नारायणी नदी में समाता जा रहा है शाहपुर गांव, प्रशासन को खबर तक नहीं

कुशीनगर। नारायणी नदी की कटान से खड्डा तहसील के शाहपुर गांव में तीन दर्जन लोगों के घर और 1800 एकड़ धान व केला की फसल की नदी में समा गयी है। नदी का रूख गांव की तरफ लगातार बना हुआ है। लोग घर का सामान समेट को दूसरे गांवों में जा रहे हैं। हैरत की बात है कि तहसील प्रशासन को शाहपुर गांव के इस हालात के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। कटान से बचाव और लोगों की सहायता तो दूर की बात है।

शाहपुर गांव नारायणी नदी की दोनों तरफ बसा हुआ है। बाढ़ और कटान से सबसे ज्यादा प्रभावत नारायणी नदी के उत्तरी तट पर बसी आबादी को हो रहा है। यह गांव एक सप्ताह तक बाढ़ में डूबा रहा। इसके बाद नदी की कटान शुरू हो गई। नदी का रूख गांव की तरफ हो रहा है। कटान से गांव की लगभग 18 सौ एकड खेत नदी की धारा में समा गया है।

 करीब तीन दर्जन लोगों के झोपड़ी के घर भी कट कर नदी में समा गए हैं।

शाहपुर के ठाकुर प्रसाद ने बताया कि योद्धा चैहान , शंकर मल्लाह , लल्लन मल्लाह , राजेश मल्लाह , मन्नू चैहान, मुन्ना चैहान, मुखलाल चैहान, नारायण , हरिकिशन बिंद, रोगी ,महेश ,महादेव , तूफानी, हरिलाल, भोला , केदार गौड़ , रामप्यारे यादव, पूर्णमासी बिंद आदि लोगों की फूस की मडई नदी की धारा में समा गई है।

नगीना बिंद ने बताया कि लोगों ने नदी का कटान को देखते हुए घर के अंदर का सारा सामान व मवेशियों को लेकर नाव से पलायन कर रहे हैं। कई परिवार नदी उस पार बिहार के सिरसिया गांव मंे चले गए हैं। कुछ अन्य परिवार खड्डा तहसील के तुर्कहा के पास आकर अस्थाई रूप से रह रहे हैं।

उप जिलाधिकारी खड्डा अरविंद कुमार ने बताया कि राजस्व कर्मियों से उन्हें शाहपुर गांव के इस हालात के बारे में कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। इस तरह की रिपोर्ट अगर मीडिया में आ रही है तो मैं इसकी जांच कराऊंगा।