इस बार नए कपड़े नहीं, होगी सादगी वाली ईद

गोरखपुर . माह-ए-रमजान का दौर चल रहा है. पहला अशरा बीत चुका है, वहीं दूसरे अशरे के कुछ दिन गुजर चुके हैं. 29 या 30 दिनों का रोजा रखने के बाद लोग ईद सेलिब्रेट करेंगे. इसके लिए हर साल नए कपड़े भी बनवाए ही जाते हैं. मगर इस बार यंगस्टर्स ने ईद को सादगी के साथ मनाने का फैसला किया है. ईद की खुशियां कम नहीं होंगी, लेकिन नए कपड़े की खरीदारी नहीं होगी. इस ईद के मौके पर की जाने वाली खरीदारी से बचने वाले पैसों से यंगस्टर्स ने न सिर्फ लोगों का पेट भरने के लिए इंतजाम करने का फैसला किया है, बल्कि न कमा पाने वालों के घर का किराया देने, बच्चों के स्कूल की फीस और एडमिशन लेने में मदद करने का फैसला भी फैसला किया है. इसके लिए बाकायदा वह सोशल मीडिया पर भी अपील कर रहे हैं.

घर में रहेंगे, सेफ रहेंगे

कोरोना की दहशत को देखते हुए लोगों ने घर में ही रहने का फैसला किया है. उनका मानना है कि अगर हम घर से बाहर जाते हैं, तो हो सकता है कोई कोरोना का इंफेक्टेड पेशेंट टच में आ जाए. इससे न सिर्फ उनके लिए खतरा होगा, बल्कि इस हाल में वह घर जाते हैं, तो फैमली में भी यह वायरस बांट सकते हैं. इसलिए सभी ने स्टे होम, स्टे सेफ की मुहिम पर आगे फैसला लेने की ठानी है और कपड़ों की दुकान खुलने के बाद भी खरीदारी के लिए न जाने का मन बना लिया है. इसके लिए बाकायदा उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने जानने वालों से भी अपील की है.

 

इस बार ईद में खरीदारी न करने का मन बनाया है. इस महामारी में खरीदारी से बेहतर है कि किसी की मदद कर दी जाए, इससे सवाब भी मिलेगा.
– हाजी मोहम्मद फैज अली, गाजीरौजा

ईद नए कपड़ों का नाम नहीं है, बल्कि तीस रोजों की खुशी है. अगर इस खुशी में दूसरे भी शरीक हो जाते हैं, तो इससे बेहतर क्या हो सकता है.
– फरहा दीबा, खोखरटोला

घर में रहना ही इस वक्त अकलमंदी है. अगर कोई कोराेना का कैरियर मार्केट में टकरा गया, तो हमारे साथ ही परिवार वालों को भी खतरा हो सकता है.
– मोहम्मद हुजैफा, अबु बाजार

– ईद में कपड़ा मार्केट खुलने की उम्मीद कम है, लेकिन अगर खुलती भी है, तो हम खरीदारी नहीं करेंगे. इसके बजाए किसी की मदद कर देना बेहतर है.
– मनौव्वर अहमद, तुर्कमानपुर