बहराइच। बिछिया में 21 नवंबर को वन अधिकार आंदोलन की ग्राम स्तरीय संगठन की बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता बुजुर्ग वन निवासी राम प्रकाश सोनी ने की। बैठक में वन अधिकार कानून की क्रियान्वयन की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की गई और भविष्य की कार्य नीति बनाई गई।
चर्चा की शुरुआत करते हुए सामुदायिक नेतृत्वकर्ता सलाहुद्दीन खान ने कहा कि प्रदेश में अब तक 13 जिलों के 93000 लोगों में से 33000 लोगों को अधिकार पत्र प्राप्त हो चुका है। अन्य जिलों के मुकाबले बहराइच में वन अधिकार कानून के तहत अधिकार पत्र पाने वालों की संख्या में भारी कमी है।
रघुवीर वर्मा ने कहा कि वन अधिकार कानून में सभी वन ग्रामों, पुरानी बसाहटों और वन बस्तियों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित किए जाने और वहां के निवासियों को अधिकार दिए जाने का प्रावधान है किंतु वन प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा नियमों की अनदेखी करके भेदभाव किया जा रहा है और केवल वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने का काम चल रहा है।
मोहम्मद सगीर ने कहा कि उपखंड स्तरीय समिति द्वारा जानबूझकर लोगों के दावे खारिज किए जा रहे हैं और उन्हें लिखित सूचना भी नहीं दी जा रही है जिससे कि वह अपील भी ना कर पाएं।
विमला देवी ने कहा कि जिला अधिकारी के आगमन पर उनका स्वागत किया जाएगा और उन्हें की समस्याओं से अवगत कराया जाएगा।
बैठक की अध्यक्षता कर रहे राम प्रकाश सोनी ने कहा कि जहां एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिलाधिकारी बहराइच डॉ दिनेश चंद्र लगातार वन निवासियों के लिए दृढ़ संकल्पित होकर कार्य कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर उनके अधीनस्थ अधिकारी लगातार वन ग्रामों की उपेक्षा कर रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याओं से वन निवासी झेल रहे हैं लेकिन स्थानीय कर्मचारी उस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
बैठक में सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी ने कहा कि जब से लोगों को वन अधिकार मिलने शुरू हुए हैं तब से वन विभाग का उत्पीड़न और भी ज्यादा बढ़ गया है। ककरहा बुलडोजर कांड और मुर्तिहा में लोगों के घरों के सामने दीवार खड़ी किया जाना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
बैठक को डॉ राकेश कुमार, सूर्य देव ,रामसमुझ मौर्य, मनोज कुमार ,महेंद्र ,प्रभुनाथ राजकुमारी आदि ने संबोधित किया।