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कवि योगेन्द्र नारायण चतुर्वेदी “वियोगी ” नहीं रहे

देवरिया। नागरी प्रचारिणी सभा देवरिया की कार्यसमिति के सदस्य रहे लोकप्रिय कवि, साहित्यकार योगेन्द्र नारायण चतुर्वेदी”वियोगी” का 22 जनवरी को निधन हो गया। उनके निधन की सूचना मिलने पर समिति के सदस्यों द्वारा श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई और दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की गई। सभा के मंत्री डॉ अनिल कुमार त्रिपाठी ने सदस्यों को इस दुःखद घटना की सूचना दी।

श्रद्धांजलि सभा में सभाध्यक्ष आचार्य परमेश्वर जोशी ने कहा कि वियोगी जी हंसोड़ स्वभाव के वे सरल व्यक्ति थे। उनका सभा से अटूट लगाव था। उनके निधन से जो स्थान रिक्त हुआ है उसे भरा नहीं जा सकता।
डॉ दिवाकर प्रसाद तिवारी ने कहा वियोगी जी नैतिक आक्रोश के कवि थे। सत्ता संस्थानों का दुहरा चरित्र उन्हें रास नहीं आया। उन जैसा स्वाभिमानी व्यक्ति मिलना मुश्किल है।

डॉ चतुरानन ओझा ने कहा कि वियोगी जी बड़ी से बड़ी बात को सहज ढंग से कह जाने में सिद्धहस्त थे। उनकी कविताओं में समाज और व्यक्ति का द्वन्द्व स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। सही मायने में वे जन कवि थे।

सभा के सदस्य विजय प्रसाद ने कहा कि वियोगी जी इस सभा के धरोहर थे। उनका अचानक जाना हम सबको मर्माहत कर गया। ऐसे सरल स्वभाव के लोग कभी कभी मिलते हैं।

सभा के मंत्री डॉ अनिल कुमार त्रिपाठी ने वियोगी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनकी रचनाओं और संस्मरणों को सभा में संजोकर रखने की बात कही। इसी तरह सभा में पूर्व मंत्री इन्द्र कुमार दीक्षित, सरोज कुमार पांडेय, रमेश चंद्र त्रिपाठी, बृजेन्द्र मिश्र, हिमांशु सिंह, जितेंद्र प्रसाद तिवारी, उद्भव मिश्र, आदि ने वियोगी जी से जुड़े अपने अपने संस्मरण सुनाए। इस अवसर पर ह्रदय नारायण जायसवाल, भृगुदेव मिश्र, महेश कुमार मिश्र, सतीश चंद्र भास्कर, आदि गणमान्य उपस्थित रहे।

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