दलित छात्रा की मौत के मामले में अखंड राजपूत सेवा संघ का ‘ राष्ट्रीय संवाद ’ चर्चा में

गोरखपुर। दलित छात्रा की मौत के मामले में गृह विज्ञान की अध्यक्ष और उनके सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के मामले में रविवार को हुई एक आनलाइन बैठक चर्चा में है। यह बैठक अखण्ड राजपूत सेवा संघ द्वारा आयोजित की गई थी। इस बैठक में इस बैठक का एक वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसमें गृहविज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर दिव्यारानी सिंह आरोप लगा रही हैं कि उन्हें राजपूत होने के नाते इस प्रकरण में फंसाया गया। उन्होंने गोरखपुर नगर के भाजपा विधायक डा आरएमडी अग्रवाल पर आरोप लगाया कि वे उनके सहित विभाग के दो राजपूत शिक्षकों के नाम से एफआईआर करवाना चाहते थे।

जूम पर यह बैठक रविवार को शाम चार बजे हुई। इस बैठक के लिए एक पोस्टर भी जारी किया गया था। पोस्टर में इस कार्यक्रम को ‘ दलित उत्पीड़न के आड़ में सवर्ण उत्पीड़न पर राष्टीय संवाद ’ का नाम दिया गया था। पोस्टर में ‘ गोरखपुर विश्वविद्यालय में योजनाबद्ध घटित घटना पर प्रतिकार हेतु आपकी उपस्थिति अपेक्षित है ’ लिखकर अपील की गई थी।

पोस्टर पर अखंड राजपूत सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरपी सिंह, राष्ट्रीय संरक्षक ज्ञान प्रकाश सिंह, गोरखपुर विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर दिव्या रानी सिंह सहित कई लोगों की तस्वीर छपी थी।

इस बैठक में अधिकतर समय गोरखपुर विश्वविद्यालय में गृह विभाग विभाग में एक दलित छात्रा की मौत पर चर्चा हुई। फरीदाबाद सहित कुछ अन्य घटनाओं पर भी चर्चा हुई।

बैठक का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ है जिसमें गृह विज्ञान विभाग की अध्यक्ष में दिव्यारानी सिंह कह रही हैं कि ‘ इस प्रकरण को नगर विधाायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने उलझाया। वह मेरे और मेरी दो सहयोगियों के नाम से एफआईआर कराना चाहते थे। हम तीनों राजपूत जाति के हैं, इसलिए हमें निशाना बनाया गया। वीडियो में एक व्यक्ति यह कहते हुए सुने जा रहे हैं कि उन्होंने विधायक का वीडियो देखा है। विलकुल सोची समझी साजिश व द्वेष के साथ इसमें काम किया गया है। ‘

वीडियो में गृह विज्ञान विभाग की अध्यक्ष कह रही हैं कि ‘ आप सब लोग जानते ही हैं कि विश्वविद्यालय ठाकुर-ब्राह्मण की पालिटिक्स से जूझता है। उनका भी सपोर्ट मिला जो दूसरे लोग है। उस लाबी ने आरएमडी अग्रवाल को बहुत सहयोग किया। चूंकि हम तीनो राजपूत हैं इसलिए हम लोग और ज्यादा निशाने पर आए। एफआईआर दर्ज होने के बाद गिरफ़्तारी के लिए पूरा दबाव बनाया गया था। ‘

वीडियो में वह यह भी कह रही हैे कि ‘ महराज जी ने इस मामले को तत्काल संज्ञान लिया। उनके पास एफआईआर व पोस्टमार्टम की काॅपी भेजवायी गयी तो उन्होंने एडीजी को निर्देश दिया। महाराज जी हमेशा सच का साथ देते हैं। उनके निर्देश के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट की परीक्षा करने के लिए पांच सदस्यीय पैनल बनाया गया जिसमें अनुसूचित जाति के दो चिकित्सक भी शामिल थे। इस पैनल की रिपोर्ट के बाद एसएसपी मीडिया के सामने आए और बोले कि छात्रा ने आत्महत्या की है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया था। ‘

इस बैठक में राष्टीय अध्यक्ष ने कहा कि ‘ हम सभी लोगों से निवेदन करते हैं कि हमें मिलके मैडम का साथ देना होगा। उन्हें फंसाया जा रहा है। हम इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री जी से भी बात करेंगे। ‘

बीएससी तृतीय वर्ष की दलित छात्रा प्रियंका की 31 जुलाई की मौत हो गई थी। उसका शव दोपहर 12 बजे के करीब विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग के स्टोर के पास लटकता हुआ पाया गया था। छात्रा के परिजन हत्या की आशंका जता रहे हैं। छात्रा के पिता की तहरीर पर गृह विज्ञान की अध्यक्ष और उनके सहयोगियों के खिलाफ धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस इस केस की विवेचना कर रही है। नए एसपी ने बुधवार को विश्वविद्यालय जाकर घटना स्थल का निरीक्षण किया। इस घटना को लेकर कई दिन तक शहर का माहौल गर्म रहा। हत्या की एफआईआर दर्ज करने, परिजनों को मुआवजा व एक सदस्य को नौकरी देने की मांग को लेकर कई संगठनों और दलों ने प्रदर्शन किया था। भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद भी छात्रा के परिजनों से मिलने गए थे।