट्रेड यूनियन अधिकारों पर कुठाराघात है।

पार्टी ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि यह डबल इंजन की सरकार का प्रदेश के श्रमिकों-कर्मचारियों पर डबल हमला है। इसके पहले केंद्र की मोदी सरकार अपनी चार श्रम संहिताएं (लेबर कोड) लागू कर मजदूर अधिकारों पर हमला बोल चुकी है। योगी सरकार कोरोना की आड़ में कर्मचारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों में कटौती कर रही है। वैसे भी एस्मा जैसे कानून काले कानूनों की श्रेणी में आते हैं और योगी सरकार छह-छह महीने का लगातार तीसरी बार विस्तार देकर कानून का बेजा और गैर-लोकतांत्रिक इस्तेमाल कर रही है।

माले ने कहा कि कोरोना से लड़ने की अगली कतार में शामिल स्वास्थ्य कर्मचारियों और स्कीम वर्करों की योगी सरकार में उपेक्षा हो रही है। सोलह सौ से ऊपर शिक्षकों-कर्मियों ने पंचायत चुनाव में ड्यूटी करते हुए कोरोना संक्रमण से अपनी जानें गंवा दीं। लेकिन सरकार जिस तरह कोरोना से आम मौतों को छुपाने में लगी है, उसी तरह ड्यूटी के दौरान हुई इन मौतों को भी नहीं स्वीकार कर रही है। उसे डर है कि जान गंवाने वाले शिक्षकों-कर्मचारियों के संगठन या उपेक्षित स्कीम वर्करों की यूनियनें अपने वाजिब हकों के लिए हड़ताल के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग न करने लगें। यह एक तरीके से उन्हें चुप कराने की कार्रवाई है। माले ने एस्मा को रद्द करने की मांग की।