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अकीदत से मनाया गया ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ का उर्स, गौसे आज़म फाउंडेशन ने बांटा लंगर

गोरखपुर। विश्व प्रसिद्ध सूफी हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती अलैहिर्रहमां (ख़्वाजा ग़रीब नवाज़) का 812वां उर्स-ए-पाक गुरुवार को शहर में अकीदत के साथ मनाया गया। दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद‌ नार्मल, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार, नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर, मकतब इस्लामियात चिंगी शहीद तुर्कमानपुर, दरगाह हज़रत इमदाद शाह तुर्कमानपुर, दारोगा मस्जिद अफगानहाता आदि में फातिहा ख़्वानी हुई। नात व मनकबत पेश की गई। कुल शरीफ की रस्म अदा कर मुल्क में अमनो, शांति, तरक्की व भाईचारे की दुआ मांगी गई।

दरगाह हज़रत मुबारक ख़ां शहीद व गौसे आजम फाउंडेशन ने विभिन्न जगहों पर लंगर बांटा। अकीदतमंदों ने उलमा किराम की जुब़ानी ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की ज़िंदगी के वाकयात, करामात, तकवा व परहेजगारी के बारे में सुना।

सब्जपोश हाउस मस्जिद में हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी ने कहा कि ख्वाजा ग़रीब नवाज़ अल्लाह के नेक बंदे थे। आपका नाम हसन और लकब मोईनुद्दीन है। आप पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का हुक्म पाकर तकरीबन 800 साल पहले हिंदुस्तान तशरीफ़ लाए। आपके अदबो अख़्लाक से प्रभावित होकर बड़ी तादाद में लोग इस्लाम के दामन से जुड़ गए। आपने सारी ज़िंदगी अल्लाह व रसूल की फरमाबरदारी व शरीअत की पाबंदी में गुजारी।

उन्होंने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि हम अपने बुजुर्गों की ज़िंदगी को जानें, पढ़ें और उस पर अमल करने की पूरी कोशिश करें। ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की पूरी ज़िंदगी हमें अम्बिया किराम, सहाबा किराम, अहले बैत व औलिया किराम की ताज़ीम और शरीअत पर चलने की शिक्षा देती है।

गौसे आजम फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली ने कहा कि ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की ज़िंदगी से हमें इंसानों की खिदमत करने की शिक्षा मिलती है। आज उम्मत की खास तादाद शिक्षा से दूर है लिहाजा ज़रूरत है कि बुजुर्गों के नाम से लोगों को शिक्षा दिलाने के लिए शिक्षा पर ज्यादा से ज्यादा खर्च किया जाए। स्कूल, कॉलेज व यूनिवर्सिटी खोली जाए। उर्स में मनोव्वर अहमद, मौलाना असलम, अलाउद्दीन निजामी, कारी मोहसिन, अब्दुल कय्यूम, शारिक, शहजाद अहमद, असहाब बशर, अजमत, फिरोज आलम, हाजी जलालुद्दीन, आकिब अंसारी, आरिब, सरफराज, आरिफ़, मो. आसिफ़, सुब्हान, शाद यजदानी, अमन नवाज, मो. आसिफ, मो. शमीम, मो. नसीम, जामिन अली आदि ने शिरकत की।