मिसाल : मस्जिद सजाने के बजाए जरुरतमंदों की कर दी मदद

गोरखपुर। शब-ए-बरात के मौके पर बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर के जिम्मेदारों ने अबकी बार सजावट न कराने का फैसला लिया और उस रकम से लॉकडाउन से जूझ रही जरुरतमंद अवाम की मदद की।

बताते चलें कि हर साल शब-ए-बरात के मौके पर मस्जिद को लाइटों से सजाया जाता था जिसका खर्च करीब दस हजार रुपया आता था। इस बार कोरोना वायरस के मद्देनजर लॉकडाउन लगा हुआ है। मस्जिद अवाम के लिए बंद है। लिहाजा मस्जिद के लोगों ने सजावट के सारे पैसे से राशन खरीदा और गरीबों व जरुरतमंदों में बांट दिया।

अली बहादुर शाह वेलफेयर सोसाइटी के अली गजनफर शाह ने बताया कि अबकी बार हम लोगों ने मस्जिद न सजाने का फैसला लिया और उस पैसे से गरीबों में राशन बांट दिया। हिन्दू मुसलमान सबकी मदद की गयी। इस वक्त अवाम को एक दूसरे की जरुरत है। सजावट तो हर साल होती रहेगी। इस वक्त जरुरतमंद जनता की सेवा करना ज्यादा जरुरी है। कमेटी के जुबैर अतहर, अली नुसरत शाह, शानू, अली मुजफ्फर शाह, अशहर, शहजादे, आसिफ, अनस, कासिम, तौसीफ अहमद राशन बांटने में लगे हुए हैं। आज रात सबने इबादत कर मुल्क में अमनो अमान व कोरोना से निजात की दुआ मांगी।

स्जिद के इमाम के जरिए 52 गरीब घरों में पहुंचा हलवा का सामान

कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन है। गरीब परिवार परेशान हैं। शब-ए-बरात की खुशियों में गरीब लोग भी शामिल हो सकें। इस वजह से सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार के इमाम हाफिज रहमत अली निज़ामी ने अपने कुछ जानने वालों की मदद से जाफरा बाजार के 52 गरीब परिवारों में हलवा का सामान पहुंचाया। हर परिवार को सूजी, गरी, चीनी, डालडा घर जाकर दिया गया। इससे पहले हाफिज रहमत जनसहयोग से गरीबों के घर राशन पहुंचवा चुके हैं। हाफिज रहमत कहते हैं कि इस वक्त अवाम परेशान है उन्हें मदद की जरुरत है। शब-ए-बरात में कोई मायूस न रहे इसलिए हमने यह कदम उठाया। सब मिलकर दुआ करें कि इस कोरोना नामक बीमारी से जल्द निजात मिले और मुल्क में अमनो अमान कायम हो सके।