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‘ कोविड ने लोगों में अकेलापन, अलगाव और असहायताबोध को बढ़ाया है ’

गोरखपुर। मेरा रंग फाउंडेशन द्वारा शहर के होटल विवेक में  “महामारी के दौर में मानसिक स्वास्थ्य” विषय पर आयोजित बातचीत में  गोरखपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर धनंजय कुमार ने कहा कि कोविड जैसी अनजान महामारी का मुकाबला हमने व्यवहार परिवर्तन कर किया और इसके लिए हमें अपने विश्वास, एटीट्यूड में भी बदलाव किया। हमने कोविड महामारी में सीखा कि व्यवहार में बदलाव कर बड़ी लड़ाई लड़ सकते हैं। हमें शारीरिक सेहत के बराबर ही मानसिक स्वास्थ को भी प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि मनुष्य के लिए अस्तित्व की लड़ाई आदिकाल से ही चुनौती रही है। जंगल में रहते हुए जानवरों से जान बचाने या दूसरे कबीले के आक्रमण से बचने के लिए उसने अपने को सुरक्षित करने की प्रणाली विकसित की। महामारी के दौर में भी उसने अपने को बचाने के लिए एक लड़ाई लड़ी है और इस दौर से बहुत कुछ सीखा है। सबसे बड़ी सीख यह मिली है कि सामाजिक सहयोग और लोगों का आपसी संपर्क बहुत जरूरी है।

प्रो धनंजय कुमार ने कहा कि कोविड की दूसरी लहर में मानसिक सेहत पर प्रभाव के रूप में पोस्ट ट्रामेटिक स्ट्रेस डिसआर्डर बहुत अधिक देखा जा रहा है और इसने डिप्रेशन, इंजाइटी को और ज्यादा गंभीर बनाया है। लोग कोविड के दौर में अकेलापन, अलगाव और असहायताबोध महसूस कर रहे थे और इसने मानसिक सेहत पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला है। इस स्थिति में टेक्नोलॉजी से सूचना तक पहुँच और डिजिटल संपर्क के अलावा दूसरी सहायता नहीं मिल पाई।

उन्होंने कहा कि पूर्व निर्धारित जीवन क्रम से निकलकर खुद की खोज और प्रकृति व अपने आसपास के जीवन से जुड़कर हम अपनी मानसिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।

मनोचिकित्सक डॉ० अभिनव श्रीवास्तव ने कहा कि अनहोनी, अफवाह, चारो तरफ से आने वाली मौत की खबरें , ऐसा होगा तो हमारा क्या होगा जैसी बातों ने इंसान के मस्तिष्क में डर बैठा दिया। इस डर ने इंसान की सामान्य सोच समझ की शक्ति को खत्म किया जिससे हम शारीरिक और मानसिक परिवर्तन से गुजर रहे हैं।  उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य का दुरुस्त होना बहुत आवश्यक है ।

मनोवैज्ञानिक डॉ० आपर्णा पाठक ने कहा कि महामारी के पहले मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना सामान्य नही था। आमतौर पर लोग मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से ग्रसित व्यक्ति को पागल होना समझते थे लेकिन महामारी के बाद परिस्तिथियों में बदलाव आया है। लोग खुलकर मानसिक समस्याओं पर बात करने लगे हैं।

बातचीत में गोरखपुर विश्वविद्यालय की गृहविज्ञान विभाग की अध्यक्ष दिव्या रानी सिंह और डॉ० चेतना पांडेय ने भी भागीदारी की।

कायर्क्रम के प्रारंभ में प्रसिद्ध नारीवादी कमला भसीन के निधन पर शोक प्रकट करते हुए दो मिनट मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।

मेरा रंग फाउंडेशन की संस्थापक व कार्यक्रम संयोजक शालिनी सिंह श्रीनेत ने पौधे देकर वक्ताओं का स्वागत किया।

कार्यक्रम का संचालन पूर्वांचल सेना के अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप ने किया ।

इस अवसर पर अंजू शुक्ला, रंजम सिंह, संगीता मल, निधि निधान, रंजीत सिंह, सुषमा सिंह, रंजना वर्मा, रचना वर्मा, तन्नू अनस, डॉ भानु सिंह , राहुल यादव, श्याम किशुन, योगेंद्र प्रताप, जितेंद्र यादव सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों से आए पदाधिकारी व लोग उपस्थित रहे।