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बांग्ला के प्रसिद्ध कवि काजी नजरूल इस्लाम की समूची रचनावली का हिन्दी अनुवाद करेगा प्रेमचंद साहित्य संस्थान

वाराणसी/गोरखपुर।  प्रेमचंद साहित्य संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका साखी ने बांग्ला के प्रसिद्ध कवि लेखक काजी नजरूल इस्लाम की समूची रचनावली के हिन्दी अनुवाद की परियोजना अपने हाथ में ली है। इस परियोजना के लिए प्रेमचंद साहित्य संस्थान और काजी नजरूल इस्लाम विश्वविद्यालय आसनसोल में सहमति बनी है और दोनों संस्थाओं के बीच जल्द औपचारिक अनुबंधक (एमओयू ) होगा।

प्रेमचंद साहित्य संस्थान के निदेशक, साखी के सम्पादक प्रो सदानंद शाही और काजी नजरूल इस्लाम विश्वविद्यालय आसनसोल के कुलपति प्रोफेसर देवाशीष बंद्योपाध्याय के बीच बातचीत के बाद इस परियोजना पर सहमति बनी। इसकी घोषणा करते हुए कुलपति प्रो देवाशीष बंद्योपाध्याय ने कहा कि यह हमारे विश्वविद्यालय की चिर संचित अभिलाषा है।

प्रोफेसर शाही काजी नजरूल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में अध्यक्षीय वक्तव्य देने गये थे। इस दौरान इस परियोजना को लेकर उनकी कुलपति प्रोफेसर देवाशीष बंद्योपाध्याय से बातचीत हुई।

उन्होंने बताया कि रवीन्द्रनाथ ठाकुर के बाद बांग्ला के सबसे प्रसिद्ध कवि लेखक काजी नजरूल इस्लाम के प्रामाणिक अनुवाद से हिन्दी का अनुवाद साहित्य समृद्ध होगा। नजरुल की कविताएँ आजादी की लड़ाई में बंगाल के युवा क्रांतिकारियों के गले का हार थीं। युवाओं में उनकी अपार लोकप्रियता से घबराकर अंग्रेज सरकार ने उनके कविता संग्रह ‘ अग्नि वीणा ’ को प्रतिबंधित कर दिया और उन्हें जेल की भी सजा हुई। रवींद्र नाथ ने क्रांतिकारी कवि के सम्मान में अपना नाटक ‘ वसंत ’ उन्हें समर्पित किया। बंगलादेश ने उन्हें अपना राष्ट्र कवि घोषित किया। भारत और बंगलादेश दोनों देशों में समान रूप से सम्मानित इस कवि ने हिन्दू और मुसलमान समुदाय को अपनी दो आंखें कहा था।

प्रो शाही ने बताया कि आरंभ में हम साखी पत्रिका का नजरूल विशेषांक प्रकाशित करेंगे। इस महत्वपूर्ण परियोजना में प्रो सोमा बंद्योपाध्याय (कुलपति अम्बेडकर शैक्षिक विश्वविद्यालय, कोलकाता ), प्रो विजय भारती (कुलपति हिन्दी विश्वविद्यालय, हावड़ा ), प्रो अवधेश प्रधान एवं डॉ महेन्द्र कुशवाहा (वाराणसी),  डॉ शांतनु बैनर्जी, डॉ विजय कुमार साव निशांत (काजी नजरूल विश्वविद्यालय आसनसोल) की सहभागिता रहेगी।