गोरखपुर। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम से बनायी गयी रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) अब कोविड टीकाकरण महाभियान में सहयोग करेगी। कोविड के कम होते मामलों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने सभी अधीक्षक और प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को इस संबंध में निर्देश दिया है । आरआरटी, टीकाकरण में अधीक्षक और प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के दिशा-निर्देशों पर आवश्यकतानुसार योगदान देंगी। अभी तक यह टीम होम आइसोलेशन में रह रहे कोविड मरीजों की स्वास्थ्य जांच और अन्य सहयोग में जुटी हुई थीं।
आरबीएसके के नोडल अधिकारी डॉ. नंद कुमार का कहना है कि जिले के 19 ब्लॉक में 38 टीम कार्य कर रही हैं। प्राथमिक स्कूल और आंगनाड़ी केंद्र बंद होने और कोविड के मामले बढ़ने के कारण इन टीम को आरआरटी में बदल दिया गया था। आरआरटी शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में कार्य कर रही थीं। अब कोविड के मामले काफी कम हो चुके हैं लिहाजा शहरी आरआरटी (आरबीएसके टीम से बनी आरआरटी) को भी वापस मूल स्थान पर भेज दिया गया है। स्कूल अब भी बंद चल रहे हैं और टीकाकरण के महाभियान का पॉयलट प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है, इसलिए इन टीम का योगदान टीकाकरण में भी लिया जाएगा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के अधीक्षकों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को इस संबंध में दिशा-निर्देश दिया गया है।
डॉ. नंद कुमार ने बताया कि टीकाकरण के जनजागरूकता, पंजीकरण, रिपोर्टिंग आदि जो भी कार्य हैं, उनमें अधीक्षक और प्रभारी चिकित्सा अधिकारी चिकित्सा इकाई के आवश्यकता के अऩुसार आरआरटी से योगदान लेंगे। आरआरटी में चिकित्सा अधिकारी, स्टॉफ नर्स, फार्मासिस्ट या ऑप्टोमैट्रिस्ट होते हैं। आरबीएसके की एक टीम में दो चिकित्सा अधिकारी, एक पैरामेडिकल स्टाफ और एक स्टॉफ नर्स होते हैं और प्रत्येक ब्लॉक में दो टीम कार्य कर रही हैं। अभी तक आरआरटी होम आइसोलेशन मरीजों को फोन कर फॉलो अप करने, मौके पर पहुंच कर मरीज की मदद करने, दवा पहुंचाने, मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाने और मरीजों के एप पर रिपोर्टिंग के कार्य में जुटी हुई थी। जहां भी कोविड के केसेज होंगे वहां आरआरटी यह कार्य जारी रखते हुए संबंधित अधिकारी का टीकाकरण में आवश्यकतानुसार सहयोग करेगी।