निषाद पार्टी के स्थापना समय से जुड़े युवा नेता 29 वर्षीय धर्मात्मा निषाद ने 16 फरवरी की सुबह खुदकुशी कर ली। खुदकुशी के पहले उन्होंने फेसबुक पर एक लम्बी पोस्ट लिखी जिसमें उन्होंने निषाद पार्टी के अध्यक्ष उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री डाॅ संजय कुमार निषादए उनके बेटों पूर्व सांसद प्रवीण निषाद, विधायक श्रवण कुमार निषाद व जय प्रकाश निषाद को जिम्मेदार बताया। उनके लम्बे पोस्ट की आखिरी पंक्तियां थीं-‘ मैं अगर दुनियां छोड़कर जा रहा हूँ तो इसका सबसे बड़ा कारण डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके बेटों प्रवीण कुमार निषाद और ई श्रवण कुमार निषाद और हरामखोर गद्दार दोस्त जय प्रकाश निषाद है। मैं फिर कह रहा हूं कि अगर मैं मारना चाहता तो इन गद्दारों को कभी भी मार सकता था मगर मैं हत्यारा नहीं बनना चाहता था। ’
धर्मात्मा निषाद की पोस्टमार्टम के बाद 17 फरवरी को अंत्येष्टि हुई। अंत्येष्टि में हजारों लोग उमड़ पड़े। दोनों दिन निषाद पार्टी के अध्यक्ष डाॅ संजय निषाद के खिलाफ नारेबाजी भी हुई। महराजगंज जिले की पनियरा पुलिस ने धर्मात्मा निषाद की खुदकुशी मामले में धर्मपुर निवासी जय प्रकाश निषाद और तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 और 351( 3) के तहत एफआईआर दर्ज की है।
पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर भी विवाद है। धर्मात्मा के बड़े भाई परमात्मा निषाद आरोप लगा रहे हैं कि बड़े अधिकारियों ने भय और दबाव देकर डाॅ संजय निषाद और उनके दोनों बेटों का नाम एफआईआर से निकाल दिया और सिर्फ जय प्रकाश निषाद को ही नामजद किया। जबकि उन्होंने अपने भाई के फेसबुक पोस्ट के आधार पर डाॅ संजय कुमार निषाद, उनके दोनों बेटों व जयप्रकाश निषाद को नामजद करते हुए पनियरा थाने में तहरीर दी थी।
डाॅ संजय निषाद ने बयान जारी कर धर्मात्मा निषाद के निधन पर दुःख व्यक्त किया और कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि धर्मात्मा खुदकुशी नहीं कर सकते। उनके पोस्ट के जरिये मेरी और मेरे परिवार के साथ मेरी पार्टी की छवि धूमिल करने की कोशिश की गई है. इसलिए मै इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच चाहता हूं. ताकि सच सामने आए कि आखिर धर्मात्मा ने किन परिस्थितियों में ये कदम उठाया और किस व्यक्ति द्वारा ये पोस्ट कर हम सबकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया। उन्होंने अपने बयान में धर्मात्मा निषाद को सक्रिय कार्यकर्ता बताते हुए कहा कि उन्होंने धर्मात्मा का अपने स्तर से हर संभव सहयोग किया था।

निषाद पार्टी और डॉ संजय कुमार निषाद ने बाद में सोशल मीडिया पोस्ट में आशंका जतायी कि धर्मात्मा निषाद के फेसबुक पोस्ट को किसी और के द्वारा किया गया है। कहा गया कि धर्मात्मा की मौत का जवाब मिलने तक ‘ हर वह व्यक्ति संदिग्ध घेरे में है जिसे धर्मात्मा के मौत से फायदा मिल सकता है।’
धर्मात्मा की मौत के बाद से उनके घर विभिन्न दलों के लोगों का आना-जाना लगा हुआ हुआ है। डाॅ संजय कुमार निषाद के बेटे चौरीचौरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक श्रवण कुमार निषाद 22 फरवरी को धर्मात्मा के घर पहुंचे तो वहां परिजनों और लोगों ने उनका विरोध करते हुए नारेबाजी की। श्रवण निषाद को वहां से तुरंत लौटना पड़ा। उन्होंने कहा कि यदि जांच में मै दोषी पाया जाता हूं तो जेल जाने को तैयार हूूं।
धर्मात्मा निषाद महाराजगंज जिले के पनियरा थाना क्षेत्र के नरकटहा गांव के रहने वाले थे। उनका गांव निषाद बाहुल्य है और करीब 80 फीसदी आबादी निषाद बिरादरी की है। धर्मात्मा के पिता की बहुत पहले निधन हो चुका है। बड़े भाई परमात्मा निषाद आटो चलाते हैं। धर्मात्मा ने डेढ़ वर्ष पहले गांव की ही लड़की अंजलि निषाद से प्रेम विवाह किया था। सात माह पूर्व बेटी का जन्म हुआ।
धर्मात्मा का संबध डाॅ संजय निषाद से निषाद पार्टी बनने से पहले से था। इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद धर्मात्मा का झुकाव राजनीति की ओर हुआ। वह भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से प्रभावित होकर आम आदमी पार्टी से जुड़ा। उसी वक्त डाॅ संजय कुमार निषाद, निषाद एकता परिषद संगठन बनाकर निषादों की सभी उपजातियों को एक करने और उन्हें अनुसूचित जाति में शामिल करते हुए आरक्षण देने की मांग को लेकर अभियान चला रहे थे। वे निषाद गांव-बस्तियों में मीटिंग करते। इसी दौरान धर्मात्मा निषाद उनके सम्पर्क में आया और घनिष्ठ रूप से जुड़ गया। निषाद पार्टी बनने के बाद उसे युवा मोर्चा का प्रदेश सचिव बनाया गया।
अपने फेसबुक पोस्ट में धर्मात्मा ने डाॅ संजय निषाद और निषाद पार्टी से जुड़ने के बारे में लिखा है कि ‘ मैं लगभग पिछले 10 वर्ष से डॉ. संजय कुमार निषाद कैबिनेट मंत्री (मत्स्य विभाग) उत्तर प्रदेश सरकार के साथ सामाजिक और राजनैतिक संगठन जैसे कि राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद् और निषाद पार्टी के विभिन्न पदों पर रहते हुए कार्य कर रहा था। जिसमें पिछले 10 वर्ष से मैंने कभी अपने परिवार को समय नहीं दिया जितना कि मैंने डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके परिवार के लोगों के साथ-साथ समाज को समय दिया। इस बीच मैंने उत्तर प्रदेश के लगभग 40-50 जिलों में संगठन और पार्टी के लिए कार्य किया जिसके वजह से निषाद समाज के युवाओं के साथ-साथ अन्य वर्ग के भी युवाओं में मेरी लोकप्रियता बढ़ती गई। ‘
धर्मात्मा बेहद उत्साही, सक्रिय और साहसी थे। उन्हें जो बातें उसे गलत लगती थी उसे साफ तौर पर बोल देते थे। वे सोशल मीडिया विशेषकर फेसबुक का खूब प्रयोग करते थे और अक्सर अपनी बातें कहने के लिए लाइव का सहारा लेते थे।
उनकी फेसबुक पोस्ट से गुजरने से लगता है कि वे डाॅ संजय निषाद और निषाद पार्टी के विकास की दिशा को लेकर द्वंद में थे। डाॅ संजय निषाद उन्हें कभी ‘ राजनीतिक गुरू ’ , ‘ बाबू जी ’ के रूप में निषादों के उद्धारकर्ता के रूप में नजर आते तो कभी ‘ स्वघोषित महामना ’ और ‘ खुद की पूजा कराने वाला‘ नेता।

धर्मात्मा ने समय-समय पर अपने विचारों को फेसबुक पर व्यक्त किया है। उनकी आखिरी पोस्ट में भी इन बातों की अभिव्यक्ति दिखती है। उन्होंने आखिरी पोस्ट में लिखा है -‘ डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके बेटों की बेचैनी बढ़ने लगी कि आखिर यह एक साधारण सा लड़का इतना ज्यादा चर्चित और लोकप्रिय कैसे होता जा रहा है। इसी बात को लेकर पिछले दो सालों से डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके बेटों ने मेरे खिलाफ सामाजिक और राजनैतिक रूप से षड्यंत्र करते हुए मुझे पहले तो कमजोर करने का प्रयास किया फिर मेरे ही साथ के युवा साथियों को भड़काने व मेरे खिलाफ खड़ा करने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन देने के साथ-साथ मुझे और मेरे टीम के साथियों को फर्जी मुकदमे में फंसाने का तरह-तरह का प्रयास करने लगे। ‘
इस पोस्ट में उन्होंने अपने खिलाफ दो एफआईआर होने, जेल जाने और अपने दोस्त जय प्रकाश निषाद के षडयंत्रों का जिक्र किया है। धर्मात्मा का आरोप था कि उसके खिलाफ एफआईआर डाॅ संजय कुमार निषाद और उनके बेटों के कहने पर पुलिस ने दर्ज किया।
धर्मात्मा के साथ मनीष निषाद नाम के युवक के साथ मारपीट हुई थी। धर्मात्मा ने फेसबुक लाइव में स्वीकार किया कि उसने मनीष को पीटा क्योंकि उसकी गैरहाजिरी में उसने कुछ लोगों के साथ उसके घर जाकर भाई और बहन के साथ मारपीट की थी। डाॅ संजय कुमार निषाद के कहने पर वह इस मामले में आगे नहीं बढ़ा लेकिन मनीष ने जब उसके खिलाफ दुष्प्रचार जारी रखा तो अपने दोस्तों के साथ घेर कर उसे पीटा। इस घटना में दस दिन बात धर्मात्मा निषाद और उसके दो साथियों के खिलाफ मारपीट और लूट का मुकदमा दर्ज हुआ। तीन दिन बाद गिरफ्तारी हुई। एफआईआर होने के बाद धर्मात्मा ने फेसबुक लाइव में मारपीट की घटना का जिक्र करते हुए डाॅ संजय कुमार निषाद पर एफआईआर कराने का आरोप लगाते हुए कहा था कि यदि उसके खिलाफ षडयंत्र जारी रहा तो वह उनका पोल खोलने का कार्य करेगा।
पिछले दो वर्ष के अंतराल में निषाद पार्टी के अध्यक्ष और धर्मात्मा निषाद के बीच संबंधों में कई उतार चढ़ाव आए। विधानसभा चुनाव के समय धर्मात्मा नाराज होकर पार्टी से दूर हो गए। उन्हें मनाकर लाया गया और उसे श्रवण कुमार निषाद के चुनाव प्रचार में लगाया गया। श्रवण कुमार निषाद चुनाव जीत गए तो धर्मात्वा का मनोबल बढ़ा और वह खुद अपने को ‘ भावी विधायक ’ के रूप में देखने लगा। उन्होंने सेंकेंड हैंड स्कार्पियों गाड़ी खरीदी और उससे चलने लगे। उन्होंने संतकबीरनगर जिले के मेंहदावल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की सोची। सोशल मीडिया पर खुद को ‘ भावी विधायक 312 मेंहदावल ‘ लिखते हुए प्रचार अभियान शुरू किया। सोशल मीडिया कैम्पेन में उसके युवाओं की भीड़ के साथ फोटो-वीडियो दिखती।
मेंहदावल निषाद बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र है वहां से निषाद पार्टी के अनिल त्रिपाठी विधायक हैं जो विधायक बनाने के पहले प्रापर्टी व्यवसाय में थे।
धर्मात्मा की बढ़ती महात्वाकांक्षा, लोकप्रियता और सोशल मीडिया पर मुखरता कुछ लोगों को अखरने लगी थी।
सात महीने पहले अचानक उसके घर पनियरा पुलिस आ धमकी और उसकी गाड़ी को उठा ले गयी और उसे सीज कर दिया। धर्मात्मा के भाई परमात्मा बताते हैं कि पुलिस वालों ने कहा कि पेपर दिखा कर गाड़ी ले जाना लेकिन आज तक गाड़ी छोड़ी नहीं गई। गाड़ी पर विधायक लिखवाने के कारण उसकी गाड़ी सीज करायी गयी। गाड़ी सीज हो जाने से धर्मात्मा को धक्का लगा।

उसने अपने रंज को छिपाया नहीं बल्कि सार्वजनिक कर दिया। उसने अपने को पूर्व प्रदेश सचिव (बागी) लिखा। एक पोस्ट में उसने निषाद पार्टी से बगावत को महाभारत के आख्यान से जोड़ते हुए लिखा-विभीषण नहीं कर्ण हैं हम।
पिछले वर्ष के आरम्भ में निषाद पार्टी से उसकी दूरी काफी बढ़ गयी। वे फरवरी महीने में विधायक श्रवण कुमार निषाद की शादी में नहीं गए । इस बारे लिखा कि ‘ विधायक की शादी में नहीं गए। जिसके पास निषादों के वहां मांगलिक कार्यक्रमों व अन्य अवसरों पर जाने का समय नहीं उसके घर जाना मुझे भी स्वीकार नहीं। ‘
सात सितम्बर 2024 में पारिवारिक उलझनों में व्यस्त रहने की बात करते धर्मात्मा ने कहा कि ‘ अब वह 24 * 7 निर्बल शोषित व गरीब समाज के लिए उपस्थित रहेगा। साथ ही उसने यह शेर उद्धत किया-चार दिन बाज के न उड़ने से आसमान कबूतरों का नहीं होता। ‘ इसी तरह एक और शेर में अपनी भावनाओं का इजहार किया-खमोशी पसंद इंसान हूं/ हम बेवजह शेर नहीं करते/ जिनका दौर तुफानों से गुजरा है/वो आंधियों पे गौर नहीं करते। ‘
इस समय धर्मात्मा का निषाद पार्टी से मोहभंग हो रहा था। उन्होंने भाजपा-निषाद पार्टी गठबंधन, निषाद आरक्षण, निषाद पार्टी में व्यक्तिवाद, परिवारवाद, व्यक्तिपूजा को लेकर सवाल उठाए। भाजपा-निषाद पार्टी के गठबंधन पर उसकी टिप्पणी थी-‘ अपने घर का मालिक कोई दूसरा हो जाए तो फिर घर बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता। ’ विधानसभा उपचुनाव के समय 24 अक्टूबर 2024 को लिखा-भाजपा ने न तो आरक्षण दिया और न ही निषाद पार्टी को सम्मान दिया। निषाद पार्टी के कोटे वाली सीट मझवा और कटेहरी को भी भाजपा ने छीन लिया। आखिर कब तक निषादों को छला जाएगा ? एक दिन बाद की उसकी टिप्पणी थी-‘ मैं उस निषाद पार्टी का सदस्य और पदाधिकारी हूं जो निषाद आरक्षण के मुद्दे पर सभी पार्टियों के पसीने छुड़ा देती थी। मगर अफसोस आज तो घुटने के बल आ गई है। क्या से क्या हो गए देखते देखते। ‘
इसी दौर में धर्मात्मा ने फेसबुक पर ऐलान किया कि वह एक नवम्बर 2024 से आरक्षण यात्रा शुरू करेगा। उसने लिखा-यह आरक्षण यात्रा मेरे जीवन की आखिरी लड़ाई होगी। ’ उसी दिन उसने लिखा कि दीपावली बाद हमको आरक्षण मिल जाएगा।
दीपावली बाद जब निषाद आरक्षण की घोषणा नहीं हुई उनका रोष बढ़ता गया। उन्होंने नौ नवम्बर को डाॅ संजय कुमार निषाद को सम्बोधित करते हुए लिखा-‘आपकी बात पिछले दस सालों से सुनते आ रहे हैं। मगर अभी तक समाज को आरक्षण नहीं मिला। एक बात मेरी मान लीजिए। तीन महीने के अंदर भाजपा आरक्षण देने पर मजबूर हो जाएगी। ‘
नौ दिसम्बर 2024 को गोरखपुर के अमटौरा गांव में रामधनी निषाद की हत्या पर धर्मात्मा ने भाजपा पर कटाक्ष किया-जितने नेतागण हिंदू एकता की बात करते हैं मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि शिवधनी निषाद हिंदू नहीं है ? आखिर क्यों नहीं हिंदू नेता के लोग शिवधनी निषाद के परिवार के लिए आवाज उठा रहे हैं ?
लोकसभा चुनाव के पहले पनियरा थाना क्षेत्र के बैदा गांव में गुलशन निषाद की मार्ग दुर्घटना में मौत हो गयी। घर के लोग इसको दुर्घटना को साजिश मानते हुए हत्या करने का आरोप लगा रहे थे। धर्मात्मा निषाद बैदा गांव पहुंचे और न्याय की आवाज उठायी। उनके पहुंचने पर उत्साहित होकर लोगों ने रास्ता जाम कर दिया था। धर्मात्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गयी और वह जेल गए। अपने आखिरी पोस्ट में उन्होंने ने आरोप लगाया यह एफआईआर डाॅ संजय निषाद के कहने पर दर्ज हुई।
तमाम सवालों के बीच धर्मात्मा लोकसभा चुनाव में संत कबीर नगर सीट पर डॉ संजय कुमार निषाद के बेटे प्रवीण निषाद के चुनाव प्रचार में जुटे। इस बारे में उसने लिखा है कि विधायक श्रवण कुमार निषाद ने उसके घर आकर माफी मांगी और कहा कि उसके खिलाफ उन लोगों ने षड्यंत्र नहीं किया था। लोकसभा चुनाव के बाद धर्मात्मा का फिर पार्टी नेतृत्व से टकराव हो गया। उसने मेंहदावल क्षेत्र में अपना आफिस बनाया और विधानसभा चुनाव लड़ने का प्रचार प्रसार शुरू किया। लेकिन उसका आफिस बंद करा दिया गया।
इस वर्ष 13 जनवरी को निषाद पार्टी के स्थापना सम्मेलन में भी वे शरीक हुए। निषाद पार्टी द्वारा शुरू किए गए संवैधानिक अधिकार यात्रा में भी वह शामिल हुए।

इस दौरान उसकी निजी जिंदगी भी उलझनों से भरी रही। राजनीतिक सक्रियता और विधायक बनने की महत्वाकांक्षा में काफी पैसे खर्च हो रहे थे। धर्मात्मा की मां ने बताया कि दो बार में एक बीघा जमीन बिक गई। पार्टी के भीतर कुछ लोगों ने उसके प्रेम विवाह पर भी सवाल उठाए। ‘ गद्दार दोस्त ’ ने पत्नी को लांक्षित किया। अपनी घुटन का इजहार धर्मात्मा की आखिरी पोस्ट में हैं- मैं इन सब बातों को जानकर रोज घुट-घुट कर मर रहा था और सारी बातें जानना चाहता था कि कौन-कौन मेरे खिलाफ षड्यंत्र किया है। इसकी भी जानकारी करना बहुत जरूरी हो गया था। अब लगभग सभी चेहरों से नकाब हट चुके हैं और उन सब चेहरों की पहचान भी हो चुकी है। पहले तो मेरे मन में ख्याल आया कि मैं उन सब हरामखोरो को जान से मार दूं जिन्होंने मेरे खिलाफ षड्यंत्र किया है फिर दिल ने कहा कि नहीं यार ऐसा करके मुझे तो संतुष्टि मिल जायेगी मगर मैं हत्यारा बन जाऊँगा। इसलिए मैंने बहुत कुछ सोचने के बाद यह निर्णय लिया है कि इस बेरहम और एहसान फरामोश दुनियाँ से दूरी बना लेना चाहिए। ’
अपने उलझनों, अंतरद्वंदों, राजनीतिक अवसरवादिता, प्रतिद्वंदिता षड्यंत्रों का मुकाबला करने में धर्मात्मा का भावुक व्यक्तित्व सक्षम नहीं था। 28 अप्रैल 2024 को उसने अपनी भावनाएं इन शब्दों में व्यक्त की-राजनीति एक भूखी भैंस की तरह हो गयी है जो आपसी मित्रत्रा और समाज का सारा भाईचारा खा जा रही है। ’
धर्मात्मा के करीबी राजा निषाद कहते हैं कि मेरा दोस्त स्वाभिमानी था। वह किसी से नहीं डरता था लेकिन इमोशनल बहुत था। झूठ, षडयंत्र उसे बर्दाश्त नहीं होता था।
राजा निषाद एक दशक तक निषाद पार्टी से जुड़े रहने के बाद 2019 में अलग हो गए। वह कहते हैं कि पार्टी के ‘ नेचुरल कार्यकर्ता ’ गहरे अवसाद में हैं। आवाज उठाने पर इमोशनल टार्चर किया जाता है और षडयंत्र कर बाहर जाने में मजबूर कर दिया जाता है। पार्टी नेतृत्व असुरक्षा बोध से ग्रस्त है और अपने अक्षम संतानों को नेचुरल कार्यकर्ताओं पर थोप रहा है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में युवा नेता घुटन में हैं। मैं तो समय रहते दूर हो गया लेकिन धर्मात्मा भाई नहीं निकल पाए।
धर्मात्मा की खुदकुशी से निषाद पार्टी सवालों के घेरे में है। गोरखपुर में हाल में बनी ओबीसी पार्टी ने धर्मात्मा निषाद की पत्नी अंजलि निषाद को मेंहदावल से चुनाव लड़ाने की घोषणा कर दी है। बसपा से भाजपा में आए पूर्व राज्यसभा सदस्य जय प्रकाश निषाद ने बड़ा मछुआरा सम्मेलन कराने की घोषणा की है। जय प्रकाश निषाद पिछले दो वर्ष से निषाद समाज में निषाद पार्टी की पकड़ को कमजोर करने के लिए लगातार अभियान चलाए हुए हैं।
लेकिन एक युवा राजनीतिक कार्यकर्ता की खुदकुशी, खुदकुशी की परिस्थितियां और कारण निषाद पार्टी या निषाद राजनीति तक सीमित करने के बजाय व्यापक विमर्श की मांग करते हैं।