प्राथमिक शिक्षक कोरोना से मरे अपने साथियों को एक दिन का वेतन देंगे

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षक पंचायत चुनाव में ड्यूटी करते हुए कोरोना संक्रमण से दिवंगत हुए अपने साथियों को अपना एक दिन का वेतन देंगे। प्रदेश के सभ प्राथमिक शिक्षकों के एक दिन का वेतन 80 करोड़ रुपये होता है। यह रकम 1 अप्रैल 2021 से 30 मई 2021 के मध्य दिवंगत हुए सभी शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों, विशेष शिक्षकों व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वारिसों में बराबर दी जाएगी।

यह निर्णय उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की प्रदेश कार्य समिति की आज हुई वर्चुअल बैठक में लिया गया। बैठक में संघ के सभी जिला अध्यक्ष, मंत्री शामिल हुए, बैठक की अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष ड दिनेश चंद्र शर्मा ने किया।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने इस फैसले से महानिदेशक स्कूली शिक्षा को अवगत कराते हुए कहा है कि वे उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद विद्यालय में कार्यरत उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के सदस्य का एक दिन का वेतन काट कर एक कोष की स्थापना करते हुए समस्त धनराशि उसमें विभाग द्वारा जमा करा दी जाए तथा 1 अप्रैल 2021 से 30 मई 2021 के मध्य दिवंगत हुए सभी शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक, विशेष शिक्षक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वारिसों के खातों में समानुपात में स्थानांतरित कर दी जाए। यदि कोई शिक्षक एक दिन का वेतन देने हेतु असमर्थता अथवा असहमति जताता है और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अथवा वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा को लिखित में प्रार्थना पत्र देता है तो उसका वेतन ना काटा जाए।

 

आज हुई वर्चुअल बैठक में संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि मार्च 2020 से कोविड महामारी के प्रकोप से उत्तर प्रदेश प्रभावित है। कोविड महामारी की प्रथम लहर में सरकार की अपील पर उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षकों ने अपने एक  दिन के वेतन की धनराशि जो ₹78 करोड़ होती है, मुख्यमंत्री राहत कोष में दान दिया था लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महामारी से बचाव हेतु धन की व्यवस्था करने के नाम पर प्रदेश के शिक्षकों- कर्मचारियों के माह जनवरी 2020, जुलाई 2020 और जनवरी 2021 से महंगाई भत्ते की किस्त का भुगतान रोका गया है। मात्र बेसिक शिक्षकों के रोके गए महंगाई भत्ते की धनराशि ₹2000 करोड़ से अधिक है।

 

 

बैठक में शिक्षक नेताओं ने कहा कि इस प्रकार शिक्षकों द्वारा अपने कर्तव्यों का पालन करने के साथ-साथ कोरोना महामारी में सरकार का आर्थिक सहयोग भी किया गया है परंतु कष्ट है कि इस कोरोना महामारी में शिक्षकों को बंद विद्यालयों में बैठने को विवश किया गया और उनसे गैर शैक्षणिक काम किया गया। कोरोना महामारी में शिक्षकों को कोविड से बचाव के लिए कोई सामग्री उपलब्ध नहीं कराई गई। कोरोना महामारी के बीच ही शिक्षकों को बिना किसी सुरक्षा सुरक्षा उपकरण के पंचायत चुनाव कराने हेतु भेज दिया गया।  इसका परिणाम यह रहा कि प्रदेश के 1621 अधिक शिक्षक असमय ही काल के गाल में समा गए।

 

शिक्षक नेताओं ने कहा कि 16 मई 2021 के बाद भी शिक्षकों की मौत की सूचना प्राप्त हो रही है।  संगठन द्वारा 16 मई 2021 को अपने शहीद हुए 1621 शिक्षकों, शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों के परिवार को ₹ एक करोड़  मुआवजा, सरकारी नौकरी एवं पेंशन देने हेतु 8 सूत्री मांगपत्र सरकार को को भेजकर अनुरोध किया गया था परंतु बेसिक शिक्षा मंत्री द्वारा 19 मई को एक प्रेस नोट जारी करके मात्र 3 शिक्षकों की मृत्यु की पुष्टि की गई और शिक्षक संघ की सूची को भ्रामक बताया गया। इस बयान से प्रदेश के लाखों शिक्षकों की भावनाएं आहत हुई हैं।

सरकार द्वारा शहीद शिक्षक, शिक्षा मित्र एवं अनुदेशकों को परिवार को राहत प्रदान करने हेतु ₹1 करोड़ मुआवजा देने में विलंब किया जा रहा है। दूसरी ओर मृतकों के शोक में डूबे परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।  विशेष कर शिक्षामित्र, अनुदेशक जिनके परिवारों को नौकरी अथवा पेंशन की वर्तमान में कोई व्यवस्था नहीं है।  उनके परिवार अपनी आय के स्रोत व प्रियजन के चले जाने कारण तड़प रहे हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ अपने साथियों के परिवारों की तरफ को मूक दर्शक बनकर नहीं देख सकता। बैठक में मुआवजा, सभी शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक, विशेष शिक्षक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी एवं पेंशन हेतु शीघ्र ही शासनादेश निर्गत करने की मांग की गई तथा शासनादेश निर्गत ना होने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी गई।

 

बैठक में शिव शंकर पांडेय, राधा रमण त्रिपाठी, सुरेंद्र यादव, देवेन्द्र श्रीवास्तव, वंदना सक्सेना, राजेश धर दुबे, श्रीधर मिश्रा, अनिल सिंह, सुधांशु मोहन, मुकेश चौहान, रचना तिवारी, कृष्णनन्द राय सहित सभी पदाधिकारियों ने भाग लिया बैठक की अध्यक्षता डॉ दिनेश शर्मा एवं संचालन महामंत्री संजय सिंह ने किया।