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देवरिया : दावेदारों की भीड़ व लोकल के दबाव में फंसी भाजपा

देवरिया। देवरिया लोकसभा क्षेत्र में भाजपा दावेदारों की भीड़ व लोकल के दबाव में फंसी है। पिछले दो चुनावो में पार्टी ने दूसरे जिले के बड़े नेताओं को प्रत्याशी बनाया था। दल की यह रणनीति सफल भी रही। दोनों चुनावो में पार्टी को भारी जीत भी मिली। पर इस बार दल पर स्थानीय का दबाव है। दावेदार अपने लिए लामबंदी कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय को ही प्रत्याशी बनाने पर एकमत हैं।

भाजपा ने अपनी पहली ही सूची में सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी की घोषणा कर दी। दल ने सांसद रविन्द्र कुशवाहा पर भरोसा जताते हुए लगातार तीसरी बार टिकट थमा दिया। सूत्रों के अनुसार सलेमपुर में दल के पास रविन्द्र के अलावा कोई मजबूत दावेदार नहीं था व क्षेत्र का जातीय समीकरण भी रविन्द्र के पक्ष में था। एक अड़चन ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा के लिए दावेदारी की थी, जिसे दल ने दूर कर लिया था। हालांकि रविन्द्र को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद ओमप्रकाश राजभर ने बलिया में एक कार्यक्रम में इसको लेकर अपनी नाराजगी भी सार्वजनिक रूप से दिखा दी थी। राजभर ने भाजपा से टिकट मांग रहे राजेश सिंह दयाल की जमकर तारीफ भी की थी।

सूत्रों के अनुसार देवरिया लोकसभा क्षेत्र को लेकर इस बार स्थिति दूसरी है। दो बार से ठगे जा रहे स्थानीय दावेदारों ने इस बार काफी पहले से ही स्थानीय बनाम बाहरी के मुद्दे को उछालना शुरू कर दिया। अलग अलग तरीकों से सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर बहस चलायी जाने लगी। हालांकि पार्टी जिलाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह कहते हैं कि यह सब विपक्षी दलों के लोगों का दुष्प्रचार है। हमारा प्रत्याशी कमल है तथा दल के कार्यकर्ता कमल के साथ हैं। प्रत्याशी तय करना नेतृत्व का काम है। नेतृत्व जिसे भी कमल देकर भेज देगा, कार्यकर्ता उसे जिताने का कार्य करेंगे। इस बीच दल में दावेदारों की भीड़ भी बढ़ गयी।

पार्टी से वर्तमान सांसद के अलावा कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, विधायक डॉ शलभ मणि त्रिपाठी, पूर्व विधायक डॉ सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी, नन्दकिशोर मिश्र, डॉ पी के राय, पूर्व सांसद श्रीप्रकाश मणि के पुत्र शशांक मणि त्रिपाठी, डॉ अभय मणि त्रिपाठी दावेदार हैं।
दावेदारों की भीड़ व स्थानीय को प्रत्याशी बनाने के दबाव से पार्टी को दिक्कत हो रही है। वैसे दल के सूत्रों की माने तो एक दो दिन के भीतर पार्टी इस पर निर्णय ले लेगी।

2014 में कलराज तो 2019 में डॉ रमापति रहे प्रत्याशी

2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उम्र के आधार लेफिनेन्ट जनरल (अवकाश प्राप्त) श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी को प्रत्याशी न बनाने का निर्णय लिया। श्री त्रिपाठी देवरिया से दो बार सांसद रह चुके थे और 2014 का भी चुनाव पार्टी से लड़े। पार्टी के बड़े नेता सूर्यप्रताप शाही समेत कई लोग टिकट के दावेदार थे। पार्टी ने अन्तिम समय बड़े नेता कलराज मिश्र को प्रत्याशी बना दिया। शुरू में इस निर्णय का विरोध हुआ। एक नेता के क्षेत्र में श्री मिश्र के आने पर विरोध भी हुआ। बाद में स्थिति ठीक हो गयी। कलराज मिश्र 51 फीसदी मत पाकर चुनाव जीत गए। 2019 के चुनाव के कुछ माह पहले कलराज मिश्र ने खुद को चुनाव से दूर कर लिया। स्थानीय नेता अपनी दावेदारी पेश करने में लग गए। पार्टी ने एक बार फिर दूसरे जिले के डॉ रमापति राम त्रिपाठी को प्रत्याशी बना दिया। स्थानीय दावेदार ठगे रह गए। सपा बसपा के गठबंधन के बावजूद इस चुनाव में पार्टी को पड़े मतों का 57 फीसदी से अधिक मत मिला। डॉ त्रिपाठी चुनाव जीत गए।