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वैश्वीकरण के युग में स्थानीयता के परिप्रेक्ष्य से समाजशास्त्रीय अध्ययन आवश्यक : प्रो अंसारी

गोरखपुर। जामिया मिल्लिया इस्लामिया नई दिल्ली के समाजशास्त्र विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो अरविंदर अंसारी ने कहा है कि वैश्वीकरण के युग में स्थानीयता के परिपेक्ष्य से समाजशास्त्रीय अध्ययन आवश्यक हैं। हाशिये के समूहों विशेषकर महिला, दलित एवं अल्पसंख्यकों के परिपेक्ष्य से अध्ययन किये जाने चाहिए।

प्रो अंसारी आज दी द यू गोरखपुर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में ‘ रिसर्च मेथोडोलॉजी इन सोशल साइंसेज ‘ विषय पर चल रही सात दिवसीय कार्यशाला के समापन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने भारतीय शोध परंपरा के इतिहास यात्रा को स्पष्ट करते हुए भारतीय समाजशास्त्रियों के योगदान को रेखांकित किया।

ऑनलाइन संचालित हुई यह कार्यशाला पीएचडी के छात्रों के लिए आयोजित की गई थी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय सचिव डॉ बालमुकुंद पाण्डेय ने कहा कि छात्रों में शोधपरक मानसिकता का निर्माण अत्यंत आवश्यक है। शोध की वृत्ति हेतु उपयुक्त वातावरण भी निर्मित होना चाहिए।

कुलपति प्रो राजेश सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि शोध की गुणवत्ता से ही विश्वविद्यालयों का स्तर बढ़ेगा। उन्होंने समाजशास्त्र विषय में शोध पद्धति पर कार्यशालाओं के आयोजन के महत्व को रेखांकित किया।

कार्यक्रम में स्वागत भाषण प्रो. संगीता पाण्डेय ने किया। रिपोर्ट प्रस्तुतीकरण कोर्स समन्वयक डॉ अनुराग द्विवेदी एवं आभार ज्ञापन प्रोफेसर सुभी धुसिया ने किया। संचालन डॉ मनीष पांडेय ने किया। कार्यक्रम के दौरान प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव, प्रो. कीर्ति पांडेय, प्रो अंजू, पवन कुमार, दीपेंद्र मोहन सिंह, प्रकाश प्रियदर्शी सहित सभी शोधार्थी उपस्थित रहे।

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