खून देने के लिए कई हाथ बढ़े लेकिन घायल सात साल की आयशा की जान बचायी न जा सकी 

गोरखपुर। शनिवार देर रात बीआरडी मेडिकल कालेज में जिंदगी और मौत से जूझ रही सात साल की बच्ची को खून  देने के लिए कई लोग सामने आए फिर भी बच्ची की जान नहीं बचाई जा सकी। तहरीक दावते इस्लामी हिन्द के सदस्यों और समाजसेवी सरदार जसपाल सिंह, आदिल अमीन व नेहाल अहमद ने बच्ची को एबी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप दिलाने में मदद की इसके बावजूद भी बच्ची की जान नहीं बच सकी। बच्ची को खून भी नहीं चढ़ सका। वहीं यह डोनेट ब्लड उसी वार्ड में भर्ती एक अन्य मरीज की जिंदगी बचाने के काम आ गया।

सीतामढ़ी बिहार) के रहने वाले मोहम्मद शमशाद आलम गुरुवार को अपनी बीवी व दो बच्चों के साथ बस से दिल्ली से अपने घर वापस लौट रहे थे। बस चालक ने यात्रियों के चाय-नाश्ते के लिए तमकुहीराज (कुशीनगर) में बस रोकी। बस यात्री चाय नाश्ते के लिए उतरने लगे। मो. शमशाद पत्नी व बच्चों को बस से नीचे उतारने लगे। उनकी सात वर्षीय बच्ची आयशा फातिमा जैसे ही नीचे उतरी तेज रफ्तार टाटा मैजिक बच्ची को टक्कर मारते हुए गुजर गयी। बच्ची का सिर फट गया। मो. शमशाद आयशा को अस्पताल पहुँचाने के लिए लोगों से मदद मांगने लगे। बच्ची को अपने कंधे पर उठाकर करीब दो किलोमीटर पैदल चलकर उपचार के लिए एक प्राइवेट चिकित्सालय पहुंचे। बच्ची की गंभीर हालत देखकर लोगों की मदद से वह दूसरे चिकित्सालय पहुंचे। बच्ची की गंभीर हालत की वजह से गुरुवार की रात बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंचे। इसी बीच बच्ची कोमा में चली गयी।

खून ज्यादा बह जाने की वजह से शनिवार को आयशा को एबी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप की बेहद जरुरत पड़ी तो मो. शमशाद परेशान हो गये। यहां उनका जानने वाला कोई नहीं था। उनके एक परिचित रिश्तेदार ने यहां के एक पत्रकार का नम्बर मुहैया करवाया। पत्रकार ने व्हाट्सप्प ग्रुप में खून की जरुरत का मैसेज डाला तो हमदर्द सोसाइटी के नेहाल अहमद ने मो. शमशाद को फोन कर गोरखनाथ चिकित्सालय बुलाया। वहीं सरदार जसपाल सिंह व आदिल अमीन भी ब्लड के लिए प्रयासरत रहे।

इसी बीच तहरीक दावते इस्लामी हिन्द के सदस्य बच्ची के परिवार की मदद के लिए बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंचे। बीआरडी मेडिकल कालेज में एबी पॉजिटिव ग्रुप का खून नहीं था। सब गोरखनाथ चिकित्सालय पहुंचे वहां भी एबी पॉजिटिव ग्रुप का खून न होने की बात कही गयी। सब लोग ब्लड के लिए सावित्री हॉस्पिटल जाने लगे रास्ते में फोन आया कि गोरखनाथ चिकित्सालय में एबी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप उपलब्ध है। सब वापस गोरखनाथ चिकित्सालय के ब्लड बैंक पहुंचे। तहरीक दावते इस्लामी हिन्द के सदस्य रसूलपुर में रहने वाले मो. रफीक अत्तारी ने खून दिया। बाकी सदस्यों मो. गुलाम सरवर अत्तारी, मो. शहजाद अत्तारी, मो. शहनवाज अत्तारी आदि ने परिवार की मदद की लेकिन देर रात जिंदगी व मौत से जूझ रही बच्ची जिंदगी की जंग हार गयी। खून चढ़ाने की नौबत तक न आयी। डोनेट ब्लड एक अन्य मरीज की जिंदगी बचाने के काम में आ गया। खबर लिखे जाने तक तहरीक दावते इस्लामी हिन्द के सहयोग से परिवार वाले बच्ची को यहीं कफ़न दफ़न करने की तैयारी कर रहे हैं।