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सावित्रीबाई फुले के सपनों का शिक्षित नारी समाज बनाने का संकल्प

गोरखपुर। सावित्रीबाई फुले के जन्म दिन की पूर्व संध्या पर पर दो दिसंबर को पैडलेगंज स्थित सैथवार मल्ल महासभा में ‘स्त्री की सामाजिक चुनौतियां और सावित्रीबाई फुले का चिंतन’ विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम में सावित्रीबाई फुले के सपनों का शिक्षित नारी समाज बनाने का संकल्प लिया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत आधुनिक भारत की प्रथम शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर, मोमबत्ती जलाकर कर एवं केक काटकर की गई। राष्ट्रीय सैंथवार मल्ल महासभा के अध्यक्ष डॉ. अंशुमान सिंह ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि सावित्रीबाई फुले का चिंतन और उनका संघर्ष आज के समाज का मार्गदर्शक मूल्य है। महासभा के संसाधन ऐसे कार्यक्रमों के लिए सदैव उपलब्ध रहेंगे।
हिंदी की शोधार्थी पद्मिनी मल्ल ने माता सावित्रीबाई फुले के जीवन और साहित्य से सभी को परिचित कराया। एमजीपीजी कॉलेज की सहायक प्रोफेसर (बॉटनी) डॉ. अनीता कुमारी ने कहा कि शिक्षित स्त्री ही आत्मनिर्णय की क्षमता से युक्त हो सकती है। इस दिशा में भारत की स्त्रियों को बढ़ने के लिए माता सावित्रीबाई फुले के संघर्ष अनुकरणीय हैं।
डॉ. सुनीता ने कहा कि सावित्रीबाई एवं फातिमा शेख जैसों के संघर्षों से भारतीय स्त्री के लिए शिक्षा के द्वार तो खुले परंतु तार्किक, वैज्ञानिक और मौलिक चिंतन की जो अपेक्षा की गई थी, उसके लिए अभी स्त्री को अन्य प्रयास भी करने होंगे। इसमें उन्होंने ने धार्मिक रूढ़ियों एवं कर्मकांडों से मुक्त होने पर जोर दिया।
आचार्य नरेंद्र देव किसान पीजी कॉलेज गोंडा में सहायक प्रोफेसर डॉ. अमृता सिंह ने कहा कि आज भी स्त्री के जीवन मूल्य पितृसत्ता ही तय कर रही है। बाजारवाद स्त्री के संबंध में नित नए-नए प्रयोग कर नियंत्रित करता रहता है। आज भारत की स्त्रियों को उद्घोष करना होगा कि हम किसी भी तंत्र के हाथ के खिलौने नहीं हैं, हमे अपने जीवन मूल्य स्वयं तय करने होंगे।
डॉ. विजयश्री मल्ल ने कहा कि माता सावित्रीबाई फुले और फातिमा बीबी के संघर्षों के बदौलत हम आज पढ़ पाए और पढ़ा रहे हैं। सावित्रीबाई फुले स्त्री अस्मिता की जिंदा मिशाल है। ऐसे प्रेरक व्यक्तित्व समाज की दिशा एवं दशा के लिए हमेशा याद किए जायेंगे।
शिक्षिका नीतू सिंह ने कहा कि आज पढ़ी लिखी स्त्री तक भी विभिन्न भेदभाव की शिकार होती रहती है। शासन, प्रशासन एवं अन्य शक्ति प्रतिष्ठानों में उसकी भागीदारी की कमी चिंताजनक है। केवल महिलाओं द्वारा एवं केवल महिलाओं के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में आज की महिलाओं की सामाजिक चुनौती के समाधान के लिए माता सावित्रीबाई फुले के दर्शन को प्रासंगिक माना गया।
इस अवसर पर ‘सावित्रीबाई फुले समाज कल्याण समिति, गोरखपुर’ के सौजन्य से ‘ज्ञान ज्योति सावित्रीबाई फुले की संक्षिप्त जीवनी’ पुस्तिका का वितरण किया गया। दीपदान आयोजन महोत्सव समिति, कुशीनगर (DMASK) के सौजन्य से शिक्षिका एवं चित्रकार पूजा सिंह की पेंटिग से विकसित गौतम बुद्ध का कलेंडर एवं ‘बुद्ध से कबीर तक’ ट्रस्ट द्वारा माता सावित्रीबाई फुले की स्मृति में प्रिंटेड की-रिंग भेंट किया गया।
गुजरात के पूर्व डीजीपी,  ‘बुद्ध से कबीर तक ‘ ट्रस्ट के संरक्षक एवं अहमदाबाद विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. विनोद मल्ल ने शुभकामना संदेश में कहा आज भारत की स्त्रियों में सावित्रीबाई फुले की चर्चा सामाजिक जागरूकता का प्रतीक है। ट्रस्ट ऐसे किसी भी सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन के लिए सहयोग करता रहेगा।
इस अवसर पर पर प्रियंका चौधरी, आयुष्मति सिंह, डॉ. अनामिका सिंह, ज्योति पासवान, खुशबू गुप्ता, पिंकी, अनीता रानी, पूजा चौधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अंत में सभी ने सावित्रीबाई फुले के सपनों का शिक्षित नारीमय समाज बनाने का संकल्प लिया।
मंच का संचालन संगम साहनी और धन्यवाद ज्ञापन ब्यूटीशियन मीरा सिंह ने द्वारा किया गया। इस गोष्ठी में नेहा भारती, स्मिता गौतम, विनीता, संगीता, रीता सिंह, प्रियंका, आंचल, काजल गौतम, शालू, प्रिया तिवारी, नीलू सिंह, नीलम श्रीवास्तव, सुमन मोदनवाल, पूनम मौर्या, सरिता मौर्या, गरिमा मल्ल, सुनीता पासवान, लक्ष्मी, करिश्मा साहनी, नेहा साहनी, अनामिका राव, अनुष्का राव, पिंकी भारती, पूजा चौधरी सहित सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया।