भारत छोड़ो आंदोलन के दूसरे संस्करण की शुरुआत करने की जरूरत- प्रो. सत्यदेव

देवरिया। भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ के अवसर पर गांधीजन मंच के तत्वावधान में नागरी प्रचारिणी सभा में “समकालीन परिदृश्य और भारत छोड़ो आंदोलन ” विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान बरहज से चलकर देवरिया पहुंचे स्वयंसेवकों का स्वागत व पुस्तक देकर सम्मान भी किया गया।

संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए संत बिनोवा स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर असीम सत्यदेव ने कहा कि आजादी के बाद हमारे देश का विकास तो हुआ लेकिन देश के किसानों मजदूरों महिलाओं की स्थिति में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या जिन्हें भारत छोड़ने के लिए कहा गया क्या वे आज भी कहीं ना कहीं किसी रूप में हमारे देश में मौजूद हैं जिस पर हमें विचार करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे विकास होता गया वैसे वैसे साम्राज्यवाद पर हमारी निर्भरता बढ़ती गई। सन् 92 के बाद तो और भी स्थितियां बिगडी हुई हैं, नई आर्थिक नीति लागू होने के बाद वैश्विक गांव की बात कही गई । वैश्विक गांव में बराबरी नहीं होती है।

 

उन्होंने कहा कि आज साम्राज्यवाद यह तय करने लगा है कि भारत के खेतों में क्या बोया जाएगा, कौन सी दवा का इस्तेमाल किसान करेंगे,कौन सा पानी पिएंगे सारी बुनियादी जरूरत की चीजें साम्राज्यवादी कंपनियां भारत में अपने माल बेच रही हैं। प्रो. सत्यदेव ने कहा कि हमारे आजादी के नायकों ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था आज लगता है कि वे गए नहीं हैं बल्कि घूम कर यहीं हैं। आज फिर उन्हें बुलाया जा रहा है और कहा जा रहा है सब कुछ तुम्हें सौंप देंगे जमीन देंगे,अपनी कंपनी लगाओ। आज भयंकर लूट का समय है यह विकास है या विनाश है यह हमें सोचना पड़ेगा।

मुख्य अतिथि ने कहा कि आज हमारे यहां विदेशियों का स्वागत हो रहा है और अपने देश के मजदूरों को मरने के लिए छोड़ दिया जा रहा है। आज जरूरत है भारत छोड़ो आंदोलन के दूसरे संस्करण की शुरुआत करने की यही अमर शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

इस अवसर पर बोलते हुए विशिष्ट अतिथि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय विश्वनाथ राय के पुत्र कर्नल प्रमोद शर्मा ने कहा कि गांधी के विचार पूरी दुनिया में स्थापित हैं। हमारे मुल्क का दुर्भाग्य है कि गांधी को पुनः मारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि गांधी के विचारों को नई पीढ़ी के बीच में ले जाने की जरूरत है तभी बदलाव होगा। उन्होंने एक प्रस्ताव रखा कि कुशीनगर में बन रहे हवाई अड्डे का नाम किसी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम पर रखा जाए।

इस अवसर पर पूर्व विधायक वीरेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि जो भी स्थिति आजादी के पूर्व थी आज भी वही स्थिति यहां मौजूद हैं। आत्मोत्सर्ग का आह्वन गांधी जी ने किया था वह हर आदमी को नेता मानते थे उनके आंदोलन के कारण उस समय की सांप्रदायिक शक्तियां कमजोर हो गई थी, लेकिन आज फिर वे शक्तियां ताकतवर हो गई हैं। उनका मुकाबला करने के लिए हमें तैयार होना होगा।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ.आर अचल ने कहा कि गांधी को जन तक पहुंचाने की जरूरत है। वे जनता को संगठित कर अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे। आज जनविद्रोह की स्थितियां कमजोर हो गई हैं।अगर जन विद्रोह की भावना श्रमिकों में होती तो वे घर नहीं जाते।

इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता कृपाशंकर ने कहा कि आज आदिवासी दिवस है। हम कठिन दौर में हैं। आज की स्थिति को बदलने के लिए एकजुट होकर आवाज उठानी होगी।

सभा की अध्यक्षता करते हुए बरहज आश्रम के पीठाधीश्वर महंत आञ्जनेय दास ने कहा कि क्रांतिकारी कभी मरते नहीं है। उनके विचार हमेशा जीवित रहते हैं। हमारे देश की विशेषता है कि यहां क्रांति व शांति एक साथ चलती है। इन दोनों को चलाने की जरूरत आज भी है।

इस अवसर पर मुख्य रूप से किसान नेता डॉक्टर चतुरानन ओझा, एडवोकेट अरविंद गिरी, उद्भव मिश्र, रामकिशोर वर्मा, इंद्र कुमार दीक्षित, बृजेंद्र मिश्रा मधुसूदन उपाध्याय, विजय जुआठा, चक्रपाणि ओझा, सर्वेश्वर समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे। संगोष्ठी का संचालन गांधी जन मंच के संयोजक कवि सरोज पांडेय ने किया।