गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं स्ववित्तपोषित संबद्ध महाविद्यालयों के स्नातक छात्रों के उत्तर पुस्तिकाओं का केन्द्रीय मूल्यांकन भारी अव्यवस्था के बीच हुआ। केंद्रीय मूल्यांकन स्थल पर पीने के पानी और चाय तक कि व्यवस्था नहीं थी। शौचालयों में पानी नहीं था जिससे महिला शिक्षकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
केन्द्रीय मूल्यांकन का कार्य विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के परिसर में स्थित मोहन सिंह संग्रहालय के सबसे ऊपरी मंजिल पर 26 मई से 31 मई तक हुआ। मूल्यांकन कार्य में विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के लगभग 100 शिक्षकों ने हिस्सा लिया।
मूल्यांकन केंद्र पर भारी अव्यवस्था देखने को मिली। मूल्यांकन कार्य में लगे शिक्षकों के लिए चाय नाश्ते की बात तो दूर पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं थी। शौचालयों की सफाई नहीं कराई गई थी और उनकी हालत बहत खराब थी। शौचालयों में पानी की व्यवस्था भी नहीं थी। प्रचंड गर्मी के बावजूद एयर कंडीशनर या कूलर की व्यवस्था नहीं थी। गर्मी से निजात के लिए सीलिंग फैन थे जो सबसे ऊपरी मंजिल होने के कारण गर्म हवा फेंक रहे थे और हाल में बैठन मुश्किल हो रहा था।
इससे शिक्षकों में भारी नाराजगी देखी गई लेकिन उनकी शिकायतों को कोई सुनने वाला नहीं था। उनसे कहा गया कि जैसी परिस्थिति है , उसी में कार्य करें। मूल्यांकन केंद्र पर व्यवस्था देखने के लिए कोई जिम्मेदार अधिकारी भी नहीं आया।
शिक्षकों ने बताया कि ऐसा कुव्यवस्था उन्होंने पहले कभी नहीं देखी थी। कुछ ही वर्ष पहले जहां उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए मूल्यांकन भवन में एयर कंडीशनर की व्यवस्था हुआ करती थी। चाय-नाश्ते और पानी की मुकम्मल व्यवस्था हुआ करती थी। एक दौर में कुलपति रहे प्रोफेसर अशोक कुमार तो नियमित मूल्यांकन कक्ष का दौरा कर वहां की व्यवस्था का निरीक्षण भी किया करते थे और शिक्षकों के साथ बैठकर चाय भी पीते थे।
कुछ शिक्षकों का यह भी कहना था कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने बदले कि भावना से बदतर इंतजाम किया क्योंकि शिक्षकों ने बकाया पारिश्रमिक कि मांग करते हुए भिक्षाटन आंदोलन चलाया था।