साहित्य - संस्कृति

मेरे लिए कवि कर्म जीने की कोशिश : अनंत मिश्र

गोरखपुर। ” कविता लिखने मात्र से दुनिया नहीं बदलती। कविता एक रहस्य हैं और कवि कर्म कविता के बहाने जीवन को जीने की कोशिश है। मेरे लिए कविता लिखना मेरा एक स्वभाव है। कवि कर्म इसी कोशिश में लगा हुआ समाज का एक जरुरी काम है जो मैं करता रहा हूँ। “

यह बातें वरिष्ठ कवि अनंत मिश्र ने नगर की साहित्यिक संस्था ‘ गतिविधि ‘ की ओर से आयोजित अपने सम्मान कार्यक्रम में कहीं। कवि अनंत मिश्र को हाल ही में वाराणसी में विद्या निवास मिश्र स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया है। उक्त सम्मान के परिप्रेक्ष्य में यह आयोजन कवि का स्वागत था,जिसमें तीन पीढ़ियों की भागीदारी रहीं।

करीब आधी शताब्दी के दौरान लिखी गयी अनंत मिश्र की महत्वपूर्ण कविताओं में सायकिल, मकान, स्त्री, फिर तुम्हारी याद आई,दर्जी, कृपया धीरे चलिए, आग, मेरे बच्चो, माँ को फोन लगाओ, नाला, सभ्यता साधु के ठेंगे पर का पाठ क्रमशः गोष्ठी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, महेश अश्क़, प्रो चितरंजन मिश्र, प्रो अरविन्द त्रिपाठी, प्रो विमलेश मिश्र, प्रो प्रत्यूष दूबे, डा सुनील यादव, अनुपम मिश्र, कलीमुल हक़, वीरेंद्र मिश्र, भरत शर्मा आदि ने किया। इसके अलावा नयी पीढ़ी के रचनाकारों में रजनीश पाण्डेय, रजिया , काजल, शिवेंद्र, सर्वेश ने भी चुनी हुई कविताओं का प्रभावशाली पाठ किया। स्वयं कवि ने अपनी कविता ‘ जैकेट ‘ का पाठ किया।

आयोजन के आरम्भ में गतिविधि के कार्यक्रम संयोजक अरविन्द त्रिपाठी ने अनंत मिश्र के पुरस्कार सम्मान का स्वागत करते हुये इस आयोजन के औचित्य पर प्रकाश डाला। संस्था की ओर आभार ज्ञापन गतिविधि के संरक्षक मण्डल के सदस्य प्रो चितरंजन मिश्र ने किया।

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