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वरिष्ठ साहित्यकार नरसिंह बहादुर चंद नहीं रहे

गोरखपुर। कवि-साहित्यकार एवं साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था संगम के अध्यक्ष नरसिंह बहादुर चंद का आज निधन हो गया। वे 84 वर्ष के थे। उन्होंने अपनी संस्था ‘ संगम ’ के जरिए शहर में साहित्यिक वातावरण को जीवंत बनाने और नए रचनाकारों को मंच देने का महत्वपूर्ण कार्य किया।

श्री चंद को एक पखवारे पहले 15 दिसम्बर को नेहा पत्रिका द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया था। वर्ष 2019 में हिंदी संस्थान ने उन्हें साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित किया था।

उनके निधन पर नगर के साहित्यकारों ने शोक व्यक्त किया है। वरिष्ठ कवि एवं विमर्श केन्द्रित संस्था आयाम के संयोजक देवेन्द आर्य ने नरसिंह बहादुर चंद के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि गोरखपुर में साहित्यिक माहौल पैदा करने और उसे बनाये रखने के लिए श्रीकृष्ण श्रीवास्तव के बाद जिस व्यक्ति का सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान रहा है , वे नरसिंह बहादुर चंद आज सदा के लिए विदा हो गये। एक समय में गोरखपुर की कविता पीढ़ी को पीढ़ा देने का जो काम श्रीकृष्ण जी की संस्था ‘ अमृत कलश ’ ने किया था वही काम चंद जी की संस्था ‘ संगम ’ ने दशकों तक किया.

श्री आर्य ने कहा कि यह संयोग ही है कि बीते वर्ष की के आखिरी माह में माह में ‘ नेहा ’ के तत्वावधान में कवि श्रीधर मिश्र के काव्य संग्रह के लोकार्पण अवसर पर उसी मंच से चंद जी का नागरिक अभिनन्दन किया गया था जिसमें स्वप्निल श्रीवास्तव, अष्टभुजा शुक्ल, चितरंजन मिश्र, विमलेश मिश्र, अमित कुमार, अजय कुमार सिंह और शहर के तमाम गण्यमान लोग उपस्थित थे. चैरासी वर्षीय कवि और संगठनकर्ता चंद जी इस उम्र में भी अपनी ऊर्जा से नवोदितों को प्रेरित करते रहते थे।

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