लखनऊ। आल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने बस्ती जिले में बर्बर उत्पीड़न के कारण दलित छात्र द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटना के लिए योगी सरकार की पुलिस द्वारा दलितों के साथ अपनाई जा रही भेदभाव की नीति व कानूनी नाकामी को जिम्मेदार ठहराया है। आइसा ने इस घटना से संबंधित दोषियों और पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही करने, पीड़ित परिवार को मुआवजा देने तथा परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग की है।
आइसा ने के बयान में कहा कि बस्ती जिले में बेरहमी से मारने-पीटने,नंगा कर वीडियो बनाने तथा थूक चटवाने के मामले में पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज न किया जाने के कारण कक्षा दसवीं के 17 साल के दलित छात्र द्वारा आत्महत्या कर लेने की घटना न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि वर्तमान योगी सरकार के दलित विरोधी चरित्र को उजागर करता है।
वर्तमान सरकार द्वारा कानून व्यवस्था को बनाए रखने की बजाय सामंती और दबंगो को संरक्षण दिया जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप मारपीट और हत्या जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। दलितों पर बढ़ते अपराध अमानवीयता की हद पार कर रहे हैं। बस्ती जिले में हुई घटना में न सिर्फ मारा पीटा गया बल्कि कपड़े उतारकर वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी गई और थूककर चटवाने जैसे नृशंस कृत्य को भी अंजाम दिया गया। इससे भी अधिक शर्मनाक बात यह है कि उक्त प्रकरण में पुलिस द्वारा ना तो कोई कार्यवाही की गई और ना ही मानवीय संवेदना युक्त व्यवहार किया गया। जिस कारण मानसिक रूप से आहत नाबालिग मासूम ने आत्महत्या कर ली।
आइसा ने कहा कि देश में बढ़ रही इस जातिवादी तथा अमानवीय मानसिकता को हम अपने संसद में भी बिना किसी संवैधानिक संकोच के प्रदर्शित होते देख रहे है। देश के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बाबासाहेब अंबेडकर के नाम को अपमानित कर अंबेडकरवादी प्रतिरोध को फैशन के रूप में खारिज करने की कोशिश की गई। हमारे संसद में वैध कर दी गई यह जातिवादी मानसिकता सड़कों पर दलितों के साथ खुलेआम हिंसा के रूप में प्रतिबिंबित हो रही है। उत्तर प्रदेश की यह घटना भी इस डबल इंजन सरकार की दलित विरोधी मानसिकता का ही परिचायक है।