प्रोफेसर का खुला पत्र -कुलपति को हटवाने के लिए बुद्धिजीवी और जनप्रतिनिधि मुखर हों

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्त ने खुला पत्र लिखकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह को कुलपति पद से हटवाने और उनके अवैधानिक कार्यों और वित्तीय अनियमितताओं के विरुद्ध उच्च स्तरीय जांच करवाने के लिए मुखर होने की अपील की है।

प्रो गुप्त विश्वविद्यालय में कुलपति के नियम विरुद्ध कार्यों का खुलकर विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कुलाधिपति को शिकायत भी की है। इससे खफा होकर कुलपति ने उन्हें नोटिस जारी किया है और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की बात कही है।
प्रो गुप्त ने आज यह खुला पत्र गोरखपुर परिक्षेत्र के बुद्धिजीवीगण और जनप्रतिनिधिगण के नाम जारी किया और इसे अपने फ़ेसबुक पोस्ट पर भी लगाया है।
पूरा पत्र इस प्रकार है-
आदरणीय महोदय,
सादर अभिवादन।
आपका दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय इस समय बहुत गहरे संकट के दौर से गुजर रहा है। हमारे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह जी किसी का भी नाम इस्तेमाल कर लेने, किसी को भी प्रभावित कर लेने और किसी को भी चुप करा देने की कला के विशेषज्ञ हैं।
विश्वविद्यालय के भीतर से उनके नियमविरुद्ध कार्यों, वित्तीय अनियमितताओं और अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठ पाना लगभग असंभव हो गया है।
इस परिस्थिति में विश्वविद्यालय को बचाने के लिए आपका मुखर और सक्रिय होना बेहद जरूरी है।
प्रोफेसर राजेश सिंह जी,कुलपति दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर यहां से ठीक पहले पूर्णिया विश्वविद्यालय( बिहार) में कुलपति थे। वहां कार्य करते हुए उन पर आर्थिक अनियमितता के गंभीर आरोप लगे थे, जिनकी जांच लोकायुक्त स्तर पर हो रही थी। ऐसे में, (उसी जांच के दौरान ही) उनका दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में कुलपति हो जाना गंभीर आश्चर्य, चिंता और जांच का विषय है।
प्रोफेसर राजेश सिंह जी ने जान-बूझकर बार-बार विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों का जीवन संकट में डालते हुए महामारी एक्ट का उल्लंघन किया है। उक्त मामले को हम साक्ष्यों सहित गोरखपुर के जिलाधिकारी महोदय के संज्ञान में 23 जून, 2021, 4 जुलाई, 2021और 15अगस्त,2021 को ईमेल के माध्यम से ला चुके हैं और महामारी एक्ट के प्रावधानों के तहत कार्यवाही का आग्रह कर चुके हैं। कार्यवाही प्रतीक्षित है।लोकतंत्र में कानून सबके लिए बराबर होता है, इसलिए प्रोफेसर राजेश सिंह जी को भी सजा मिलनी ही चाहिए।
प्रोफेसर राजेश सिंह जी ने विश्वविद्यालय में भयानक आतंक कायम कर रखा है। वे लगातार अवैधानिक निर्णय ले रहे हैं, वित्तीय अनियमितताएं कर रहे हैं और असहमति और विरोध जताने वाले शिक्षकों को अनावश्यक कारण बताओ नोटिस जारी करके प्रताड़ित कर रहे हैं।
इस बीच उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों , कर्मचारियों और अधिकारियों की अभिव्यक्ति पर अवैधानिक पाबंदी लगा रखी है और स्वयं ( जबकि अधिनियम और परिनियम के अनुसार कुलपति विश्वविद्यालय के एक ‘अधिकारी’ हैं।) अखबारों में फोटो छपवा रहे हैं और तरह-तरह की झूठी घोषणाएं कर रहे हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हो रही है।
विश्वविद्यालय के भीतर विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर उन्हेंं कोई चिंता नहीं है। कोई भी आकर देख सकता है कि विश्वविद्यालय प्रांगण जंगल में तब्दील हो गया है। कुलपति जी नियंता या नियंता मंडल के सदस्यों को अपनी गाड़ी के आगे हार्न बजाते हुए चलने के लिए मजबूर करते हैं।
हमारे विश्वविद्यालय में जिन विषयों की पढ़ाई बहुविकल्पीय पद्धति से नहीं हुई है,उनकी परीक्षा भी बहुविकल्पीय पद्धति से ली गई है और ली जाने वाली है।पढ़ाई किसी और पद्धति से हुई हो और उसकी अधिकांश परीक्षा अचानक किसी और पद्धति से ली जाय, यह किसी भी प्रतिभाशाली विद्यार्थी को गहरे तनाव में डालने के लिए पर्याप्त है। इससे लाखों विद्यार्थियों को तनाव से गुजरना पड़ा है और ढेर सारे विद्यार्थी अभी भी तनाव से गुजर रहे हैं।
ये सारे अवैधानिक, विद्यार्थीविरोधी और संवेदनहीन निर्णय हमारे कुलपति प्रो०राजेश सिंह जी द्वारा थोपे हुए हैं; क्योंकि इस समय सारे निर्णय केवल और केवल कुलपति जी ही ले रहे हैं ।
उनकी कार्यशैली गैर लोकतांत्रिक है । वे अपने व्यवहार और क्रियाकलापों में ऐसा प्रदर्शित करते हैं कि उनका जो मन करेगा वह वही करेंगे, उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता‌
प्रोफेसर राजेश सिंह जी विश्वविद्यालय के अधिनियम, परिनियम और शासनादेशों का खुला उल्लंघन करते रहते हैं। उनकी मर्जी ही इस समय हमारे विश्वविद्यालय में कानून है।
उन्होंने अवैधानिक ढंग से कुछ लोगों को नियुक्त कर रखा है । इस समय पूरा विश्वविद्यालय वही लोग चला रहे हैं।
वे इतने पावरफुल हैं कि हमारी शिकायतें सही जगह पहुंच ही नहीं पा रही हैं, अगर पहुंचतीं, तो अब तक उनके विरुद्ध कार्यवाही जरूर हुई होती ।
अतः हम आपसे प्रोफेसर राजेश सिंह जी को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति पद से तत्काल हटवाने और उनके अवैधानिक कार्यों और वित्तीय अनियमितताओं के विरुद्ध उच्च स्तरीय जांच करवाने के लिए मुखर होने तथा जो भी बन पड़े, वह करने का आग्रह करते हैं।