पूरी जानकारी मिली तो लगवाया बच्चों को टीका

देवरिया। जानलेवा बीमारियों से बच्चों को बचाने के लिए विलेज हेल्थ एंड न्यूट्रिशन डे (वीएचएनडी) सत्र पर टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाता है। इसके तहत टीकाकरण की टीम बुधवार को  गौरीबाजार ब्लॉक के इन्दुपुर के बांसफोर बस्ती में पहुंची, तो बांसफोर समुदाय के कुछ परिवार के मुखिया और बैतालपुर ब्लाक के बटुलहि में कुछ अन्य परिवार के लोगो ने  अपने-अपने बच्चों और घर की गर्भवती के को  टीकाकरण के लिए मना  कर दिया। इसकी सूचना स्वास्थ्य कर्मियों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर दी। सूचना के बाद पहुंचे सीएचसी प्रभारी और यूनिसेफ के डीएमसी के काफी समझाने पर लोगों ने बच्चों का टीकाकरण कराया।
गौरीबाजार के बांसफोर बस्ती के नरेंद्र, छोटू और रविंद्र  को भ्रम था कि टीकाकरण के पश्चात बच्चे बीमार हो जाते हैं, जिनके उपचार के लिये उनके पास रुपये नहीं हैं। मौके पर मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने लोगों को काफी समझाया, लेकिन बच्चों के टीकाकरण के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। इसकी सूचना स्वास्थ्य कर्मियों ने सीएचसी प्रभारी बीएन गिरी को दिया। सूचना के बाद डॉ. बीएन गिरी और यूनिसेफ के डीएमसी गुलजार त्यागी टीकाकरण स्थल पर पहुंचे और तीनो को काफी समझाया।
उन्हें बताया  गया कि कुछ टीकों के बाद सामान्य बुखार होता है जिसकी निःशुल्क दवा दी जाती है । इसके बाद बच्चों को पोलियो, टीवी, डिप्थिीरिया, टिटनेस, काली खांसी, हेपेटाइटिस बी, निमोनिया और खसरा के टीके लगाए गए।  बैतालपुर ब्लॉक के बटुलहि में टीकाकरण सत्र के दौरान गांव के रवद्रिं गिरी, आलोक ने अपने बच्चे और उपेंद्र गिरी ने गर्भवती पत्नी को टीका  लगवाने से मना कर दिया। एएनएम सुमन यादव और आशा कार्यकर्त्ता किरन सिंह ने लोंगो को काफी समझाया पर लोग समझने को तैयार नहीं थे। इसकी सूचना मिलते ही यूनिसेफ के डीएमसी गुलजार त्यागी, डॉ. दिनेश यदव और बीएमसी अमर सिंह मौके पर पहुंचे और उन्होंने लोगों को समझाया बुझाया। उन्होंने लोंगो को जागरूक करते हुए  पोलियो, टीबी, डप्थिीरिया, टिटनेस, काली खांसी, हेपेटाइटिस बी, निमोनिया और खसरा के टीके के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि  गर्भवती को गर्भावस्था के दौरान जल्दी से जल्दी टिटनेस टॉक्साइड (टीटी) के दो टीके लगाये जाने चाहिए। इन टीकों को टीटी-1 एवं टीटी-2 कहा जाता है। इन दोनो टीकों के बीच 4 सप्ताह का अंतर रखना आवश्यक  है। यदि गर्भवती  पिछले तीन वर्ष में टीटी के 2 टीके लगवा चुकी है तो उसे इस गर्भावस्था के दौरान केवल बूस्टर टीटी का टीका ही लगवाया जाना चाहिये। इसके बाद लोगों ने टीकाकरण कराया।
यूनिसेफ के डीएमसी गुलजार त्यागी का कहना है टीटी वैक्सीन सभी गर्भवती को दिये जाने से उनका व उनके बच्चे का टिटनेस रोग से बचाव होता है। टिटनेस नवजात  के लिये एक जानलेवा रोग है। इससे  उन्हें जकड़न और मांसपेशियों में गंभीर एठन हो जाती है। कभी-कभी पसलियों में जकड़न के कारण  शिशु सांस नही ले पाते हैं और इसी कारण उनकी मुत्यु भी हो जाती है।
टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार अस्पताल या किसी अन्य संस्थान में जन्म लेने वाले सभी शिशुओं को जन्म लेने के 24 घन्टे के भीतर बीसीजी का टीका, पोलियो की खुराक और हेपेटाईटिस बी का टीका लग जाना चाहिये। डेढ़ माह (6 सप्ताह) का होने पर ओपीवी, रोटा वायरस वैक्सीन, एफ-आईपीवी, पीसीवी (न्यूमोकोकल कोन्जूगेट वैक्सीन) और पेन्टावेलेन्ट का पहला टीका दिया जाता है। पहला टीका लग जाने के 28 दिवस बाद शिशु को ओपीवी, रोटा वायरस वैक्सीन और पेन्टावेलेन्ट का दूसरा टीका दिया जाता है। दूसरा टीका लग जाने के 28 दिवस बाद ओपीवी, रोटा वायरस वैक्सीन की तीसरी, एफ-आईपीवी, पीसीवी (न्यूमोकोकल कोन्जूगेट वैक्सीन) की दूसरी और पेन्टावेलेन्ट का तीसरा टीका दिया जाता है।