गोरखपुर विश्वविद्यालय : शिक्षकों-कर्मचारियों को मीडिया /सोशल मीडिया में बोलने पर पाबंदी लगी

गोरखपुर। गोरखपुर विश्वविद्यालय में शिक्षको,कर्मचारियों एवं अधिकारियों के मीडिया/ सोशल मीडिया में बोलने पर पाबंदी लगा दी गई  है। गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने 5 अगस्त को कार्यालय आदेश के जरिए  शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों को कहा है कि वे गोरखपुर विश्वविद्यालय के बारे में कोई भी तथ्य या समाचार मीडिया/सोशल मीडिया में सीधे न दें बल्कि उसे पहले विश्वविद्यालय के मीडिया प्रकोष्ठ में भेजें। विश्वविद्यालय का मीडिया प्रकोष्ठ ही इसे जारी करेगा और यदि कोई इसका उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही की जाएगी।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने गोरखपुर न्यूज लाइन से बातचीत में इस आदेश की पुष्टि की है।

कुलसचिव द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि ‘ कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह ने निर्देशित किया है कि विश्वविद्यालय के कुछ प्राध्यापक,अधिकारी और कर्मचारी बिना विश्वविद्यालय के अनुमति के अपने व्यक्तिगत विचार विश्वविद्यालय के बारे में,जो अक्सर तथ्यहीन होते है, देते रहते हैं। ऐसे विचार विश्वविद्यालय एवं अधिकारियों की गरिमा को धूमिल कर रहे हैं । विश्वविद्यालय ने इस बात को अत्यंत गम्भीरता से लिया है और सभी शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सूचित किया जाता है कि कोई भी तथ्य मीडिया या सोशल मीडिया में जाना है और वह विश्वविद्यालय से सम्बंधित है तो ऐसे तथ्यों और समाचारों को मीडिया प्रकोष्ठ में प्रस्तुत किया जाए और विश्वविद्यालय के मीडिया प्रकोष्ठ द्वारा इस प्रकार के समाचार को मीडिया या सोशल मीडिया में भेजा जा सकता है। यदि कोई भी विश्वविद्यालय का व्यक्ति इसका उल्लंघन करता पाया गया तो उस व्यक्ति के खिलाफ तत्काल प्रभाव से विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 8.10 एवं 8.11 के सेक्सन 49 के अंतर्गत एक अनुशासनिक समिति गठित की जाएगी तथा ऐसे कृत्य करने वाले को विश्वविद्यालय की परिनियम की धारा 16.07 के अनुसार कार्यवाही की जाएगी। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश सरकार के कंडक्ट रूल 1956 का भी सन्दर्भ लिया जाएगा। इसलिए आप सभी से अनुरोध है कि ऐसा कोई भी समाचार जो भ्रामक है और विश्वविद्यालय शिक्षकों एवं अधिकारियों की गरिमा को धूमिल करता हो न दिया जाए। ‘

आदेश में आगे कहा गया है कि ‘ अतः विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष, विभागध्यक्ष, अधिकारीगण एवं सभी विभागों के प्रभारी यह सुनिश्चित करें कि ऐसा बयान दे रहे है तो तत्काल प्रभाव से कुलसचिव को सूचित करें। यदि उनको लगता है कि उनका समाचार मीडिया या सोशल मीडिया में जाने लायक है तो इसे विश्वविद्यालय के मीडिया प्रकोष्ठ के माध्यम से भेजा जाए। ‘

विश्वविद्यालय के कुलपति की कार्यशैली को लेकर कुछ शिक्षक लगातार अपनी आवाज उठा रहे हैं। एक शिक्षक को तो इसके लिए नोटिस भी दिया गया है। कुलसचिव द्वारा जारी हालिया आदेश को विश्वविद्यालय परिसर में इसी सन्दर्भ में देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस आदेश के जरिए शिक्षकों, अधिकारियों व कर्मचारियों की आवाज पर अंकुश लगाने की कोशिश की जा रही है।