प्रशासन द्वारा सुमेर सागर में खोद कर छोड़े गए गड्ढे में डूबने से बच्चे की मौत

गोरखपुर। सुमेर सागर में प्रशासन द्वारा तालाब बनाने के लिए खोद कर छोड़े गए गड्ढे के पानी में डूबने से मंगलवार को एक बच्चे की मौत हो गई। शिवम नाम का आठ वर्षीय यह बालक गड्ढे के पानी में अपने दोस्तों के साथ नहाते समय डूब गया।

मंगलवार की दोपहर आटो पार्ट्स विक्रेता मनीष का आठ वर्षीय पुत्र शिवम दो दोस्तों के साथ सुमेर सागर ताल के पास पहुंचा और पानी में नहाने लगा। इसी दौरान वह डूबने लगा। शोर मचाने पर आस-पास के लोग पहुंचे लेकिन शिवम को नहीं बचाया जा सका। दो अन्य बच्चों को बचा लिया गया।

प्रशासन ने खोदे गए गड्ढे के चारो ओर न तो फेसिंग करायी थी न कोई सुरक्षा दीवार बनायी थी जबकि गड्ढों में पानी भरने से स्थानीय लोग दुर्घटना की आशंका जता रहे थे। स्थानीय लोगों के अनुसार कुछ दिन पहले कबाड़ एकत्र करने वाला व्यक्ति भी गड्ढे में फिसल कर गिर गया था।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही शासन द्वारा बोरवेल में गिरने से होने वाली दुर्घटना को राज्य आपदा घोषित किया था और राष्ट्रीय आपदा मोचक बल द्वारा बोरवेल दुर्घटनाओं के प्रबंधन हेतु तैयार किये गये स्टैण्डर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर में बोरवेल की दुर्घटनाओं को रोकने तथा प्रबंधन के संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये थे। इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी के0 विजयेन्द्र पाण्डियन ने शासन के निर्देशानुसार बोरवेल से होने वाली दुर्घटना को रोके जाने के लिए 20-30 जून के मध्य सघन अभियान चलाकर असुरक्षित बोरवेल की जांच व चिन्हांकन कराकर उसको सुरक्षित करने का निर्देश दिया था लेकिन शहर में खुद प्रशासन द्वारा खोदे गए इस गड्ढे के बारे में प्रशासन को कोई ख्याल न रहा।

प्रशासन ने सुमेर सागर के आस-पास बने घरों व भवनों को प्रशासन ने एक वर्ष पहले तालाब पर कब्जा कर बनाया गया अतिक्रमण बताया था और करीब एक दर्जन भवनों को ध्वस्त करा दिया था। इसके बाद जेसीबी से गड्ढा खोद दिया गया कि यहां पर तालाब बनाया जाएगा।

जिन भवनों को ध्वस्त किया गया था, उनमें एक भवन प्रख्यात बाल रोग चिकित्सक डा. आरएन सिंह का था जिसमें उनकी क्लीनिक थी। जिन लोगों के भवन ध्वस्त किए गए थे, उन लोगों का कहना था कि बिना किसी विधिक प्रक्रिया व बिना किसी नोटिस के घरों को ध्वस्त किया गया। उन लोगों ने जमींदारों से यह जमीन दो दशक पहले बारह साल के अभिलेख देख कर खरीदी थी। निर्धारित शुल्क देकर रजिस्ट्री कराई। जांच पड़ताल करके तहसील प्रशासन ने खारिज दाखिल किया। आवासीय क्षेत्र मानकर जी डी ए ने नक्शा पास किया। सभी लोग सडंक, बिजली, पानी, नगरपालिका शुल्क दशकों से देते आ रहे हैं। तहसील ने दिसंबर 2019 में विधान सभा में पूछे गये एक विधायक के प्रश्न पर लिखित जबाब में यह कहा भी कि सुमेर सागर की जमीन जमींदारों के खेवट के रूप में उनके नाम दर्ज हैं।

भवन ध्वस्तीकरण व बेदखली की कार्यवाही के विरूद्ध प्रभावित लोगों ने सिविल कोर्ट, हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा किया हुआ है।

प्रशासन का कहना था कि यह स्थान तालाब है जिसे फिर से पुनर्जीवित किया जाएगा। तालाब को फिर से पुनर्जीवन के नाम पर  जेसीबी से गड्ढे खोद कर छोड़ दिए गए। बारिश से इस स्थान पर पानी भर गया। प्रशासन द्वारा यहां पर कोई चेतावनी या बैरीकेडिंग भी नहीं की गई थी।

बाल रोग चिकित्सक डा. आरएन सिंह ने शिवम की मौत के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर का शिवम ( 8 वर्ष) जिंदा होता अगर शंकर क्लिनिक ध्वस्त न हुई होती । उन्होंने लिखा कि एक वर्ष पूर्व सुमेर सागर में ताल बनाने के लिये गोरखपुर सदर तहसील प्रशासन ने गड्ढा खोदवाना शुरु किया। तभी से वह कार्य जस का तस पड़ा है। गड्ढे में पानी भर गया है। खोदे गये गड्ढे के चारो ओर सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की गई जिसके कारण बच्चे गड्ढे में नहाने चले गए। डा सिंह ने कहा कि यदि उनका क्लीनिक होता तो शिवम को तत्काल इलाज की सुविधा मिल जाती। उन्होंने कहा कि बच्चों के डूबने व जान जाने का खतरा आगे भी बना रहेगा जब तक गड्ढे के चारो ओर फेंसिंग व बाउंड्री वाल तत्काल नहीं बना दिया जाता।