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शायर राज़ आज़मी नहीं रहे

गोरखपुर। शायर राज़ आज़मी का 27 नवंबर की सुबह का निधन हो गया। उनका नमाजे जनाज़ा घासी कटरा स्थित यतीम ख़ाने वाली मस्जिद में पढ़ाया गया और कच्ची बाग कब्रिस्तान में उनको सुपुर्द ए ख़ाक किया गया। इस अवसर पर नगर के बुद्धिजीवी, साहित्य प्रेमी एवं बड़ी संख्या में शायर उपस्थित थे।

78 वर्षीय राज़ आज़मी का जन्म आजमगढ़ में हुआ था। राज़ आज़मी की शायरी की शुरुआत उस समय हुई जब देश गुलामी की जंजीरों को तोड़ कर एक नए आसमान की तरफ परवाज़ कर रहा था। राज़ आज़मी की शायरी को शोहरत 1965 में मिली। मुशायरों में राज़ आज़मी को बुलाया जाने लगा। जब वह अपने मकसूस अंदाज़ में शेर पढ़ते तो लोग वाह-वाह करते। राज़ आज़मी ने खुद अपने बारे में ये शेर कहा था-

वफादारी बहर सूरत ना होगी रायेगां मेरी
सुकून दिल बनेगी एक दिन बेताबियां मेरी
करेगी क़द्र दुनिया राज़ रूदाद ए मुहब्बत की
सुनाई जाएगी जब बाद मेरे दास्तां मेरी