उच्च स्तरीय जांच करने, देवरिया के डीएम, एसपी को तत्काल हटाने की मांग की
गोरखपुर/देवरिया। भाकपा माले ने रुद्रपुर क्षेत्र के फतेहपुर गाँव में भूमि विवाद में एक ही परिवार के पाँच सदस्यों सहित छह लोगों कि हत्या के लिए देश सरकार की कार्य प्रणाली को जिम्मेदार बताते हुए डीएम और एसपी को तत्काल हटाने , घटना की उच्च स्तरीय जांच कराने, निर्दोषों का उत्पीड़न बंद करने, गिरफ्तार निर्दोष व्यक्तियों को रिहा करने की मांग की है।
भाकपा माले के जांच दल ने तीन अक्टूबर को फतेहपुर गाँव का दौरा करने के बाद अपनी जांच रिपोर्ट जारी करते हुए उपरोक्त मांग की है।
जांच दल में भाकपा माले राज्य स्थाई समिति के सदस्य कामरेड राजेश साहनी, राज्य कमेटी सदस्य कामरेड प्रेमलता पांडे, भाकपा माले देवरिया के जिला सचिव श्रीराम कुशवाहा शामिल थे।
भाकपा माले की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि देवरिया जनपद मुख्यालय से 18 किलोमीटर तथा रुद्रपुर तहसील व रुद्रपुर कोतवाली से ढाई किलोमीटर दूरी पर स्थित 24 टोले का गांव फतेहपुर में दो अक्टूबर की सुबह दो परिवारों के बीच जमीन विवाद में छह लोगों की हत्या हुई।
फतेहपुर गांव के अभयपुर टोला के प्रेमचंद यादव (40 वर्ष) ग्राम प्रधान एवं जिला पंचायत सदस्य रह चुके थे। वह जमीन- जयदाद व राजनीति मे रसूख वाले व्यक्ति थे। वर्ष 2014 में उन्होंने अपने घर से लगभग 2 किलोमीटर दूर स्थित लेड़हा टोला के सत्य प्रकाश दुबे के छोटे भाई ज्ञानचंद दुबे उर्फ साधु दुबे के हिस्से के 6 बीघा जमीन बैनामा लिखवा लिया था और उस पर कब्जा भी कर लिया था। उन्होंने सत्य प्रकाश दुबे के बड़े भाई जो लावल्द थे, उनकी 6 बीघा जमीन को भी कब्जा कर लिया था। इसको लेकर दोनों परिवारों में विवाद था।
सत्य प्रकाश दुबे के घर के पास ही विवादित जमीन थी। उनका घर भी एकांत में है। उस टोले पर तीन और ब्राह्मण परिवार है जबकि यादव परिवार की उसे गांव में में निषादों के बाद दूसरी बड़ी आबादी है। घटना के चार दिन पूर्व सत्यप्रकाश दुबे की पत्नी किरण देवी डीएम देवरिया से मिली थी। इसकी जानकारी होने पर प्रेमचंद यादव दो अक्टूबर की सुबह छह बजे ही सत्य प्रकाश दुबे के घर पहुंच गए। बताया जा रहा है कि प्रेमचंद यादव और सत्य प्रकाश दुबे के परिवार से कहा सुनी हुई। उसी दौरान धारदार हथियार से प्रेमचंद यादव के गर्दन पर हमला कर और ईंट से कुचल कर हत्या कर दी गई। इसकी सूचना अभयपुर टोला पहुंची तो वहां से दर्जनों लोग आए और सत्यप्रकाश दुबे के घर में घुसकर धारदार हथियारों व ईंट- पत्थर से कुचल कर सत्य प्रकाश दुबे (55 वर्ष) , किरण देवी (52 वर्ष) , उनकी पुत्री सलोनी (18 वर्ष) नंदिनी (7 वर्ष ) व बेटे गांधी दुबे (6 वर्ष) की हत्या कर दी। अनमोल गंभीर रूप से घायल है जो अस्पताल बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती है। सत्यप्रकाश का बड़ा बेटा देवेश दुबे (17 वर्ष) संयोग से उस दिन देवरिया में था जिससे वह बच गया। उनकी बूढ़ी मॉ का हमले में सिर फट गया।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रातः 6:30 से 8:00 बजे तक की इस हत्याकांड में मात्र ढाई किलोमीटर दूरी पर कोतवाली पुलिस गांव मे मौके पर नहीं पहुंच पाई। अब गांव के नुक्कड़ पर पुलिस मौजूद है और भय का वातावरण बना कर लोगों की धर पकड़ कर रही है। अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। दर्जनों लोगों के खिलाफ अज्ञात में एफआईआर दर्ज कर तलाशी में छापामारी की जा रही है।
भाकपा माले का जांच दल तीन अक्टूबर को सुबह 11 बजे जब सत्य प्रकाश दुबे के घर पहुंची तो भारी पुलिस फोर्स और मीडिया कर्मियों की मौजूदगी मिली। दुबे परिवार के घर सत्य प्रकाश दुबे की बहन गायत्री एवं बहनोई सुधीर पांडे मिले जो मीडिया, राजनीतिक व सामाजिक कर्मियों के प्रश्नों का जवाब देते देते थक गए थे।
जांच दल को बताया कि सत्य प्रकाश दुबे तीन भाई थे। तीनों भाइयों के बीच में 18 बीघा जमीन थी। प्रेमचंद यादव ने अविवाहित छोटे भाई के हिस्से की 6 बीघा जमीन लिखवा लिया था उनको अपने संरक्षण में रखे हुए थे। बड़े भाई की 6 बीघा जमीन पर भी कब्जा कर लिया था जिसको लेकर दुबे परिवार मुकदमा लड़ रहा था।
जांच दल अभयपुर टोला स्थित प्रेमचंद यादव के घर पर भी गया। प्रेमचंद यादव का दो मंजिला मकान है और अगल-बगल राजभर समाज के लोगों का घर है। वहां एसडीएम रुद्रपुर की मौजूदगी में तहसील कुर्मी जरीब से नाप जोख कर रहे थे। कहा जा रहा था कि प्रेमचंद यादव का घर बुलडोजर गिरा दिया जाएगा। जिन 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है ऊसमें बेचू राजभर, परशुराम राजभर और संदीप राजभर घटना के वक्त अपने घर पर थे और ग्रामीणों के अनुसार उनका दोनों पक्षों से कुछ भी लेना देना नहीं है। निर्दोष लोगों की गिरफ़्तारी से ग्रामीणों में भारी डर व्याप्त है। निष्कर्ष के तौर पर यह घटना योगी सरकार की तानाशाही पूर्ण कार्यशैली का परिणाम है जिसके तहत भूमि विवाद के मामलों का समय से निस्तारण नहीं किया जाता, अफसर और पुलिस शिकायतों को सुनते नहीं है और कोई कार्यवाही भी नहीं करते हैं। यदि इस मामले में शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही हुई होती तो इस घटना को रोका जा सकता था।