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मदरसा शिक्षकों को इस सप्ताह मिल सकता है 8 माह का राज्यांश

सैयद फरहान अहमद

गोरखपुर, 4 जनवरी। स्कीम फॉर प्रोवाइडिंग क्वॉलिटी एजुकेशन (SPQEM – मदरसा आधुनिकीकरण योजना ) के तहत जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में अप्रैल 2017 से नवंबर 2017 का राज्यांश आया हुआ है। इस सप्ताह जिले के 168 मदरसों के 504 शिक्षकों के खाते में राज्यांश पहुंच जायेगा, ऐसी पूरी संभावना है। बिल वगैरह तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। राज्यांश के लिए मदरसा प्रबंधकों से शपथ पत्र मांगा गया है।

काबिलेगौर मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत कार्यरत शिक्षकों को मानदेय के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। चाहे वह केंद्रांश हो या राज्यांश। केंद्र सरकार ने वर्ष 2016-17 व 2017-18 का मानदेय अभी तक जारी नहीं किया है। वहीं लाट संख्या 1446 वाले शिक्षकों का वर्ष 2015-16 का डेढ़ माह का बकाया मानदेय चार दिन पूर्व शिक्षकों के खाते में आया है वह भी जांच की लंबी प्रक्रिया के बाद। केंद्र सरकार ने केवल 58 मदरसों के 60 स्नातक व 107 परास्नातक शिक्षकों का पैसा भेजा था जबकि जनपद के 168 मदरसों में करीब 504 शिक्षक कार्यरत हैं। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक 51 मदरसे के 153 शिक्षकों के खाते में मानदेय पहुंच चुका है। जबकि बाकी बचे शिक्षकों के खाते में जल्द बकाया मानदेय पहुंच जायेगा। अन्य लाट वाले शिक्षकों का मानदेय अभी तक नहीं आया है।

बतातें चलें कि SPQEM की शुरुआत मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 2008-09 में मदरसाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। यह योजना कांग्रेस सरकार ने शुरु की थी। यह वहीं शिक्षक है जिन पर मदरसों में आधुनिक शिक्षा देने का दारोमदार है। इस योजना के तहत मदरसा शिक्षकों को मानदेय का एक बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार की तरफ से मिलता है। स्नातक शिक्षक को 6,000 रुपये प्रतिमाह, जबकि परास्नातक शिक्षक को 12,000 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है। इसी योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा स्नातक शिक्षकों को 2,000 रुपये प्रतिमाह व परास्नातक शिक्षकों को 3,000 रुपये प्रतिमाह राज्यांश दिया जाता है। जिसकी शुरुआत पूर्व सपा सरकार ने की थी। इस योजना के तहत प्रत्येक मदरसे में तीन शिक्षक रखे जा सकते हैं। यह योजना इस समय बहुत खस्ताहाल है। शिक्षकों का मानदेय कई सालों का बाकी है। शिक्षकों के घर के हालात बद से बदतर हो गए हैं।

अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के मंडल अध्यक्ष नवेद आलम ने बताया है कि बकाया मानदेय व अन्य समस्याओं को लेकर 8 जनवरी को लखनऊ में प्रदर्शन का फैसला लिया गया है जिसमें प्रदेश के हजारों शिक्षकों के शामिल होने की संभावना है। केंद्र व प्रदेश सरकार मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। वहीं इतनी जांचों के बाद भी मदरसा शिक्षकों को अपना मानदेय पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

मदरसा शिक्षक सैयद मेहताब अनवर ने कहा कि अभी चार दिन पहले डेढ़ माह का बकाया मानदेय मिला है। यह मानदेय कई माह से जिले पर आया हुआ था। कई जांचों व शर्तों को पूरा करने के बाद यह मिला है। अभी राज्यांश बाकी है। विभाग द्वारा प्रबंधक से शपथ पत्र मांगा गया है। हमारे मेहनत के पैसों को स्वयं पाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। अभी 20 माह का केंद्रांश बाकी है वह कब मिलेगा खुदा ही जाने।

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