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‘ भोजपुरी बनाम हिन्दी : तथ्य और परिणाम ’ पर संगोष्ठी 24 को

गोरखपुर। विमर्श केन्द्रित संस्था ‘आयाम’ द्वारा 24 सितम्बर को सुबह 10.30 बजे से गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब में ‘
‘ भोजपुरी बनाम हिन्दी : तथ्य और परिणाम ’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि कोलकाता विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो अमरनाथ होंगे जबकि बीज वक्तव्य लेखक-आलोचक डा. रामचन्द्र शुक्ल (पूर्व उप सचिव लखनऊ उ. प्रदेश) देंगे। अध्यक्षता प्रख्यात चिकित्सक एवं विचारक डा.ए.के.पाण्डेय करेंगे। संगोष्ठी में प्रो. विमलेश मिश्र, डा. फूलचन्द्र गुप्त, चन्द्रेश्वर शर्मा ‘परवाना’ तथा भोजपुरी भाषा के उत्थान में स्थानीय स्तर पर लगातार सक्रिय भूमिका निभाने वाले लेखक भी सहभागिता करेंगे।

यह जानकारी आयाम के संयोजक वरिष्ठ कवि देवेन्द्र आर्य ने दी। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा की निर्मिति में कई जनपदीय (आंचलिक) भाषाओं /बोलियों की शब्द सम्पदा और उनकी संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भोजपुरी भी उनमें से एक है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को देश की राजभाषा घोषित करने के साथ ही दूसरे अन्य भाषा भाषियों की ओर से अपनी उप भाषा/ मातृभाषा/ बोली विशेष को लेकर एक तरह के संघर्ष की स्थिति भी बनती रही है। समाधान के रूप में संविधान की आठवीं अनुसूची में उन्हें शामिल किया जाता रहा जिसके बाद उन सह भाषाओं को सरकारी सहयोग, संरक्षण और उसे बोलने/लिखने वालों को कुछ सुविधाएं भी मुहैया हुईं।

भोजपुरी भाषा को लेकर भी इधर लगातार यह मांग की जा रही है कि अपनी विषद शब्द सम्पदा, संस्कृति और संख्या बल के आधार पर उसे आठवीं अनुसूची में शामिल करके संवैधानिक मान्यता प्रदान की जाए। इस तरह की मांग का स्वयं  हिन्दी भाषा की हैसियत पर क्या प्रभाव सम्भावित है इस बात को लेकर भी लगातार एक बहस चलती रही है। दोनों विचारों को एक मंच पर लाकर वस्तु स्थिति को समझने के उद्देश्य को लेकर ‘आयाम’ ने इस संगोष्ठी का आयोजन किया है।

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