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संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 फरवरी को एनडीए-बीजेपी के सांसदों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया

नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 21 फरवरी को पूरे भारत में एनडीए-बीजेपी के सांसदों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।

एसकेएम ने भारत भर के किसानों से आह्वान किया है कि वे 9 दिसंबर 2021 को एसकेएम के साथ हुए सरकार के समझौते को लागू करने की मांगों के साथ भाजपा और एनडीए के सांसदों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करें। इस में प्रमुख मांगे है, गारंटीशुदा खरीद के साथ सी2+50% के हिसाब से एमएसपी, व्यापक ऋण माफी बिजली का निजीकरण पर रोक, लखीमपुर खीरी में किसान नरसंहार के मुख्य साजिशकर्ता अजय मिश्रा टेनी केंद्रीय राज्य मंत्री (गृह) को बर्खास्त कर मुकदमा चलाया जाए और पंजाब सीमा पर समान मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों पर हो रहे दमन पर रोका लगाई जाए एवं चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसला व इसके माध्यम से उजागर हुए कॉरपोरेट भ्रष्टाचार को भी बेनकाब किया जाए।

एसकेएम ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच, विभिन्न जन संगठनों से एकजुटता दिखाने और मोदी के किसान विरोधी, अलोकतांत्रिक, दमनकारी और तानाशाही रवैये को उजागर करने की अपील की है।

पंजाब में एसकेएम ने तीन दिनों तक भाजपा के सांसदों, विधायकों, मंत्रियों और जिला अध्यक्षों के घरों के सामने दिन-रात बड़े विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। विरोध प्रदर्शन 20 फरवरी को सुबह 10 बजे शुरू होगा और 22 फरवरी,  को शाम 5 बजे समाप्त होगा।

एसकेएम ने चुनावी बांड के माध्यम से भ्रष्टाचार को वैध बनाने और पार्टी फंड के रूप में हजारों करोड़ रुपये जमा करने के लिए मोदी सरकार की कड़ी निंदा की है। एसकेएम ने इसे रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि कॉरपोरेट समर्थक कृषि कानून, श्रम संहिता, बिजली अधिनियम संशोधन, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जिसमें बीमा कंपनियों ने किसानों की कीमत पर 57,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अर्जित की है। लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की प्री-पेड स्मार्ट मीटर बिक्री, हवाई अड्डों और बंदरगाहों का निजीकरण, ऐसे कई कानून और नीतियां है जो कि भाजपा द्वारा उसके कॉर्पोरेट साथियों को लौटाए गए एहसान हैं।

भाजपा ने भ्रष्टाचार को वैध बनाकर हजारों करोड़ रुपये इकट्ठा किये थे और इसे लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को गिराने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर प्रचार के माध्यम से चुनावों को प्रभावित करने के लिए किया था। इसकी तुलना किसी अन्य राजनीतिक दल से करना असंभव है। एसकेएम को उम्मीद है कि, ईवीएम पर जो संदेह बना हुआ है उसे एक सुरक्षित तंत्र बनाकर दूर किये जाने की लिए भी यह फैसला एक आंदोलन को बढ़ावा देगा। चुनावी फंडिंग के साथ-साथ यह भी एक अहम मुद्दा है और चुनाव की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए मायने रखता है। एसकेएम यह मांग करता है कि दानदाताओं सूची और भाजपा व अन्य पार्टियों को मिलने वाली राशि को सार्वजनिक किया जाए और उनसे इस की वसूली की जाए।

एसकेएम एनसीसी की बैठक 22 फरवरी को दोपहर 2 बजे होगी और आम सभा (जनरल बॉडी बैठक)22 फरवरी  को सुबह 10.30 बजे नई दिल्ली में की जाएगी।  इन बैठकों में स्थिति का जायजा लिया जाएगा और चल रहे संघर्षों को तेज करने के लिए भविष्य की कार्ययोजना बनाई जाएगी।

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