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बाल विवाह के खिलाफ अलख जगा , कुशीनगर जिले में 56 हजर लोगों ने शपथ ली 

पडरौना (कुशीनगर)। देश भर में चल रहे “ बाल विवाह मुक्त भारत ” अभियान के तहत 16 अक्टूबर को मनाए गए बाल विवाह मुक्त भारत दिवस पर सर्वहितकारी सेवाश्रम कप्तानगंज (कुशीनगर) द्वारा जिले में 333 जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया। इन कार्यक्रमों में 56000 महिलाओं, बच्चों और आम लोगों ने शपथ ली कि वे न तो बाल विवाह का समर्थन करेंगे और न इसे बर्दाश्त करेंगे।

इन कार्यक्रमों मे जनपद के अधिकतर परिषदीय विद्यालयों सहित इण्टर कालेज – सचितानंद इण्टर कॉलेज, जे० पी इण्टर कॉलेज कप्तानगंज, गाँधी इण्टर कॉलेज खड्डा शत्रुधन जीत, कांति देवी इण्टर कॉलेज, अब्दुल कलम इण्टर कॉलेज ढोलहां, इत्यदि विद्यालयों के छात्र-छात्राओं, शिक्षक- शिक्षिकाओं और स्थानीय लोगों ने हिस्सा लिया।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 5 (एनएचएफएस-2019-21 ) के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में 20 से 24 आयुवर्ग के बीच की 23.3 प्रतिशत युवतियों का विवाह 18 वर्ष की होने से पहले ही हो गया था जबकि कुशीनगर में 27 प्रतिशत लड़कियों का विवाह‌ 18 वर्ष की होने से पहले हो गया था।

बाल विवाह मुक्त भारत अभियान देश के 300 से भी ज्यादा जिलों में चलाया जा रहा है। भारत से 2030 तक बाल विवाह के समग्र खात्मे के लक्ष्य के साथ पूरी तरह से महिलाओं के नेतृत्व में चल रहे इस अभियान से देश के 160 गैर सरकारी संगठन जुड़े हुए हैं। इस अभियान के सोलह अक्टूबर को एक साल पूरे हुए। इस अर्से में पूरे देश में हजारों बाल विवाह रुकवाए गए और लाखों लोगों ने अपने गांवों और बस्तियों में बाल विवाह का चलन खत्म करने की शपथ ली।

कुशीनगर जिले में 16 अक्टूबर को गांवों में पूरे दिन इस अभियान के समर्थन में उतरे लोगों की चहल पहल रही और इस दौरान रैली, गीत और नारे के साथ जैसे तमाम कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। विभिन्न स्थानों पर सूरज ढलने के बाद 1900 महिलाओं ने अपने हाथों में मोमबत्ती लेकर मार्च किया। लोगों को जागरूक करते हुए संदेश दिया कि नए भारत में बाल विवाह की कोई जगह नहीं है। इस मार्च में स्कूली बच्चों, ग्रामीणों, धार्मिक नेताओं सहित समाज के सभी वर्गों और समुदायों के लोगों ने हिस्सा लिया।

इस मार्च का मकसद गांवों और कस्बों में लोगों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक करना‌ था। इस दौरान विवाह समारोहों में अपनी सेवाएं देने वालों जैसे कि शादियों में खाना बनाने वाले हलवाइयों, टेंट-कुर्सी लगाने वालों, फूल माला बेचने‌ व‌ सजावट करने‌ वालों, पंडित और मौलवी जैसे पुरोहित वर्ग को जागरूक करने पर विशेष ध्यान दिया गया।

बाल विवाह की पीड़ा से गुजरने के बाद अब इसके खात्मे के लिए अलख जगा रहीं कुशीनगर की कलावती देवी ने कहा कि मैं बाल विवाह मुक्त भारत अभियान में इसलिए शामिल हुई क्योंकि मैं खुद बाल विवाह की पीड़ित हूं। मेरी शादी तभी हो गई जब मैं बच्ची थी लेकिन अपनी बेटी के साथ मैं ये हरगिज नहीं होने दूंगी। शादी होते ही मेरा स्कूल जाना बंद हो गया और ये मैं अपनी बेटी के साथ होते देखना नहीं चाहती। मैं चाहती हूं कि वह पढ़ लिख कर आत्मनिर्भर बने और अपनी जिंदगी के फैसले खुद ले। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान मेरे लिए यह सुनिश्चित करने का ताकतवर माध्यम है कि मेरे समुदाय में बाल विवाह के अन्याय का शिकार होकर किसी बच्ची का भविष्य बर्बाद नहीं होने पाए। मेरी बेटी, मेरी पोती या नातिन या मेरे गांव की किसी भी लड़की का स्कूल जाना क्यों बंद होना चाहिए? क्यों कोई बच्ची कम उम्र में गर्भवती होकर अपने जीवन को खतरे में डाले ? हमारे बच्चों को स्कूलों की जरूरत है, बच्चे पैदा करने की नहीं।

सर्वहितकारी सेवाश्रम के अध्यक्ष ने विनोद तिवारी ने कहा, “बाल विवाह वो अपराध है जिसने सदियों से हमारे समाज को जकड़ रखा है। लेकिन नागरिक समाज और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाने के प्रति दिखाई गई प्रतिबद्धता और प्रयास जल्द ही एक ऐसे माहौल और तंत्र का मार्ग प्रशस्त करेंगे जहां बच्चों के लिए ज्यादा सुरक्षित और निरापद वातावरण होगा। इन दोनों द्वारा साथ मिल कर उठाए गए कदमों और लागू किए गए कानूनों के साथ समाज व समुदाय की भागीदारी 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत सुनिश्चित करेंगी।”

 

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