बहराइच। सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी ने कहा है कि आदिवासी समुदायों के स्थिति को सुधारने की योजनाएं प्रशासनिक सुस्ती के कारण जमीन पर नहीं उतर पा रही हैं। वन अधिकार पट्टा धारकों को पीएम किसान योजना का लाभ प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा आदिवासी बहुल गांवों और आकांक्षी जिलों में लगभग 63,000 गांवों में आदिवासी समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से ‘ धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान ‘ को मंजूरी दी गई है। इसके तहत, जनजातीय मामलों का मंत्रालय और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय मिलकर लगभग 2 लाख एफआरए पट्टा धारकों को लाभ प्रदान करने के लिए काम करेंगे।
अभियान के मुख्य उद्देश्य पर चर्चा करते हुए हिंदुस्तानी ने कहा कि पट्टा धारकों को प्राथमिक खेती के लिए सहायता प्रदान करना, जैसे कि भूमि तैयारी, मृदा स्वास्थ्य, और आईएनएम/आईपीएम के लिए सहायता, इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत उपकरण/मशीनरी बैंक और सिंचाई सुविधाएं जैसे कि प्रति बूंद अधिक फसल, जल संचयन संरचनाएं, और सूक्ष्म सिंचाई छिड़काव के लिए सहायता देने की योजना सरकार ने बनाई है।
उन्होंने कहा कि कि वन निवासियों को कृषि कार्य में मजबूत करने के लिए किसान संपर्क यात्रा, गांव की योजनाएं, बाजार संपर्क, जैविक/पीजीएस प्रमाणीकरण और बेहतर विपणन सहायता के लिए संपर्क स्थापित करने की जरूरत है। वन अधिकार पट्टा धारकों को पीएम किसान योजना का लाभ प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाना, जिसमें आधार कार्ड को वन अधिकार रिकॉर्ड (आरओएफआर) और लाभार्थियों के बैंक खातों के साथ जोड़ना शामिल है, आदि को संचालित करने के लिए अधिकारियों में दृढ़ इच्छा शक्ति का होना आवश्यक है किंतु वर्तमान में लचर व्यवस्था होने के कारण संभव प्रतीत नहीं होता है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन अभी तक कतर्निया घाट वन्य जीव प्रभाग के वन ग्रामों तक अपनी पहुंच नहीं बन सका है।