Tag : कविता

साहित्य - संस्कृति

ध्रुवदेव मिश्र पाषाण : सार्थक को सिरजने का सर्जक

कौशल किशोर आज हिंदी कविता के क्षेत्र में ऐसे कवियों की बड़ी और महत्वपूर्ण उपस्थिति है जो बढ़ती उम्र के बावजूद सृजनात्मक रूप से सक्रिय...
समाचार

विमल किशोर की कविताओं में स्त्री मुक्ति की आकांक्षा – उषा राय

लखनऊ। लखनऊ पुस्तक मेले में , 18 मार्च को विमल किशोर के कविता संग्रह ‘पंख खोलूं उड़ चलूं’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन...
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सत्ता की प्रशस्ति कविता नहीं हो सकती -अशोक चौधरी

देवरिया (उप्र)। ‘ सत्ता की प्रशस्ति कविता नहीं हो सकती है। कविता सत्ता की प्रतिपक्ष होती है,अगर कविता मनुष्य की पीड़ा के साथ नहीं खड़ी...
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आग तो आग है बुझा दीजे, बुझते शोलों को हवा न दीजे

अशोक चौधरी
गोरखपुर के प्रताप सभागार में सुभाष चौधरी के काव्य संग्रह मिलना आषाढ़ में का लोकार्पण हुआ   गोरखपुर। शहर के  प्रताप सभागार में 26 मार्च को...
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देवेन्द्र आर्य की दो कविताएं : ‘ भेड़िए अब खेतों में नहीं छिपा करते ’

(1)  हांका हांका लगता रहा सारी-सारी रात जागते रहे लोग भेड़िया आया भेड़िया आया भेड़िया नहीं आया निराश हुई नयी पीढ़ी पहली बार देखती भेड़िए...
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‘ काव्य चातुर्य से बाहर निकलकर अपने समय के सच को साहस के साथ कहती हैं सदानन्द शाही की कविताएं ’

प्रेमचंद पार्क में प्रो सदानन्द शाही का कविता पाठ गोरखपुर। बीएचयू में हिन्दी के प्रोफेसर सदानन्द शाही का कविता पाठ और उस पर बातचीत का...
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अबकी बार लौटा तो वृहत्तर लौटूँगा

गोरखपुर न्यूज़ लाइन
गीतेश सिंह  15 नवम्बर 2017 को लगभग नब्बे वर्ष की आयु में हिंदी के महान कवि कुँअर नारायण की सांसों ने उनका साथ छोड़ दिया...
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पाँच दशकों में फैली सृजन यात्रा : “ वह औरत नहीं महानद थी ”

गोरखपुर न्यूज़ लाइन
डॉ. संदीप कुमार सिंह कवि, समीक्षक,संस्कृतिकर्मी व पत्रकार कौशल किशोर का बोधि प्रकाशन जयपुर से प्रकाशित ” वह औरत नहीं महानद थी ” पहला काव्य...
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′′ कुछ तो किरदार नए मंच पर लाए जाएं और नाटक को सलीके से निभाया जाए ’’

हर दिल अजीज कवि वीरेन डंगवाल की स्मृति में जन संस्कृति मंच का सालाना काव्य-जलसा वीरेनियत-2 नई दिल्ली, 1 नवम्बर. हर दिलअजीज कवि वीरेन डंगवाल...
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अब तो बहुत दूर निकल आया हूं खुदी की राह में तन्हा ही..

( कवि,  पत्रकार अरुण गोरखपुरी की स्मृति में उनकी कुछ कवितायें व गीत) तुममें भोर, भोर में तुमको, देख सकूं तो अच्छा है जीवन को...
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पुराने प्रतिमानों के घेरे को तोड़कर ही नयी कविता लिखी जा सकती है : प्रो जनार्दन

 कवि हरिशरण गौतम के प्रथम काव्य संग्रह ’मेरी आजादी ?’ का लोकार्पण  ‘ आजादी के उनहत्तर साल और दलितों की वर्तमान स्थिति ’ विषय पर...
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ये जो शहर है गोरखपुर

(गोरखपुर के जिलाधिकारी  रहे आईएएस अधिकारी डॉ हरिओम ने गोरखपुर पर लिखी कविता  ‘ ये जो शहर है गोरखपुर ‘ को फ़ेसबुक पर साझा किया...