करूणाकर
मैं गोण्डा 2017 के मध्य से हॅू। हर पगडंडी को गौर से देखता रहा। परसपुर से जब भी गुजराए अदम गोडवीं के गाॅव की पगडंडी कविता से निकलकर मेरे सामने आती। मैं, अदम के घर जाने की हिम्मत जुटाता रहा। एक दिन आटा परसपुर की उस पगडंडी से अदम के गाॅंव जाने को चला। पगडंडी के मोड़ पर मिले नौजवानों से अदम गोडवीं के घर का रास्ता पूंछा तो पता चला इस पगडंडी की पिच सड़क अदम गोडवी के दरवाजे पर खत्म होती है। रास्ते में मिलने वालों ने आश्वस्त किया यह रास्ता अदम गोडवी के दरवाजे पर खत्म होगा।
गाॅंव में पानी भरी पगडंडी के बगल से हम अदम गोंडवी के घर जाने वाले रास्ते पर मौन और इशारों में नीम के पास वाले घर की तरफ बढ़े। ग्रामीणों की नजरें अलग-अलग दिशा सेें हम अजनवियों को देख रही थीं। बरामदे में तख्त पर लेटे बीमार व्यक्ति को हमने आवाज दिया, तब तक अदम गोंडवी के सामने वाले घर के दरवाजे से आये सज्जन ने हमे नीम के नीचे पड़ी कुर्सीयों पर बैठाया। कुछ देर बाद घर से निकली एक महिला ने हम लोगों को पीने के लिए पानी मंगाया।
वह पड़ोसी सज्जन अदम गोडवीं के चाहने वालों का अनुमान लगाकर हमारे साथ घुल मिल गये। पानी आ चुका फिर बढ़िया चाय आई। चाय खुद कमला देवी (अदम गोंडवी की पत्नी) लेख आयीं थी। अदम गोडवीं की धर्म पत्नी के खुश मिजाज व्यवहार से हम अभिभूत हो गये।
अदम गोडवीं जी के कमरे में जाकर हमें उनको प्राप्त पुरस्कार व स्मृति चिन्ह अलमारी में सजे दिखे। किताबें भी अलमारी में सादगी के साथ एक पर एक रखी हुई थी। दीवारों पर उनकी बड़ी सी कलेण्डर साइज तस्वीर लगी हुई थी। हमें सुखद अनुभूति हो रही थी। पड़ोसी सज्जन बता रहे थे कि अदम जी का फूस का घर हुआ करता था। उनकी दरियादिली और मेहमान नवाजी का अलग ठाठ था। पड़ोसी अदम गोडवीं को अदम जी कहकर सम्बोधित करते साथ-साथ उनकी कविताओं की पंक्तियों को प्रसन्नतापूर्वक दोहराते तो लगता कि कविता की सुगन्ध आस-पास बिखरी हुई है।
सपा सरकार के समय एक कलेक्टर ने अपने व्यक्तिगत प्रयासों से अदम गोंडवी के फूस की झोपड़ी को पक्के मकान में आग्रहपूर्वक बदल दिया। सपा शासन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पाॅंच लाख का चेक उनके छोटे भाई को भंभुआ की जनसभा में दिया था।
अदम जी के छोटे भाई इस समय बिस्तर पर बीमार पड़े हैं। फालिज के प्रभाव से अचलस्थ हैं। अदम के पुत्र बिजली विभाग में संविदा की नौकरी पर हैं, जबकि उनके भतीजे दिलीप सिंह दिल्ली में हैं। एक विजिटिंग कार्ड मिला जिस पर अदम गोंडवी का परिचय ‘ खतरनाक जनकवि ’ के रूप में है।
अदम गोंडवी का 18 दिसम्बर, 2011 को निधन हुआ। उनके खेत के जिस कोने में उनका दाह संस्कार हुआ उसे समाधि स्थल में तब्दील कर दिया गया है। उनके नाम से विद्यालय खोलने की सरकार की मंशा पर उनके परिवार ने समाधि स्थल के पास सहर्ष जमीन उपलब्ध कराया। अब यहाँ विद्यालय बन गया है और इसके प्रांगण के एक कोने में उनकी समाधि स्थल है। जब हम समाधि स्थल देखने गए तभी कमला देवी हमें ओम् निश्चल के सम्पादन में प्रकाशित अदम की कविताओं का संग्रह देने आ गयीं।
21, मई 2021 को मैं अदम जी के घर गया था। उस वक्त मैंने सोचा था कि उनके चाहने वालों तक अपनी इस आकस्मिक यात्रा की खुशबू महसूस कराऊं। आज जब 18 दिसम्बर 2021 को अदम जी की पुण्यतिथि है, इस यात्रा की यादें आप मित्रों से बांटना मेरे द्वारा अदम जी के लिए श्रद्धांजलि है।
(लेखक पेशे से इंजीनियर हैं। उनकी गजलें कई पत्रिकाओं में छपी हैं )