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संत रैदास की कविताओं में स्वराज की अवधारणा बनती है : प्रो. सदानंद शाही

गोरखपुर। ‘बेगमपुरा अवधारणाओं का शहर है जहां सभी अव्वल हैं।’ यह बात काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सदानंद शाही ने कही। वे शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी एवं पत्रकारिता विभाग में संत रैदास जयंती पर आयोजित ‘ संत रैदास का स्वराज: स्वप्न एवं संघर्ष ‘ विषयक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

प्रो. शाही ने कहा कि चूँकि संत रैदास राजनीतिक व्यक्ति नहीं है अतः उनकी कविताएं ही उनकी अवधारणा तक पहुँचने का माध्यम है। उनकी कविताओं में स्वराज की अवधारणा बनती हुई दिखती है। बेगमपुरा कविता का उल्लेख करते हुए प्रो. शाही ने कहा कि इस कविता से समाज का एक नया स्वरूप निर्मित होता है।

भक्ति काल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान में वर्णित समानता और बंधुत्व की अवधारणा मूलतः भक्तिकाल से ली गई है। भक्तिकाल ने ईश्वर के नाम पर भय को समाप्त किया और सीधे ईश्वर से सम्बन्ध की बात की है। रैदास ने भी यही किया। हमारे संविधान में भक्तिकाल की अनुगूँज है।

Prof Poonam Tandan

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि कवि और कविता में संवेदनशीलता होती है और यह अन्य लोगों में संवेदनशीलता को बढ़ाती भी है। यह संवेदनशीलता आज के इंटरनेट युग में बेहद जरूरी है। प्रो. टंडन ने आगे कहा कि यदि हम संत रैदास के सपनों का बेगमपुर बना सकें तो यही हमारा समाज के प्रति योगदान होगा जिसकी आज बहुत आवश्यकता है। कविताएं इस प्रकार की चेतना जागृत करने का प्रभावी माध्यम है।

इसके पूर्व अपने स्वागत वक्तव्य में हिन्दी एवं पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. दीपक प्रकाश त्यागी ने कहा कि रविदास को याद करना हमारे समय के महत्वपूर्ण प्रश्नों से टकराना है। आज उन्हें और उनके संघर्षों को याद करना बहुत जरूरी है।

इस अवसर पर विभाग की छात्राओं ने संत रैदास की रचना ‘प्रभु जी तुम चंदन हम पानी’ की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ ऋतु सागर और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. संदीप कुमार यादव ने किया l

कार्यक्रम में प्रो .अनिल कुमार राय, प्रो. विमलेश कुमार मिश्रा, प्रो. प्रत्यूष दुबे, डॉ. राम नरेश राम, डॉ. नरेंद्र कुमार, डॉ. अखिलेश, डॉ. सुनील कुमार यादव, डॉ. अभिषेक शुक्ल, डॉ. अपर्णा, प्रियंका नायक, डॉ. रजनीश कुमार चतुर्वेदी, डॉ. नरगिस बानो सहित हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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