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“ जनता के सपनों को मृत्युग्रस्त बनाने वाली ताकतों के खिलाफ संगठित संघर्ष जरूरी ”

देवरिया। शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत की 92वीं बरसी पर इंकलाबी नौजवान सभा द्वारा भलुअनी स्थिल अभयानंद इंटर कॉलेज शिव धरिया भलुअनी के गंगा प्रसाद सिंह स्मृति सभागार में ‘ भगत सिंह और आज का भारत विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

संगोष्ठी के मुख्य वक्त जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि शहीदे आजम भगत सिंह देश की जनता के दिल में हैं और लाखों-करोड़ों लोग उनके जीवन और विचार से प्रेरणा लेते हैं। भगत सिंह और उनके साथियों ने देश को आजादी दिलाने के लिए ही नहीं बल्कि अन्याय पर आधारित समाज व्यवस्था में आमूल परिवर्तन के लिए संघर्ष किया और इसके फी, शहादत दी। उन्होंने तबके भारत की स्थिति पर कहा था कि ‘ समाज का प्रमुख अंग होते हुए भी आज मजदूरों को उनके प्राथमिक अधिकार से वंचित रखा जा रहा है और उनकी गाढ़ी कमाई का सारा धन शोषक पूंजीपति हड़प जाते हैं। दूसरों के अन्नदाता किसान आज अपने परिवार सहित दाने दाने को मोहताज हैं। दुनिया भर के बाजारों को कपड़ा मुहैया कराने वाले बुनकर अपने तथा अपने बच्चों काके तन ढकने भर को भी कपड़ा नहीं पा रहा है। सुन्दर महलोें का निर्माण करने वाले राजगीर, लोहार, बढ़ई स्वंय गंदे बाड़ों में रहकर ही अपनी जीवन लीला समाप्त कर जाते हैं। इसके विपरीत समाज के जोंक शोषक पूंजीपति जरा जरा सी बातों के लिए लाखों का वारा न्यारा कर देते हैं। देश को आमूल परिवर्तन की आवश्यकता है और जो लोग इस बात को महसूस करते हैं उनका कर्तव्य है कि साम्यवादी सिद्धान्तों पर समाज का पुनर्निमाण करें। जब तक यह नहीं किया जाता और मनुष्य का मनुष्य का और एक राष्ट्र का दूसरे राष्ट्र का शोषण जिसे साम्राज्यवाद कहते हैं, समाप्त नहीं किया जा सकता। ‘

 

श्री सिंह ने कहा कि भगत सिंह के इन विचारों के आलोक में आज के भारत की स्थिति को देखें तो आजाद भारत में मजदूरों, किसानों, नौजवानों, दलितों-आदिवासियों, महिलाओं की स्थिति और भी दयनीय होती गयी है। उन्होंने देश में बढ़ती असमानता का जिक्र करते हुए कहा कि आज देश के एक फीसदी सबसे अमीर लोगों ने देश की 40 फीसदी से अधिक सम्पत्ति पर कब्जा कर लिया है। दस फीसदी लोगों के पास देश की 77 फीसदी सम्पत्ति इकट्ठी हो गई है। हर रोज 70 नए करोड़पति पैदा हो रहे हैं जबकि हर सेकेंड दो व्यक्ति गरीब हो रहे हैं। देश के 21 अरबपतियों के पास 70 करोड़ भारतीयों से अधिक सम्पत्ति है। देश के 100 सबसे अमीर लोगों के पास 54 लाख करोड़ की सम्पत्ति है जो देश के 18 महीने के बजट के बराबर है। कोरोना महामारी के दौर में अरबपतियों के सम्पत्ति में 121 फीसदी बढ़ गई।

उन्होंने कहा कि सरकार पढ़ाई, सेहत पर जीडपी का एक फीसदी से कुछ ही ज्यादा खर्च कर रही है। देश के आम लोगों से सबसे ज्यादा अप्रत्यक्ष कर वसूला जा रहा है जबकि अमीरों को टैक्स में छूट दी जा रही है और सार्वजनिक बैंकों से दिए गए कर्ज को माफ किया जा रहा है। हाल के वर्षों में पूंजीपतियों के 11 लाख करोड़ कर्ज माफ कर दिया गया। देश में आज 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं और 19 करोड़ से अधिक लोग भरपेट भोजन नहीं मिल रहा है। ऐसी दारूण स्थिति में भी सरकारें रोज चंद पूंजीपतियों के पक्ष में लगातार नीतियां बना रही हैं।

श्री सिंह ने कहा कि जब देश आजाद हुआ था तब उस पर एक पैसे का विदेशी कर्ज नहीं था लेकिन आज अपने देश पर  620.7 अरब डालर (अक्टूबर 2022) का विदेशी कर्ज है। यह हमारे जीडीपी का करीब 20 प्रतिशत है। हरेक भारतीय पर 32 हजार रूपए का विदेशी कर्ज है। पिछले सात वर्ष में हर व्यक्ति पर छह हजार रूपए का विदेशी कर्ज बढ़ गया।

देश के नौ करोड़ से अधिक किसान परिवारों की मासिक आमदनी सिर्फ 10,218 रूपए है। आठ साल पहले किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया गया था लेकिन इन वर्षों में सरकारी आंकड़ों के अनुसार सिर्फ 26 फीसदी ही आय बढ़ी है जबकि इस दौरान खाद, बिजली, डीजल पेट्रोल का दाम बहुत ज्यादा बढ़ गया। बढ़ते कृषि संकट के कारण हर वर्ष पांच हजार से अधिक किसान आत्महत्या कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि देश में युवाओं की आाबदी 37 करोड़ है। पूरी दुनिया में भारत सबसे युवा देश है। इस स्थिति में युवाओं की शिक्षा और रोजगार पर सबसे अधिक खर्च किया जाना चाहिए था लेकिन शिक्षा और रोजगार के कार्यक्रमों में बहुत कम खर्च किया गया। पढ़ाई महंगी कर देश के गरीबों को उच्च शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। देश इस समय आजादी के बाद से सबसे बड़े बेरोजगारी का संकट झेल रहा है। हर वर्ष दो करोड़ रोजगार का दावा करने वाली मोदी सरकार में केन्द्र के दस लाख से अधिक सरकारी पद खाली है। नौकरी पाने की उम्र में नौजवानों के लिए अग्निवीर जैसी योजना पेश कर उनके सपनों पर कुठाराघात किया जा रहा है। आज युवा भारत बेरोजगार भारत में तब्दील हो गया है। अपने सपनों को मरता देख युवा आत्महत्या करने को मजबूर है। पिछले तीन वर्षों में 9,140 युवाओं ने बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या कर ली। पिछले आठ वर्षों में बेरोजगारी के कारण आत्महत्या 60 फीसदी बढ़ गई है।

उन्होंने कहा कि भगत सिंह ने कहा था कि यदि कोई सरकार जनता को उसके मूलभूत अधिकारों से वंचित रखती है तो जनता का केवल यह अधिकार ही नहीं बल्कि आवश्यक कर्तव्य भी बन जाता है कि ऐसी सरकार सत्ता से बेदखल कर दे। आज हमें देश की जनता के सपनों को मृत्युग्रस्त बनाने वाले शासकों और ताकतों के खिलाफ संगठित संघर्ष की जरूरत है।

संगोष्ठी की अध्यक्षता अभयानंद शिक्षण संस्थान के कुल मुख्य रमेश सिंह ने किया। संचालन इंकलाबी नौजवान सभा के संयोजक राजेश कुमार मल्ल ने किया।

संगोष्ठी को सेवनिवृत्त कर्नल प्रमोद शर्मा ने सम्बोधित करते हुए अपने पिता पूर्व सांसद विश्वनाथ राय के हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन से जुड़ाव को याद किया। शिक्षा अधिकार आंदोलन के नेता डॉक्टर चतुरानन ओझा, प्रेमलता पांडे एडवोकेट, भाकपा माले राज्य स्थाई समिति के सदस्य राजेश साहनी, रामकिशोर वर्मा, रणविजय आदि ने संगोष्ठी को सम्बोधित किया।

संगोष्ठी की शुरुआत शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के चित्र पर पुष्प अर्पित कर कि गई। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम के आयोजक राजेश कुमार मल्ल ने अग्निवीर योजना वापस लेने, नगर पंचायत में शहीदे आजम भगत सिंह राजगुरु सुखदेव की प्रतिमा व वाचनालय स्थापित करने, अभिव्यक्ति की आजादी पर हो रहे हमलों पर रोक लगाने, नई शिक्षा नीति वापस लेने ,केंद्र व प्रदेश सरकार में खाली पदों को तत्काल भरने, का प्रस्ताव रखा जिसे उपस्थित लोगों ने सर्वसम्मति से ताली बजाकर पारित किया। संगोष्ठी के शुरुआत में नीलम सिंह व राजेश कुमार ने गीत प्रस्तुत किया।

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