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ग्रामीण पुस्तकालय की स्थापना नई पीढ़ी के ज्ञान का सूत्रधार बनेगी : शिव प्रताप शुक्ल 

गोरखपुर। ” समाज और सभ्यता के ऐसे दौर में जब लेखकों की लिखी हुई कृतियां नई पीढ़ी बहुत कम पढ रही है या नहीं पढ़ रही है, कछारांचल के गांव में पुस्तकालय और वाचनालय खोलनेका सकंल्प सराहनीय लेकिन उतना ही चुनौतीपूर्ण भी है। यह लाइब्रेरी जितना जल्दी बन सके उतना ही अच्छा होगा। “

यह बातें हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने शिक्षक वाचस्पति त्रिपाठी कि स्मृति में कोहड़ा भांवर गाँव में पुस्तकालय के शिलान्यास और उनकी आवक्ष प्रतिमा के अनावरण के मौके पर कही। इस अवसर पर अरविन्द त्रिपाठी द्वारा संपादित वाचस्पति त्रिपाठी के जीवन और कर्म पर आधारित पत्रिका का लोकार्पण भी किया।

उन्होंने कहा कि लेखक की भौतिक काया नहीं रहती है लेकिन यश की काया युगों तक रहती है। इसलिए साहित्यकार, बुद्धिजीवी चिरंजीवी संस्कृति के देन होते हैं।

समारोह कि अध्यक्षता कर रहे  प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि वाचस्पति फाउंडशेन का यह
सकंल्प बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण है कि उन्होंने यहां लाइब्रेरी के निर्माण के लिए सकंल्प लिया। मै इसमें भरपूर योगदान करूंगा। उन्होंने स्व वाचस्पति त्रिपाठी को श्रद्धांजलि देते हुए उनसे हुई मुलाकातों का जिक्र किया। उनकी दृष्टि में स्व वाचस्पति लोक जीवन और किसान जीवन की संस्कृति के मिले जुले व्यक्तित्व थे। उनके योगदान को यहां के लोग भूल नहीं पाएंगे। यह अच्छी बात है कि उनकी स्मृति में वाचनालय नई पीढ़ी के शैक्षिक और सांस्कृतिक उन्नति का सेतु बनेगा।

विधायक राजेश त्रिपाठी ने वाचस्पति त्रिपाठी को याद करते हुए उनके शैक्षिक और सांस्कृतिक दृष्टि का बखान किया। उन्होंने कहा कि उनकी स्मृति में बनने वाले इस पुस्तकालय के निर्माण में मैं योगदान करूंगा। उनके लिए कुछ भी करके मुझे खुशी होगी।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ कवि अनंत मिश्र ने वाचस्पति त्रिपाठी को कछारांचल का सजग और प्रबुद्ध संस्कृतिकर्मी कर्मी बताया जिन्होंने अपने जीवन में अपने अलावा हमेशा दूसरों की चिंता की।

प्रो चितरंजन मिश्र ने स्व त्रि पाठी को याद करते हुए कहा कि मैं उन्हें मित्र अरविन्द का पिता ही नहीं मानता था बल्कि एक सजग बौद्धिक और जागरूक संस्कृति कर्मी मानता हूं जो समाज के अतिंम आदमी के लिए जीवन भर लड़ाई लड़ते रहे।

 उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष रहे शिवाकांत ओझा ने स्व वाचस्पति त्रिपाठी कि स्मृति में उनके परिवार के
संकल्पों की सराहना की।

समारोह के आरम्भ में संस्था के अध्यक्ष प्रो अरविन्द त्रिपाठी ने अपने पिता के बहुमुखी व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए पिता, गुरु और मित्र तीनों रूपों में याद किया। उन्होंने अज्ञेय के वक्तव्य का हवाला देते हुए कहा कि पिता जैसा बनने के लिए पिता से दूर जाना पड़ता हैं। पिछलेप 45 वर्षों से मै अपने पिता जैसा बनने के लिए ही साहित्य की दुनिया में लगा रहा लेकिन मुझे लगता है कि मैं पिता जैसा नहीं बन पाया । उन्होंने कहा कि यह पुस्तकालय  मात्र वाचनालय ही नहीं रहेगा बल्कि साहित्य और संस्कृति के बड़े केंद्र के रूप में स्थापित होगा। यहां लोक साहित्य और लोक कलाओं को संरक्षित करने के लिए प्रति वर्ष बड़े विमर्श, लोक संगीत के आयोजन किये जाएंगे।

कार्यक्रम में आकाशवाणी और दूरदर्शन की चर्चित गायिका बाबिता शुक्ल, प्रभाकर शुक्ल, जलज उपाध्याय ने वाणी वदंना और वंदेमातरम की प्रभावपूर्ण प्रस्तुति दी।

आभार ज्ञापन फाउंडेशन के संरक्षक मण्डल के सदस्य एवं कृषि विभाग के पपोरव निदेशक आनदं त्रिपाठी ने किया।

समारोह में शिक्षाविद् निर्मल त्रिपाठी , पत्रकार तप्तिृ लाल, गोरखपरु विश्वविद्यालय और नेशनल कालेज के शिक्षकों सहित क्षेत्र के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। इसके अलावा लखनऊ के वैज्ञानिक डॉ आरडी त्रिपाठी, ई. यामिनी भूषण त्रिपाठी , डॉ परितोष त्रिपाठी , राजबहादूर सिहं , उपेन्द्र शाही उपस्थित थे।