गोरखपुर के उद्योपतियों ने कहा-उत्पादन शून्य है, श्रमिकों को अप्रैल का वेतन नहीं दे पाएंगे

गोरखपुर। गोरखपुर के उद्योगपतियों ने अपने कारखानों में कार्य करने वाले श्रमिकों को अप्रैल माह का वेतन देने में असमर्थता जतायी है। उद्योगपतियों ने कहा है कि उनके कारखानों में उत्पादन शून्य है, इस कारण वे वेतन नहीं दे पाएंगें।

उद्योगपतियों की संस्था चेम्बर आफ इण्डस्ट्रीज  ने इस बारे में 12 अप्रैल को अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त को पत्र लिखा है और बिजली के फिक्स चार्ज, बैंक ब्याज को चार महीने तक माफ करने सहित जीएसटी में राहत देने की मांग की है। रविवार को कमिश्नर से हुई बातचीत में भी चेम्बर आफ इंडस्टीज के पदाधिकारियों ने यही बात कही।

गोरखपुर में गोरखपुर औद्याोगिक विकास प्राधिकारण गीडा में 400 औद्योगिक इकाइयां स्थापित हैं। इसके अलावा गोरखपुर के बरगदवां औद्योगिक क्षेत्र व अन्य स्थानों पर करीब 150 औद्योगिक इकाइयां है। लाॅकडाउन के बाद अधिकतर औद्योगिक इकाइयां बंद चल रही है। गीडा की ओर से आवश्यक वस्तुओं को उत्पादित करने वाली 44 इकाइयों को उत्पादन शुरू करने की स्वीकृति दी गई है लेकिन इनमें से कुछ इकाइयां ही उत्पादन शुरू कर पायी हैं। यहां तक गीडा क्षेत्र में स्थापित फार्मा की नौ इकाइयों में भी उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है। अभी तक चार फ्लोर मिलों, दो दाल मिलों के अलावा ब्रेड व पैकेजिंग की कुछ इकाइयों में ही काम शुरू हो पाया है।

चेम्बर आफ इण्डस्ट्रीज के महासचिव द्वारा अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि लाॅकडाउन से 95 फीसदी से अधिक उद्योगों का उत्पादन शून्य हो गया है। साथ ही उद्योगों को कई अन्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उद्योगों के न चलने से उनका कच्चा माल खराब हो रहा है। उत्पादित माल डम्प है और बाजार से भगुतान नहीं मिल रहा है। ऐसी स्थिति में उत्पादन न करने वाली औद्योगिक इकायां फैक्ट्री कर्मचारियों/श्रमिकों का अप्रैल माह का भुगतान नहीं कर पाएंगी। उत्पादन करने वाली इकाइयां उत्पादन होने वाली पाली के श्रमिकों का ही भुगतान करेंगी।

चेम्बर आफ इण्डस्ट्रीज ने इस पत्र में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त से लाॅकडाउन अवधि को शून्य मानते हुए बिजली के फिक्स चार्ज, बैंक ब्याज को चार महीने तक माफ करने और जीएसटी में राहत देने की मांग की है।

रविवार को कमिश्नर से मुलाकात में भी चेम्बर के महासचिव प्रवीण मोदी और उपाध्यक्ष आरएन सिंह ने यही बात कही। उन्होंने कहा कि औद्योगिक इकाइयों ने मार्च माह का वेतन श्रमिकोण को सात अप्रैल तक दे दिया है। जिन औद्योगिक इकाइयों को उत्पादन शुरू करने की अनुमति मिली है, वे भी उत्पादन नहीं शुरू कर पा रहे हैं क्योंकि श्रमिकों को फैक्ट्री तक आने-जाने का पास नहीं मिला है। कमिश्नर ने फैक्ट्री मजदूरों का पास देने का आश्वासन दिया और कहा कि वे उद्योगपतियों की समस्या को सरकार तक पहूंचाएंगें।

चेम्बर आफ इण्डस्ट्रीज के एक पदाधिकारी ने बताया कि गीडा क्षेत्र में कारखानों में श्रमिकों के आवास नहीं है। सिर्फ गार्डों व उनके सहयोगियों के ही आवास हैं। पूर्व में जब कई फैक्ट्रियों में श्रमिकों के लिए आवास बनवाने की कोशिश हुई तो गीडा प्रशासन द्वारा नोटिस देकर मना कर दिया गया। गीडा के फैक्ट्रियों के अधिकतर श्रमिक सहजनवां और आस-पास किराए के मकानों में रहते हैं। लाॅकडाउन होते ही 50 फीसदी से अधिक श्रमिक अपने गांव वापस चले गए हैं और उनका लौटना मुमकिन नहीं हो पा रहा है। सरकार द्वारा श्रमिकों को फैक्टियो के बंदी अवधि का भी वेतन दिये जाने की घोषणा के कारण श्रमिकों का जल्द वापस लौटना संभव भी नहीं है। ऐसे में कारखानों में जल्द उत्पादन होने की संभावना नहीं है। दूसरे जगहों से कच्चे माल की आपूर्ति, परिवहन, उत्पादित माल की सप्लाई, बाजार से पेमेंट का चेन टूट गया है जिसको जोड़े बिना फैक्टियों का चल पाना मुश्किल लग रहा है।